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नियोजित शिक्षक की व्यथा: 'वेतन बिना फइलल भुखमरिया हो, नौकरिया बेकार हो गईल' - Teachers pain

एक तो कोरोना दूसरा वेतन नहीं. जिन नियोजित शिक्षकों को संक्रमण हो गया, वे पैसे की कमी के कारण भी दम तोड़ रहे हैं. जिलेभर के नियोजित शिक्षक इस महामारी में भी आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं. ऐसे में सासाराम के एक नियोजित शिक्षकों ने लोकगीत के माध्यम से अपना दर्द साझा किया है. देखें खबर.

पटना
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Published : Apr 26, 2021, 3:30 PM IST

पटना:''वेतन बिना फइलल भुखमरिया हो, नौकरिया बेकार हो गईल, सुनीं नीतीश जी हमरी खबरिया हो....'' यह लोकगीत कोरोना काल में उन शिक्षकों की व्यथा है, जिन्हें चार महीने से वेतन नहीं मिला है. इस गीत को सासाराम के ही एक नियोजित शिक्षक ने गाया है. अपनी बेबसी और लाचारी को नीतीश सरकार के सामने संगीत के माध्यम से रखा है.

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इस लोकगीत के माध्यम से शिक्षकों का दर्द एक बार फिर से मुख्यमंत्री तक पहुंचाने की कोशिश की गई है. इस लोकगीत को सासाराम के ही एक नियोजित शिक्षक ने गाया है. वायरल हो रहे चार मिनट के इस वीडियो में शिक्षक अपने दो बच्चों के साथ ये दर्द भरा गीत गा रहा है.

नियोजित शिक्षकों को चार माह से नहीं मिला वेतन
बता दें कि सर्व शिक्षा अभियान मद से वेतन पाने वाले नियोजित शिक्षकों को तीन माह से वेतन नहीं मिला है. नियोजित शिक्षकों का दो साल से एरियर भी बकाया है. वह भी सरकार नहीं दे रही है. इससे उनके सामने आर्थिक समस्या उत्पन्न हो गई है. बिना पैसे के अपना या परिवार का समुचित इलाज तक नहीं करा पा रहे हैं.

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बिहार में 3.7 लाख नियोजित शिक्षक
बिहार में तकरीबन 3.7 लाख नियोजित शिक्षक कार्यरत हैं. शिक्षकों के वेतन का 70 प्रतिशत पैसा केंद्र सरकार और 30 फीसदी पैसा राज्य सरकार देती है. वर्तमान में नियोजित शिक्षकों (ट्रेंड) को 20 से 25 हजार रुपए तक वेतन मिलता है. शिक्षक समान कार्य के बदले समान वेतन की मांग कर रहे थे. अगर ये मांग पूरी होती तो शिक्षकों का वेतन 35 से 44 हजार रुपए हो सकता था.

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