पटना : बिहार भी गजब है, एक ओर जहां स्कूलों में पढ़ाने के लिए छात्रों को शिक्षक नहीं मिल रहे हैं, तो वहीं एक ऐसा भी स्कूल है जहां पढ़ाने के लिए शिक्षकों को 'छात्रों का टोटा' है. बिहार के मसौढ़ी स्थित सूर्यगढ़ा प्राथमिक विद्यालय में कई साल से यही हालात बने हुए हैं. इस स्कूल में तीन-तीन शिक्षक तैनात हैं लेकिन अफोसस की बात ये है कि यहां एक भी छात्र नामांकित नहीं हैं.
बिहार का बिना बच्चों वाला स्कूल : अक्सर ये खबरें आती रहीं हैं कि एक शिक्षक के भरोसे पूरा स्कूल है. ऐसे में शिक्षा विभाग शिक्षकों की कमी का रोना रोता है. जबकि इसके उलट सूर्यगढ़ा प्राथमिक स्कूल में तीन-तीन शिक्षक रोजाना आते हैं, बिना बच्चों वाले स्कूल में पठन-पाठन किए बिना ही घर चले जाते हैं. यहां तैनात शिक्षकों को भी आत्मग्लानि का भाव जागता है, लेकिन जब सिस्टम ही संवेदनहीन बन जाए तो क्या कहेंगे? अब स्थानीय लोग भी इस स्कूल को मर्ज करने की मांग करने लगे हैं.
हैरान करने वाली व्यवस्था: स्कूल का भवन है, शिक्षक हैं, टेबल और बेंच है लेकिन बिना छात्रों के ये स्कूल किस काम का? इसकी उपयोगिता यहां के लोगों की नजर में नहीं रह गई है. जिस जगह ये स्कूल है वहां सामान्य वर्ग के परिवार की संख्या ज्यादा है. ऐसे लोग अपने बच्चों को पटना और दूसरे प्राइवेट स्कूलों में पढ़ा रहे हैं. जबकि पहले महादलित टोले से कुछ बच्चे पढ़ने आते थे लेकिन पांचवी पास कर लेने के बाद उनके अभिभावकों ने भी अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में भेजना बत भेजनाआना बंद हो गया. अब ये स्कूल पूरी तरह छात्रों के बिना वीरान पड़ा है.