पटना: कोरोना संक्रमण के पहले दौर में देशभर में लॉकडाउन लागू किया गया. इस लॉकडाउन के लागू होते ही लाखों की संख्या में प्रवासी मजदूर घर की ओर लौटने लगे. इनमें सबसे ज्यादा मजदूर बिहार के थे. ऐसे में बिहार सरकार ने प्रवासी मजदूरों को नौकरी प्रदेश में ही नौकरी देने की बात कही.
दूसरी ओर केंद्र सरकार ने देश को इस महामारी के लिए 20 लाख करोड़ का विशेष आर्थिक पैकेज देने का ऐलान किया. इस पैकेज के तहत सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) ऋण निर्धारित किया गया. छोटे उद्योगों के लिये तीन लाख करोड़ रुपये के गारंटी मुक्त ऋण की योजना शुरू की गई. ऐसे में बिहार के एमएसएमई के बारे ने ईटीवी भारत विस्तार से रिपोर्ट जानी.
बिहार में एमएसएमई ने इन राज्यों को पीछे छोड़ा
- बिहार ने एमएसएमई आधार उद्योग रजिस्ट्रेशन के मामले में गुजरात, कर्नाटक जैसे औद्योगिक राज्यों को पीछे छोड़ दिया है .
- सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्योग मंत्रालय के आधार उद्योग रजिस्ट्रेशन के आंकड़े के मुताबिक सितंबर 2015 से लेकर अब तक कुल 9 लाख 19 हजार 335 उद्यमियों ने रजिस्ट्रेशन करवाया है.
- रजिस्ट्रेशन के मामले में महाराष्ट्र एक नंबर पर है.
- बिहार के कनफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन और बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के लोगों ने बताया कि बिहार में एक से डेढ़ लाख उद्योग कार्यरत हैं.
- इनमें 20 से 25 लाख लोग सीधे तौर पर उद्योग जगत से जुड़े हुए हैं और कार्यरत हैं. लगभग 10 से 12 लाख ऐसे लोग हैं, जो इन पर आधारित अपना जीवन यापन उद्योग जगत के चलते ही कर पाते हैं.
केंद्र का विशेष आर्थिक पैकेज
- एमएसएमई सहित व्यवसायों के लिए 3 लाख करोड़ रुपये की आपातकालीन कार्यशील पूंजी सुविधा
- कर्ज बोझ से दबे एमएसएमई के लिए 20,000 करोड़ रुपये का अप्रधान ऋण
- ‘एमएसएमई फंड ऑफ फंड्स’ के माध्यम से 50,000 करोड़ रुपये की इक्विटी सुलभ कराई जाएगी.
एमएसएमई के लिए ऋण प्रवधान
बैंक छोटे कारोबारों के लिए तीन लाख करोड़ रुपये के रेहन मुक्त ऋण की पेशकश करेंगे. इसके लिए 9.25 प्रतिशत वार्षिक की आकर्षक ब्याज दर रखी गई है. इससे पहले बैंक जोखिम आकलन के आधार पर एमएसएमई क्षेत्र को 9.5 प्रतिशत से 17 प्रतिशत की दर के ब्याज पर ऋण देते थे.
इतने रजिस्ट्रेशन के बाद भी बेरोजगारी
बिहार में 9 लाख से ज्यादा सूक्ष्म उद्योगों का रिजस्ट्रेशन है, तो लोग पलायन कर अन्य राज्यों में क्यों जाते हैं. बिहार में बेरोजगारी क्यों व्याप्त है. इसका जवाब जानने के लिए कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री के अध्यक्ष विनोद खेरिया से जब सवाल किया गया. तो उन्होंने कहा, 'बिहार में कई ऐसे भी लोग हैं जो एमएसएमई को बदनाम करने के लिए लोग फर्जी रजिस्ट्रेशन करा लेते हैं ताकि उन्हें कुछ लाभ मिल सके'.
खेरिया ने आगे कहा कि कई लोग ऐसे हैं जो रजिस्ट्रेशन करा तो लेते हैं. लेकिन उद्योग नहीं चलाते. यही कारण है कि बिहार में लोगों को रोजगार अधिक नहीं मिल पा रहा.
सिर्फ रजिस्ट्रेशन से नहीं न मिलेगा रोजगार
खेरिया की मानें तो बिहार में रोजगार तभी मिलेगा, जब उद्योग धंधे चलेंगे. ऐसे में उद्योग विभाग को इस मामले पर सख्ती से कार्रवाई करने की जरूरत है. उसे इस दिशा में पहल करनी चाहिए कि आखिर क्यों उद्योग का रजिस्ट्रेशन करा लोगों ने काम नहीं शुरू किया या बंद कर दिया.
बिहार में नहीं है उद्योग धंधे
बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष रामलाल खेतान ने बताया कि बिहार में जितनी संख्या में उद्योग होने चाहिए थे, उतने नहीं हैं. जिन लोगों में जो कार्य क्षमता है. उस प्रकार का काम नहीं मिलता है. यही कारण है कि लोग विभिन्न राज्यों में जाकर काम करते हैं. जिस संख्या में प्रवासी मजदूर पर लौटे हैं यह संभव नहीं कि अभी उन्हें रोजगार दिया जा सके. इसलिए उद्योग बढ़ेंगे, तभी लोगों की जरूरत पड़ेगी.
अब होता है ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन
एमएसएमई के सहायक निदेशक संजीव कुमार वर्मा ने जानकारी दी कि उद्योग रजिस्ट्रेशन का कार्य 2015 में ही बंद कर दिया गया था. अब रजिस्ट्रेशन की चाबी उद्यमियों के हाथ में दे दी गई है. उन्हें किसी ऑफिस में चक्कर लगाने की जरूरत नहीं है. वे बस वेबसाइट पर जाकर सेल्फ डिक्लेरेशन देकर रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं. इसमें किसी प्रकार की कोई इंस्पेक्शन या क्लोज नहीं है.
शायद यही वजह है कि बिहार में रजिस्ट्रेशन का आंकड़ा तो रिकॉर्ड तोड़ रहा है लेकिन उद्योग धंधे संचालित नहीं हो रहे हैं. ईटीवी भारत को संचालित उद्योगों की जानकारी नहीं मिली है क्योंकि लोगों ने सेल्फ डिक्लेरेशन कर रजिस्ट्रेशन करवाया है. ऐसे में ये बात निकलकर सामने आती है कि ऋण लेकर कोई भी उद्योग धंधे शुरू करने के लिए रुचि नहीं रखता.