पटना :बिहार के सारण जिले में जहरीली शराब कांड में करीब 73 लोगों की मौत हुई. इसी दौरान महागठबंधन और एकमात्र विपक्षी दल भाजपा के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया. इसी दौरान बिहार के सीएम नीतीश कुमार(CM Nitish Kumar) ने 'जो पिएगा वो मरेगा' टिप्पणी की, अब उन्हें ये टिप्पणी परेशान कर सकती है.
ये भी पढ़ें:'CM नीतीश कुमार गुंडों की भाषा बोलते हैं, उन्होंने RJD का पूरा चरित्र ले लिया': सम्राट चौधरी
बीजेपी का नीतीश कुमार पर हमला:राज्य में सात दलों की सरकार जहां यह दावा कर रही है कि भाजपा अपने राजनीतिक हितों के लिए संवैधानिक संस्थाओं का इस्तेमाल कर रही है, वहीं भगवा दल ने नीतीश कुमार सरकार को आम आदमी के प्रति असंवेदनशील करार दिया है. राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए भाजपा के ओबीसी विंग के राष्ट्रीय महासचिव और पार्टी प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा कि जहरीली त्रासदी नीतीश सरकार की स्पष्ट विफलता है और आम लोग इसके शिकार हैं. मृतकों में से कई अकेले कमाने वाले थे. शराब माफियाओं के अवैध कारोबार को रोकने में राज्य सरकारी नाकाम रही है.
निखिल आनंद ने कहा कि जहरीली शराब कांड में मारे गए लोगों के परिवारों पर भुखमरी का खतरा मंडरा रहा है. ऊपर से राज्य के मुख्यमंत्री कह रहे हैं 'जो पिएगा वो मरेगा'. राज्य सरकार ने पीड़ितों के परिवारों को मुआवजा देने से इनकार कर दिया. उन्होंने पूछा कि उन परिवारों का क्या दोष है, जिन्होंने अपने कमाने वाले को खो दिए हैं.
आनंद ने आगे कहा कि राज्य सरकार दावा कर रही है कि जहरीली शराब के कारण केवल 42 मौतें हुईं, जिसका मतलब है कि अधिकारियों ने केवल 42 शवों का पोस्टमार्टम किया है, जबकि स्थानीय गांवों ने दावा किया कि 200 से अधिक लोगों ने इस त्रासदी में अपनी जान गंवाई और उनका अंतिम संस्कार किया गया.
उन पीड़ितों का क्या हुआ जिन्हें राज्य सरकार ने मान्यता नहीं दी? कई पीड़ितों के पास शवों का दाह संस्कार करने के लिए पैसे नहीं थे. राज्य सरकार जो कबीर अंत्येष्टि योजना के तहत शवों का अंतिम संस्कार नहीं कर पाने वाले परिवारों को 3000 रुपये देती थी, वह भी जहरीली शराब त्रासदी के पीड़ितों के परिवारों को नहीं दिया गया. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार सरकार मरने वालों की संख्या छिपा रही है. यह मानवाधिकारों का स्पष्ट हनन है और इसलिए एनएचआरसी मृतकों की वास्तविक संख्या का पता लगाने के लिए घटना की जांच कर रहा है.
सीएम नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव और महागठबंधन के अन्य नेता आरोप लगा रहे हैं कि एनएचआरसी की टीम गुजरात, मध्य प्रदेश, हरियाणा और कर्नाटक क्यों नहीं गई. अन्य राज्यों में जहरीली शराब की घटनाओं की तुलना बिहार से करना उचित नहीं है.