पटना: नीतीश कुमार (Nitish Kumar) को बिहार सरकार (Bihar Government) की बागडोर तो चाहिए, लेकिन सरकारी व्यवस्था का इलाज नहीं चाहिए. वहीं, तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) चाचा को गद्दी से उतारकर सत्ता तो पाना चाहते हैं, लेकिन सरकारी व्यवस्था (Government System) का इलाज नहीं चाहते हैं. बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर दोनों चाचा-भतीजा एक साथ नजर आते हैं, ये बात इसलिए भी हो रही है, क्योंकि दोनों को ही सरकारी अस्पतालों पर भरोसा नहीं है.
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एक राह पर चाचा और भतीजा
लोकतांत्रिक व्यवस्था में यह कहा जाता है कि विपक्ष जनता की आवाज होता है. लेकिन बिहार में यह सब कुछ बेमानी है. दरअसल, बिहार की राजनीति में चाचा और भतीजे के गठजोड़ की जो राजनीतिक कहानी लिखी जा रही है, उसमें एक-दूसरे के कदम पर चलने की रिश्ते वाली वह कसम है कि अगर चाचा डाल-डाल तो भतीजा पात-पात.
सरकारी व्यवस्था पर नहीं है विश्वास
ये बात इसलिए शुरू हो रही है क्योंकि नीतीश कुमार कहते हैं कि बिहार में सब कुछ बदल गया, अस्पतालों में सब कुछ ठीक है. तेजस्वी यादव कहते हैं कि बिहार में विकास हुआ ही नहीं और जो कुछ हुआ भी था वह उनके पिताजी ने किया था. लेकिन, एक ऐसी भी कड़ी है जहां नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव एक ही जगह आकर खड़े होते हैं और वह है बिहार के सरकारी अस्पतालों पर उनका भरोसा. नीतीश कुमार को बिहार के सरकारी अस्पताल पर भरोसा नहीं है, तो नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव भी सरकारी व्यवस्था पर कतई विश्वास नहीं करते हैं.
तेजस्वी और तेज प्रताप ने लगाया टीका
दरअसल, यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि एक लंबी लड़ाई के बाद तेजस्वी यादव ने कोरोना वैक्सीन का टीका अपने बड़े भाई तेज प्रताप के साथ लगवा लिया. अफवाहों पर ध्यान न देना, कई तरह की बीमारियां टीका लगवाने से नहीं होती हैं, इन तमाम बड़े सरकारी दावों के बाद भी अपनी निजी राजनीतिक जिद्द में दोनों भाई सियासत में अलग-अलग बात कहते रहे, लेकिन जब उनकी बातों पर सियासत होने लगी तो उन्होंने कोविड-19 का टीका लगवा लिया.
वैक्सीनेशन के बाद सवालों के घेरे में तेजस्वी
लेकिन, जिस कोरोना वैक्सीन को तेजस्वी और तेजप्रताप ने लगवाया उससे एक बार फिर सवाल उठ खड़ा हुआ है. बिहार की जनता ठगी सी महसूस कर रही है कि जिस गरीब बिहार की दुहाई देकर लालू यादव 'गैया भैंसिया मुनिया मुनिया' की बात करते हैं, उनके बेटे विदेशी टीका लगाते हैं. भारत के टीके पर उन्हें भरोसा नहीं है. चलिए यह बात तो इस आधार पर भी कही जा सकती है, इसे मान्यता भारत सरकार ने ही दी है तो इसलिए विदेशी टीके को लगवाना भी कोई गलत बात नहीं है.