पटना:बिहार सरकार (Bihar Government) लाख दावे कर लें कि बिहार में क्राइम कंट्रोल (Crime Control) है, लेकिन राजधानी पटना (Patna) सहित बिहार में अन्य जिलों में हत्या, लूट, अपहरण और सामूहिक दुष्कर्म जैसी वारदात में कोई कमी नहीं आ रही है. बिहार में पुलिस (Bihar Police) को समय पर सूचना दे पाना अपने आप में बड़ी चुनौती है.
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दरअसल, पटना सहित बिहार के ज्यादातर थानों में लगे लैंडलाइन फोन खराब पड़े हैं. सूचना का सबसे बड़ा तंत्र आज के समय में टेलीफोन है, जिसके माध्यम से ही सभी थानों (Police Station) को उनके थाने के अंतर्गत किसी भी तरह की सूचना मिलने पर कार्रवाई की जाती है. ऐसे में जब थानों में लगे लैंडलाइन टेलीफोन ही बंद हो गए हैं, तो पुलिस कैसे अपराध पर नियंत्रण कर पाएगी?
हालांकि, सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार थानों में पहले से लगे लैंडलाइन फोन डेड पड़ने का सबसे बड़ा कारण बकाया राशि का भुगतान नहीं होना है. एक तरफ जहां राज्य सरकार बिहार के सभी थानों को अपने भवन के साथ-साथ सभी बुनियादी सुविधा मुहैया करवा रही है, जिससे पुलिसिंग को बेहतर किया जा सके. ऐसे में लैंडलाइन फोन जिस पर आम जनता सूचना देती हैं, वही खराब हो तो कैसे समय रहते अपराध पर अंकुश लगाया जा सकेगा.
राजधानी पटना की बात करें तो किसी थाने में दो-तीन महीने से तो कहीं पिछले कई महीनों से लैंडलाइन फोन खराब पड़ा हुआ है. ऐसी स्थिति में अगर कोई घटना हो जाए तो संबंधित थाने को समय पर सूचना दे पाना काफी मुश्किल है. वैसे तो थानेदारों के पास मोबाइल जरूर रहता है. हर समय थानाध्यक्ष द्वारा फोन रिसीव नहीं किया जाता है. ऐसे में आम जनता थानों में लगे लैंडलाइन पर ही पुलिस कर्मियों को सूचित करते हैं.
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माना जाता है कि वर्तमान समय में सूचना के आदान-प्रदान से ही अपराध पर काफी हद तक अंकुश लगाया जा सकता है. पटना के अधिकांश थाने संचार साधन से महरूम हैं. ऐसे में अपराध और अपराधी के संबंध में किसी भी प्रकार की सूचना थाने को देना हो तो थानेदार के बाद थाने में सूचना देने का मात्र एक ही विकल्प लैंडलाइन नंबर होता है.