पटना:कोरोना संक्रमणकी दूसरी लहर पहले से ज्यादा खतरनाक और जानलेवा है. पटना के सभी बड़े अस्पतालों में वेंटिलेटर, ऑक्सीजन और बेड के अभाव में नो एंट्री का पोस्टर लगा दिया गया है. अस्पतालों में नए मरीजों की भर्ती नहीं हो रही है, जिसके कारण चारों तरफ हाय तौबा मची हुई है. सरकारी इंतजाम नाकाफी साबित हो रहे हैं.
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जिंदगी के लिए जद्दोजहद
कोरोना वायरस से मौतों का आंकड़ा नहीं थम रहा है. सरकार व्यवस्था करने में नाकाम साबित हो रही है. जिसके कारण लोगों को अस्पताल में बेड तक उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं. लोगों का रो-रोकर बुरा हाल है, लेकिन सरकार ने इसको लेकर अभी तक कोई व्यवस्था नहीं की है.
अस्पतालों में सभी बेड फुल
पाटलिपुत्र गोलंबर स्थित रुबान हॉस्पिटल में नो वेंटिलेटर, नो ऑक्सीजन, नो बेड का पोस्टर लगा दिया गया है. कुर्जी मोर के पास सिटी हॉस्पिटल में भी बेड उपलब्ध नहीं है. बिहार के सभी बड़े अस्पतालों के बेड फुल हो गए हैं. ऑक्सीजन के संकट से पूरे प्रदेश में त्राहिमाम मचा है. कई अस्पताल प्रबंधक तो ऑक्सीजन के लिए सरकार से गुहार भी लगा रहे हैं, लेकिन अस्पतालों को ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही है.
वेंटिलेटर और ऑक्सीजन की किल्लत 'नो' वेंटिलेटर, 'नो' ऑक्सीजन
वर्तमान में ऑक्सीजन की इतनी किल्लत हुई है, जिसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है. कोविड मरीजों के लिए ऑक्सीजन की जरूरत पूरी नहीं हो पा रही है. जिस हॉस्पिटल में ऑक्सीजन का स्टॉक खत्म हो गया है, वहां नो एंट्री का बोर्ड लगा दिया गया है. रोजाना 50 से 60 मरीज हॉस्पिटल में पहुंच रहे हैं. सरकारी हॉस्पिटल या प्राइवेट हॉस्पिटल के आंकड़ों की बात करें, तो सभी जगह कोरोना मरीजों से हॉस्पिटल फुल पड़े हुए हैं और ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं हो पा रही है.
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हर जगह सिर्फ 'नो एंट्री' का बोर्ड
पटना के कई निजी अस्पतालों में ऑक्सीजन की किल्लत है, जिससे नो एंट्री का बोर्ड लगा दिया गया है. पटना में कोविड मरीजों की संख्या इतनी बढ़ गई है कि हालात संभाले नहीं संभल रहे हैं. कोरोना मरीजों को ऑक्सीजन की कमी से जूझना पड़ रहा है. पहले की अपेक्षा पटना में ऑक्सीजन की डिमांड कई गुना बढ़ गया है, जिस रफ्तार से संक्रमण बढ़ रहा है, उससे सरकार की चिंता भी बढ़ गई है. ऑक्सीजन की सप्लाई कम पड़ रही है. ऐसे में प्राइवेट अस्पतालों में नो एंट्री के बोर्ड लगा दिए गए हैं.
अस्पतालों में सभी बेड फुल ''हमारे देश के लोग तुलना करते हैं कि हम चाइना की बराबरी करेंगे, लेकिन देश में जिस तरह के अभी हालात हैं, ऐसे में किसी दूसरे देश से तुलना करना अच्छा नहीं है. हॉस्पिटल में वेंटिलेटर, ऑक्सीजन और बेड की पर्याप्त व्यवस्था हो, तो मरीज को बचाया जा सकता है. लेकिन मरीज को हॉस्पिटल में जैसे ही लाइए तो हॉस्पिटल के द्वारा कहा जा रहा है कि बेड नहीं हैं. ऐसे में अपने मरीज को लेकर जाएं तो कहां जाएं''-सोनू कुमार, मरीज के परिजन
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स्वास्थ्य विभाग के दावे फेल
ईटीवी भारत ने पटना के पारस हॉस्पिटल, रुबान हॉस्पिटल, एशियन सिटी हॉस्पिटल, सीएनएस हॉस्पिटल और मेडी पार्क हॉस्पिटल का जायजा लिया. सभी जगह बेड, ऑक्सीजन और वेंटिलेटर की किल्लत है. ऐसे में बहुत सारे हॉस्पिटलों में गेट पर नो एंट्री का पोस्टर लगाया गया है, तो कई हॉस्पिटलों में नहीं लगाया गया है, लेकिन रिसेप्शन काउंटर पर पूछे जाने पर नो एंट्री का जवाब ही मिलता है. वहीं, स्वास्थ्य विभाग दावा कर रही है कि कहीं भी बेड की किल्लत नहीं है.