पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) औरलोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान (Chirag Paswan) के बीच अदावत जग जाहिर है. विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान ने नीतीश कुमार को नुकसान पहुंचाने में पूरी ताकत लगा दी थी. नीतीश ने भी चिराग के राजनीतिक करियर पर ग्रहण लगाने के लिए ताकत झोंक दी. लोजपा में टूट भी हुई, लेकिन नीतीश के हाथ खाली रह सकते हैं.
यह भी पढ़ें-LJP Split Live Update: पशुपति पहुंचे पटना, चिराग ने कहा- 'जब मैं बीमार था, तब पीठ पर छूरा घोंपा गया'
बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान जदयू और लोजपा में जो तकरार थी उसका नतीजा सामने आने लगा है. चिराग ने जहां चुनाव के दौरान नीतीश को राजनीतिक तौर पर नुकसान पहुंचाया. वहीं, नीतीश भी चिराग को डैमेज करने के लिए प्रयत्नशील थे. इसमें जदयू को कुछ हद तक सफलता भी मिली.
लोजपा सांसदों को जदयू में शामिल कराने की थी तैयारी
पशुपति पारस के नेतृत्व में लोजपा के 5 सांसदों ने बगावत कर दिया. पशुपति के नेतृत्व में 5 सांसद अलग हो गए और लोकसभा अध्यक्ष ने उन्हें मान्यता दे दी. आनन-फानन में जदयू नेता दिल्ली पहुंचे. सांसद ललन सिंह बागी नेताओं के संपर्क में थे. जदयू की मंशा थी कि तमाम बागी सांसदों को पार्टी में शामिल करा लिया जाए. ऐसा होता तो बिहार में जदयू के 21 सांसद हो जाते. वह बड़े भाई की भूमिका में आ जाता.
भाजपा ने समझा मौके की नजाकत
भाजपा के शीर्ष नेताओं ने मौके की नजाकत को समझा और पशुपति पारस के नेतृत्व में सांसदों को जदयू में जाने से रोक लिया. सूत्र बताते हैं कि भाजपा यह कतई नहीं चाहती थी कि बिहार में जदयू के भाजपा से ज्यादा सांसद हो जाएं. अगर ऐसा होता तो कैबिनेट में अधिक सीट की मांग जदयू द्वारा की जाती. गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी को 17, जेडीयू को 16 और एलजेपी को 6 सीटों पर जीत मिली थी.