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मंत्रिमंडल विस्तार में जातिगत समीकरण बिठाना 'टेढ़ी खीर', कैबिनेट में कौन होगा मुस्लिम चेहरा?

खबर है कि जल्द ही बिहार सरकार के मंत्रिमंडल का विस्तार होगा. ऐसे में जातिगत समीकरण बिठाने को लेकर सीएम नीतीश कुमार को काफी मेहनत करनी पड़ रही है. पढ़ें पूरी खबर...

नीतीश सरकार
नीतीश सरकार

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Published : Nov 29, 2020, 3:29 PM IST

Updated : Nov 29, 2020, 5:19 PM IST

पटना: बिहार सरकार में मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर माथापच्ची का दौर शुरू हो गया है. जातिगत समीकरण बिठाने को लेकर एनडीए सरकार में चेहरों की तलाश जारी है. सूत्रों की मानें तो मंत्रिमंडल में जातीय समीकरण के लिए सीएम नीतीश कुमार को काफी मशक्कत करनी पड़ रही है.

बिहार में एनडीए बहुमत के साथ सरकार बना चुकी है. भाजपा 74, जदयू 43 और वीआईपी 4 और हम पार्टी 4 सीट लाकर बहुमत के साथ सरकार में शामिल हैं. 43 सीट लाने के बावजूद नीतीश कुमार को सीएम बनाया गया है. वर्तमान में जेडीयू कोटे से विजेंद्र यादव, विजय चौधरी, अशोक चौधरी, शीला कुमारी को कैबिनेट में शामिल किया गया है. आरोपों से घिरे मेवालाल इस्तीफा देकर मंत्रिमंडल से बाहर हो चुके हैं.

जेडीयू के ये मंत्री हार गए चुनाव

नाम मंत्रालय वर्ग
कृष्ण नंदन वर्मा पूर्व शिक्षा मंत्री पिछड़ा
संतोष कुमार निराला पूर्व परिवहन मंत्री दलित
लक्ष्मेश्वर राय पूर्व आपदा मंत्री अतिपिछड़ा
शैलेश कुमार पूर्व ग्रामीण कार्य मंत्री पिछड़ा
खुर्शीद अहमद पूर्व अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मुस्लिम
जय कुमार सिंह पूर्व उद्योग मंत्री सवर्ण
रमेश ऋषिदेव पूर्व एससी एसटी कल्याण मंत्री एसटी

वहीं, पूर्व पंचायती राज मंत्री कपिलदेव कामत का निधन हो गया है. जो अतिपिछड़ा वर्ग से आते थे.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इन 8 मंत्रियों की जगह पर नए चेहरे की तलाश में जुटे हैं. हालांकि, कम सीटों के बावजूद जेडीयू ने अपने कोटे के 7 विभागों को भाजपा और हम के बीच बांट दिया है, जिसमें आपदा, इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी, पंचायती राज, उद्योग, एससीएसटी कल्याण, गन्ना उद्योग और कानून मंत्रालय है.

जेडीयू के 1 दर्जन विधायक बनेंगे मंत्री!
सूत्रों की मानें तो अभी जदयू तकरीबन एक दर्जन विधायकों को मंत्री बना सकती है. लेकिन नीतीश कुमार के कई विश्वासी और पुराने चेहरे के हारने के बाद मंत्रिमंडल विस्तार में नए नामों को लेकर काफी मंथन किया जा रहा है.

सबसे बड़ा मसला शिक्षा विभाग का अटक गया है, जिस तरह से मेवालाल चौधरी को मंत्रिमंडल से बाहर करते हुए शिक्षा विभाग का अतिरिक्त प्रभार अशोक चौधरी को बनाया गया है. उसके बाद कुशवाहा समाज के नेता की खोज होनी शुरू हो गई है. हालांकि, वर्तमान में मेवालाल चौधरी के अलावा कुशवाहा समाज से 3 विधायक हैं. जिनमें हरलाखी से सुधांशु शेखर, बिहारीगंज से निरंजन मेहता और अमरपुर से जयंत राज है. लेकिन नीतीश कुमार किसे शिक्षा विभाग देंगे यह अभी तय नहीं.

लेसी सिंह का नाम भी रेस में!
वहीं राजपूत कोटे से जदयू से मात्र 2 विधायकों ने जीत दर्ज की है. जिसमें वाल्मीकि नगर से धीरेंद्र प्रताप और धमदाहा से लेसी सिंह है. अब देखना यह होगा कि नीतीश कुमार इन दो विधायकों में किसी को मंत्रिमंडल में शामिल करते हैं या फिर कोई नया समीकरण बनाते हैं. हालांकि, सूत्रों की मानें तो लेसी सिंह प्रबल दावेदार हैं क्योंकि उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल करने से नीतीश कुमार को सवर्ण कार्ड के साथ महिला कार्ड का भी फायदा मिलेगा.

विपक्ष साध चुका है निशाना
मंत्रिमंडल बनाए जाने के बाद विपक्ष ने सरकार पर अल्पसंख्यकों को लेकर निशाना साधा था. ऐसे में अल्पसंख्यक समाज से एक भी मुस्लिम चेहरा नहीं जीतने के कारण नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल में मुस्लिम चेहरा कौन शामिल होगा या अभी तय नहीं है. खबरें या भी आ रही है कि बसपा के विधायक जमां खान नीतीश के मंत्रिमंडल में शामिल हो सकते हैं.

हालांकि, नीतीश के पिछले सरकार के कई मंत्री जो जीत दर्ज चुके हैं. उन्हें इस बार कैबिनेट का हिस्सा नहीं बनाया गया है. तो उम्मीद की जा रही है कि पुराने तमाम चेहरों को नीतीश कुमार अपनी कैबिनेट में शामिल करते हुए नए चेहरों को भी सरकार में लाएंगे. शनिवार को सीएम आवास पर पार्टी के कई नेताओं ने बैठकर मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर चर्चा की है. सूत्रों की मानें तो जल्द ही मंत्रिमंडल का विस्तार होगा और सरकार का पूरा स्वरूप जनता के सामने होगा. खबर यह भी है कि कई वरिष्ठ नेताओं को विधान पार्षद का सदस्य बनाकर मंत्रिमंडल में शामिल कराया जा सकता है.

Last Updated : Nov 29, 2020, 5:19 PM IST

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