पटना:बिहार विधानसभा चुनाव समय पर होंगें या नहीं, अभी इसपर संशय कायम है. लेकिन बिहार में लगभग सभी सियासी दल चुनावी मैदान में दो-दो हाथ करने की तैयारी जोर-शोर से कर रहे हैं. भाजपा की डिजिटल रैली के बाद से प्रदेश में सियासी सरगर्मी भी बढ़ गई है. सत्ता पक्ष से लेकर विपक्ष जनता को अपनी ओर ध्यान आकर्षित करने का पूरा जोर लगा रहा है.
जहां एक ओर जदयू अपने कार्यकर्ताओं से डिजिटल माध्यम से बात कर रही है. वहीं, विपक्ष भी जदयू के हर सवाल का बखूबी से जवाब दे रही है. इसी क्रम में राजद विधायक विजय प्रकाश ने नीतीश सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि ' लॉकडाउन के दौरान जब लाखों गरीब मजदूर सड़कों पर बेबस और लाचार थे. उस समय राज्य सरकार कहां थी. उस समय सरकार के कोई भी मंत्री डिजिटल माध्यम गरीबों से क्यों नहीं बात कर रही थी.
'लालू का नाम लेकर चुनाव जीतना चाहते हैं नीतीश'
राजद विधायक ने कहा कि जदयू के पास मजदूरों को लेकर कुछ भी बोलने को नहीं बचा है. सत्ता पक्ष जनता के कोप से काफी डरी हुई है. इस वजह से जदयू विधानसभा चुनाव को लालू का नाम लेकर जीतना चाहती है. लेकिन बिहार की जनता इनके मंसूबे को भांप चुकी है. जनता इनको इस साल के चुनाव में कामयाब नहीं होने देगी.
'प्रवासी मजदूरों को छोड़ा बेसहारा'
राजद नेता विजय प्रकाश ने बताया कि जदयू लालू प्रसाद का नाम लेकर जनता को डरा कर सत्ता में वापसी चाह रही है. क्वंरटाइन सेंटर में लोगों को रखने के नाम पर लूट किया गया है. जदयू अपने गलतियों को छिपाने के लिए राजद और लालू परिवार का सहारा ले रही है. लेकिन जिस तरह से राज्य के मजदूर और आम जनता को सरकार ने बेसहारा छोड़ दिया है और मजदूरों को अपराधी तक घोषित कर चुकी है. इसका जवाब जनता चुनाव में जरूर देगी. इस संकट काल में सरकार को राज्य की जनता के हित में काम करना चाहिए था. लेकिन सरकार और उनके मंत्री ओछी राजनीति कर रहे हैं.
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने की थी डिजिटल रैली
गौरतलब है कि बिहार विधानसभा चुनाव की आहट मिलते ही सबसे पहले केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने वर्चुअल रैली का आयोजन कर बिहार में चुनावी हलचल को तेज कर दिया था. हालांकि, भाजपा इस रैली को चुनावी नहीं मानती है. लेकिन बीजेपी की इस रैली के बाद ही राजद ने भी थाली-ताली पीटो कार्यक्रम का आयोजन भी किया था. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव खुद पूरे परिवार के साथ थाली बजाकर गरीबों के लिए खाना देने की मांग केंद्र और राज्य सरकार से की थी. वहीं, अनलॉक फेज एक में छूट मिलते ही जीतन राम मांझी समेत महागठबंधन के तमाम नेता भी विजिबल हो गए हैं.