पटना:फसल चक्र के प्रक्रिया में बदलाव लाकर अब बिहार में खेती की तस्वीर बदलने की तैयारी शुरू हो गई है. सूबे में अनियमित वर्षा के कारणों से फसलों के उत्पादन में कमी को देखते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार को कृषि विभाग के शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक की. इस बैठक में नया फसल चक्र बनाने का जिम्मा 5 संस्थानों को देने पर सहमति बनी. बोरलॉग इंस्टीच्यूट फॉर साउथ एशिया, इंटरनेशनल मेज एंड व्हीट इंप्रूवमेंट सेंटर, आईसीएआर, बिहार एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी और राजेंद्र नगर एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी इसके लिए मिल कर काम करेगी.
पटना: बैठक में बोले नीतीश कुमार- क्रॉप सिस्टम में परिवर्तन से बदलेगी खेती की तस्वीर - patna today news
मुख्यमंत्री ने कहा उत्तर बिहार में बाढ़ की स्थिति में और दक्षिण बिहार में सुखाड़ की स्थिति में फसलों के चयन पर विशेष तौर पर ध्यान रखना होगा. जिले के कृषि विज्ञान केंद्र में फसल चक्र प्रदर्शन सबसे उपयुक्त होगा. जिससे किसान आकर आसानी से समझ सके की कौन सी फसल कब लगानी है. मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से कहा की जैविक खेती में भी क्रॉप सायकिल पर रिसर्च किया जाना चाहिए.
'जैविक खेती में भी क्रॉप सायकिल पर हो रिसर्च'
बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा उत्तर बिहार में बाढ़ की स्थिति में और दक्षिण बिहार में सुखाड़ की स्थिति में फसलों के चयन पर विशेष तौर पर ध्यान रखना होगा. जिले के कृषि विज्ञान केंद्र में फसल चक्र प्रदर्शन सबसे उपयुक्त होगा. जिससे किसान आकर आसानी से समझ सके की कौन सी फसल कब लगानी है. मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से कहा की जैविक खेती में भी क्रॉप सायकिल पर रिसर्च किया जाना चाहिए. राज्य में पहले से ही गंगा किनारे के 4 जिलों में सब्जी की जैविक खेती पर काम किया जा रहा है. नीतीश कुमार ने अधिकारियों को पुरानी परंपरागत फसलों पर भी रिसर्च करने की सलाह दी. बैठक में मुख्य सचिव दीपक कुमार, आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत और मुख्यमंत्री सचिवालय के अधिकारी मौजूद थे.
'वर्षा के अनुकूल फसल चक्र अपनाना जरूरी'
अधिकारियों से समीक्षा बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से कहा कि राज्य के किसानों की आर्थिक स्थिति फसलों के बेहतर उत्पादन पर ही निर्भर है. पिछले कुछ वर्षों से राज्य में वर्षा कम हो रही है. जिसका असर कृषि पर पड़ा है. वर्षा की मात्रा के अनुकूल फसल चक्र अपनाना जरूरी है. मुख्यमंत्री ने कहा कि फसल चक्र कार्यक्रम के तहत होने वाले डेमोंसट्रेशन के लिए जिलों का खास आधार पर होना चाहिए. उन्होंने कहा कि स्थानीय जरूरतों के अनुरूप फसलों की वैरायटी को प्राथमिकता में रखते हुए रिसर्च करने की जरूरत है.