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बिहार के कई थानों में नहीं है लैंडलाइन फोन की सुविधा, क्राइम पर कैसे होगा कंट्रोल?

डिजिटल युग (Digital Era) में संचार साधनों की सुलभता के बावजूद भी पटना सहित बिहार के कई थानों (Police Station) में समय पर सूचना दे पाना टेढ़ी खीर से कम नहीं है. ऐसे में बिहार पुलिस (Bihar Police) अपराध पर कैसे नियंत्रण (Crime Control) कर पाएगी. पढ़ें रिपोर्ट..

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Published : Jul 26, 2021, 6:20 PM IST

पटना:बिहार सरकार (Bihar Government) लाख दावे कर लें कि बिहार में क्राइम कंट्रोल (Crime Control) है, लेकिन राजधानी पटना (Patna) सहित बिहार में अन्य जिलों में हत्या, लूट, अपहरण और सामूहिक दुष्कर्म जैसी वारदात में कोई कमी नहीं आ रही है. बिहार में पुलिस (Bihar Police) को समय पर सूचना दे पाना अपने आप में बड़ी चुनौती है.

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दरअसल, पटना सहित बिहार के ज्यादातर थानों में लगे लैंडलाइन फोन खराब पड़े हैं. सूचना का सबसे बड़ा तंत्र आज के समय में टेलीफोन है, जिसके माध्यम से ही सभी थानों (Police Station) को उनके थाने के अंतर्गत किसी भी तरह की सूचना मिलने पर कार्रवाई की जाती है. ऐसे में जब थानों में लगे लैंडलाइन टेलीफोन ही बंद हो गए हैं, तो पुलिस कैसे अपराध पर नियंत्रण कर पाएगी?

देखें रिपोर्ट

हालांकि, सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार थानों में पहले से लगे लैंडलाइन फोन डेड पड़ने का सबसे बड़ा कारण बकाया राशि का भुगतान नहीं होना है. एक तरफ जहां राज्य सरकार बिहार के सभी थानों को अपने भवन के साथ-साथ सभी बुनियादी सुविधा मुहैया करवा रही है, जिससे पुलिसिंग को बेहतर किया जा सके. ऐसे में लैंडलाइन फोन जिस पर आम जनता सूचना देती हैं, वही खराब हो तो कैसे समय रहते अपराध पर अंकुश लगाया जा सकेगा.

राजधानी पटना की बात करें तो किसी थाने में दो-तीन महीने से तो कहीं पिछले कई महीनों से लैंडलाइन फोन खराब पड़ा हुआ है. ऐसी स्थिति में अगर कोई घटना हो जाए तो संबंधित थाने को समय पर सूचना दे पाना काफी मुश्किल है. वैसे तो थानेदारों के पास मोबाइल जरूर रहता है. हर समय थानाध्यक्ष द्वारा फोन रिसीव नहीं किया जाता है. ऐसे में आम जनता थानों में लगे लैंडलाइन पर ही पुलिस कर्मियों को सूचित करते हैं.

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माना जाता है कि वर्तमान समय में सूचना के आदान-प्रदान से ही अपराध पर काफी हद तक अंकुश लगाया जा सकता है. पटना के अधिकांश थाने संचार साधन से महरूम हैं. ऐसे में अपराध और अपराधी के संबंध में किसी भी प्रकार की सूचना थाने को देना हो तो थानेदार के बाद थाने में सूचना देने का मात्र एक ही विकल्प लैंडलाइन नंबर होता है.

पुलिस मुख्यालय (Police Headquarter) के एडीजी जितेंद्र कुमार की मानें तो राज्य सरकार की प्राथमिकता के तहत बिहार के सभी थानों और ओपी में लैंडलाइन फोन को सुचारू रूप से स्टार्ट करने का अभियान चलाया जा रहा है. अब तक लगभग 140 ही थाने ऐसे बचे हैं, जहां लैंडलाइन फोन काम नहीं कर रहा है, जल्द ही इसे शुरू करवाया जाएगा.

''राज्य सरकार के निर्देशानुसार पुलिस मुख्यालय भी चाहता है कि थानों का लैंडलाइन फोन शुरू किया जा सके, ताकि आम इंसान टेलीफोन के माध्यम से थाना को किसी भी प्रकार की सूचना दे सकें. जल्द ही बचे थाने में ये लैंडलाइन फोन कार्य करना शुरू कर देगा.''- जितेंद्र कुमार, एडीजी, पुलिस मुख्यालय पटना

जानकारी के अनुसार पटना के सचिवालय बुद्धा कॉलोनी, गांधी मैदान, कोतवाली, हवाई अड्डा, चौक, बहादुरपुर, गौरीचक अगमकुआं, राम कृष्णा नगर और गोपालपुर थाना के अलावा बिहार के कई जिले के और अन्य थाने लैंडलाइन फोन महीनों से खराब हैं.

गौरतलब है कि बिहार में कुल 1096 थाने और 264 ओपी हैं, जिनमें से 97 थाने और 47 ओपी भूमिहीन हैं. पुलिस मुख्यालय द्वारा मिल रही जानकारी के अनुसार 34 थानों और 9 ओपी का प्रस्ताव एनओसी के लिए दिया गया है. वहीं, थानों में बनने वाले 660 आगंतुक कक्ष में से अब तक मात्र 34 जगहों पर निर्माण कराया गया है.

हालांकि, पुलिस पुलिस मुख्यालय द्वारा मिल रही जानकारी के अनुसार सभी थानों में महिला अध्यक्ष के साथ-साथ राज्य के 240 थानों और 109 ओपी में लैंडलाइन फोन अब तक लगाया जा चुका है. जबकि अन्य थानों में लैंडलाइन के विकल्प तलाशने का निर्देश दिया गया है. पुलिस मुख्यालय प्लान बनाकर प्रत्येक थाने और क्षेत्रीय कार्यालय के लिए फोन का मासिक शुल्क निर्धारित करने का भी निर्देश दिया गया है.

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