पटना:आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) के जेल से बाहर आने के बाद से बिहार में विपक्ष का जोश हाई है. लगातार दावे किए जा रहे हैं कि एनडीए(NDA) में बिखराव होगा और महागठबंधन की सरकार बनेगी. वहीं, जेडीयू विधायकों में टूट के आरजेडी के दावे के बाद नीतीश कुमार(Nitish Kumar) भी कांग्रेस (Congress) के विधायकों को साधने में जुट गए है.
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विधायकों के पाला बदलने की चर्चा
चर्चा है कि आरजेडी के प्रयासों के बीच जेडीयू ने भी बिहार कांग्रेस में सेंधमारी की कोशिशें शुरू कर दी है. कांग्रेस के 19 विधायकों में बड़ी टूट की रणनीति तैयारी की जा रही है. अगर 13 विधायक साथ आते हैं तो उनकी सदस्यता भी बच जाएगी.
तीसरी बार तोड़फोड़ की कोशिश
जेडीयू तीसरी बार कांग्रेस को तोड़ने की कोशिश में है. एक बार तो उसे कामयाबी भी मिल चुकी है. पार्टी ने अशोक चौधरी के नेतृत्व में चार विधान पार्षदों को अपने साथ लाने में सफलता हासिल की थी. हालांकि विधायकों को तोड़ने में नीतीश कुमार दूसरी बार नाकामयाब साबित हुए थे. संख्या बल पूरे नहीं होने के चलते तब टूट टल गई थी. किसी भी दल में टूट को वैधानिक दर्जा दिलाने के लिए दो तिहाई विधायकों की संख्या होनी चाहिए. ऐसे में कांग्रेस पार्टी में फिलहाल 19 विधायक हैं और अगर 13 विधायक टूटते हैं तभी विधायकों की सदस्यता बच सकती है.
अजीत शर्मा समेत कई पर नजर
कहा जा रहा है कि 19 विधायकों में 12 विशुद्ध रूप से कांग्रेसी हैं. जबकि 7 विधायक ऐसे हैं, जिनका दलबदल का इतिहास रहा है. वह कई पार्टियों में घूम कर आए हैं. कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सदानंद सिंह और वर्तमान विधायक दल के नेता अजीत शर्मा की नीतीश कुमार से नजदीकियां जगजाहिर है. सदानंद सिंह तो चुनाव हार गए हैं, लेकिन अजीत शर्मा नीतीश खेमे में जा सकते हैं. कांग्रेस पार्टी ने उन्हें विधायक दल का नेता बना कर बड़ा दांव भी खेला है, बावजूद इसके खतरा बना हुआ है.
इसके अलावे भी कांग्रेस के कई विधायकों की नीतीश कुमार से नजदीकी रही है, इनमें कुछ नाम हैं:
- बक्सर के विधायक मुन्ना तिवारी की अशोक चौधरी से नजदीकियां जगजाहिर है.
- वहीं, मनिहारी के विधायक मनोहर प्रसाद सिंह की भी नीतीश कुमार से नजदीकी रही है. 2010 में मनोहर प्रसाद सिंह जेडीयू के टिकट पर चुनाव जीते थे और 2015 में नीतीश कुमार की सहमति पर कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े थे.
- मुजफ्फरपुर से वीरेंद्र चौधरी चुनाव जीते हैं और यह भी 2015 में जेडीयू के टिकट से चुनाव हार चुके हैं. इन्होंने सुरेश शर्मा को चुनाव हराया है.
- राजपुर के विधायक विश्वनाथ राम 2015 में बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़े थे और हार गए थे. 2020 चुनाव में टिकट नहीं मिलने पर कांग्रेस ज्वाइन की और विधायक बने.
- विक्रम से विधायक सिद्धार्थ भी पाला बदल सकते हैं. सिद्धार्थ दूसरी बार चुनाव जीते हैं.
- जमालपुर के विधायक डॉ. अजय कुमार सिंह पर भी दांव लगाया जा सकता है.