पटनाः नीतीश कुमार अपने फैसले को लेकर जहां अडिग रहते हैं. वहीं, पार्टी में विरोध का झंडा उठाने वाले नेताओं को अलग-थलग कर अपनी छाप छोड़ जाते हैं. जेडीयू के लिए सिर दर्द बने पार्टी उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर और महासचिव पवन वर्मा पर बीजेपी कार्रवाई की मांग कर रही है. लेकिन जेडीयू का शीर्ष नेतृत्व चुप्पी साधे हुए है.
महागठबंधन से अलग होने पर शरद यादव और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने सवाल खड़े किए थे. जिसके बाद दोनों नेता पार्टी में साइड लाइन हो गए. वहीं, अब नीतीश के फैसले की खिलाफत कर रणनीतिकार प्रशांत किशोर और पूर्व राज्यसभा सांसद पवन वर्मा और एमएलसी गुलाम रसूल बलियावी सरीखे नेताओं ने एनडीए की मुश्किलें बढ़ा दी हैं.
बागी नेताओं को अलग-थलग करने की रणनीति
नीतीश कुमार के पुराने रिकार्ड को देख लगता है कि पवन वर्मा और प्रशांत किशोर को पार्टी में अलग-थलग किया जायेगा. इसके संकेत जेडीयू नेता भी देने लगे हैं. नीतीश कुमार बेलगाम नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाए रणनीति के तहत अलग-थलग छोड़ देते हैं या फिर नेता दूसरी राह पकड़ने के लिए मजबूर होते हैं. नीतीश कुमार जब से राष्ट्रीय अध्यक्ष बने हैं तब से किसी भी नेता को पार्टी से निलंबित नहीं किया गया है.
'बड़ बोले नेताओं पर सीएम करेंगे कार्रवाई'
बीजेपी बड़ बोले नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रही है. सीएए, एनपीआर और एनआरसी को लेकर जेडीयू के कई नेता लगातार बयानबाजी कर रहे हैं. बीजेपी प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने बताया कि सीएम नीतीश कुमार की नजर सभी नेताओं पर है और समय पर कार्रवाई भी की जाएगी.
बीजेपी प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल नीतीश ने दिया है संदेश
वहीं, जेडीयू नेता भी मानते हैं कि पार्टी के अंदर लोकतंत्र और सभी नेताओं को बोलने की आजादी है. प्रदेश प्रवक्ता राजीव रंजन ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि समय-समय पर नीतीश कुमार संदेश देते रहते हैं, लेकिन नेताओं को लक्ष्मण रेखा का ख्याल रखना चाहिए.
ईटीवी भारत भारत की रिपोर्ट कई नेताओं को किनारे लगा चुके हैं नीतीश
बता दें कि साल 2010 के करीब जदयू में अनुशासन समिति बनी और कुछ नेताओं के खिलाफ कार्रवाई भी हुई. लेकिन उसके बाद से आज तक किसी नेता के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं की गई है. नीतीश कुमार की रणनीति का शिकार होने वालों की फेहरिस्त लंबी है. जॉर्ज फर्नांडिस, पीके सिन्हा, शरद यादव, उपेंद्र कुशवाहा, उदय नारायण चौधरी समेत कई नेता हैं, जिन्हें अलग राजनीतिक राह पकड़नी पड़ी. बदली परिस्थितियों में अब पवन वर्मा और प्रशांत किशोर सरीखे नेता नीतीश कुमार की रणनीति का शिकार हो सकते हैं, नीतीश कुमार ने संकेत भी दे दिए हैं.