बिहार

bihar

ETV Bharat / state

सेकुलर इमेज बचाना चाह रहे हैं नीतीश, मुस्लिम विधायकों पर डाल रहे हैं डोरे, बनाएंगे मंत्री - CM nitish kumar

नीतीश का मुस्लिम प्रेम जगजाहिर है. लेकिन मुस्लिम वोटर अब नीतीश कुमार से मुंह मोड़ रहे हैं. विधानसभा चुनाव में 11 में से एक भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं जीते थे. इसके बावजूद वे मुस्लिम विधायक को पार्टी में ले रहे हैं. एआईएमआईएम पार्टी के विधायकों से मिल रहे हैं.

नीतीश का मुस्लिम प्रेम
नीतीश का मुस्लिम प्रेम

By

Published : Feb 5, 2021, 8:12 PM IST

Updated : Feb 5, 2021, 9:19 PM IST

पटनाः बिहार में नीतीश कुमार का अल्पसंख्यक प्रेम बीजेपी के साथ गठबंधन के बाद भी छिपा नहीं है. नीतीश अपने आप को सेकुलर दिखाने के लिए काफी कुछ करते थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, उस समय उनके साथ फोटो भी खिंचाने से बचते थे. मुस्लिम वोटर की जो भी उम्मीदें थीं, वो धीरे-धीरे टूटती चली गईं. नतीजा ये हुआ कि इस बार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार के 11 में से एक भी मुस्लिम उम्मीदवार जीत नहीं सके. उसके बावजूद नीतीश कुमार का अल्पसंख्यक प्रेम खत्म नहीं हुआ है.

अभी भी मुस्लिमों को रिझाने के लिए दूसरे दल के मुस्लिम नेताओं पर डोरे डाल रहे हैं. उन्हें पार्टी में शामिल करा रहे हैं. इतना ही नहीं, उनको मंत्री बनाने तक की चर्चा होने लगी है.

नीतीश कुमार रमजान में इफ्तार पार्टी में शामिल होते हैं.

नीतीश अपना सेकुलर इमेज बनाए रखने की कर रहे कोशिश
बिहार में विधानसभा चुनाव हो चुके हैं. फिलहाल न तो लोकसभा के चुनाव है और न ही विधानसभा के चुनाव. पंचायत चुनाव जरूर है. लेकिन नीतीश कुमार की अल्पसंख्यकों को रिझाने की कोशिश खत्म नहीं हुई है. आरजेडी से अलग होने के बाद नीतीश से अल्पसंख्यकों ने मुंह मोड़ लिया है. साथ ही विधानसभा चुनाव में जबरदस्त झटका भी दिया है. जबकि लगातार नीतीश कहते रहे हैं कि मुस्लिमों के लिए सबसे ज्यादा काम उन्होंने ही किया है.

देखें रिपोर्ट

ये भी पढ़ें- पूर्णिया: शिक्षा विभाग का नया कारनामा, परीक्षार्थी का बदल दिया जेंडर

एक भी उम्मीदवार जीत ना सके
नीतीश ने अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के बजट की राशि कई गुना बढ़ा दी है. अल्पसंख्यक छात्रों के लिए वजीफा दिया है. रोजगार शुरू करने के लिए भी ब्याज मुक्त राशि की व्यवस्था की है. मदरसा में काम करने वाले शिक्षकों के लिए भी सभी तरह की सुविधा मुहैया कराई है. लेकिन इसके बावजूद नीतीश कुमार को विधानसभा चुनाव में बड़ा झटका लगा. 11 में से एक भी मुस्लिम उम्मीदवार जीत नहीं सके. हालांकि इससे भी नीतीश का मुस्लिम प्रेम खत्म नहीं हो रहा है.

बिहार में मुसलमान

ये भी पढ़ें- भारत रत्न के लायक नहीं सचिन तेंदुलकर, हुआ सम्मान का अपमान: शिवानंद

सेकुलर चेहरा दिखाने की करते रहे हैं कोशिश
असल में नीतीश अपना सेकुलर चेहरा दिखाने की पहले भी कोशिश करते रहे हैं. और अब एक बार फिर से बसपा के एकमात्र विधायक जमा खान को अपनी पार्टी में शामिल करा लिया. एआईएमआईएम के विधायकों से घंटों मुलाकात करते हैं. अब जमा खान को मंत्री बनाने की भी चर्चा हो रही है. पार्टी के मुस्लिम चेहरा गुलाम रसूल बलियावी का कहना है कि नीतीश कुमार को किसी पर डोरे डालने की जरूरत नहीं है.

गुलाम रसूल बलियावी, विधान पार्षद जदयू

'हमारे नेता हमेशा कहते रहे हैं. वोट की नहीं वोटर की हम परवाह करते हैं. नीतीश कुमार को किसी पर डोरे डालने की जरूरत नहीं है,'-गुलाम रसूल बलियावी,विधान पार्षद जदयू

नेहाल उद्दीन, आरजेडी विधायक

'नीतीश कुमार पर मुस्लिम अब कभी विश्वास नहीं कर सकता है. मुसलमानों के लिए उन्होंने कुछ नहीं किया. कुछ भी कर लें उन्हें उसका लाभ नहीं मिलने वाला है.'-नेहाल उद्दीन, आरजेडी विधायक

प्रेम रंजन पटेल, बीजेपी प्रवक्ता

'वोट नहीं मिला इसलिए किसी को छोड़ नहीं सकते हैं. भविष्य के लिए भी तो चिंता करनी है.'-प्रेम रंजन पटेल, बीजेपी प्रवक्ता

'नीतीश कुमार सेकुलर इमेज को लेकर बहुत कॉन्सस रहते हैं. ठीक है 11 उम्मीदवार जीत नहीं पाया. लेकिन बसपा के विधायक को ले आए हैं. और उन्हें मंत्री भी इसीलिए बना सकते हैं.'-अरुण पांडे वरिष्ठ पत्रकार

अरुण पांडे, वरिष्ठ पत्रकार

तीसरे नंबर की पार्टी बन गई जदयू
मुस्लिमों के मुंह मोड़ लेने के कारण ही जदयू को कई सीटों पर झटका लगा है. और इस बार तीसरे नंबर की पार्टी जदयू बन गई है. पिछले 15 सालों में पहली बार ऐसा हो रहा है कि बीजेपी बड़े भाई की भूमिका में दिख रही है. बीजेपी को इस बार 74 सीट मिला है. जबकि जदयू को केवल 43 सीट. हालांकि बसपा विधायक के आने से संख्या बढ़कर 44 हो गयी है. नीतीश इस कुनबा को बढ़ाना चाहते हैं.

ये भी पढ़ें- पटना: BDO के साथ मारपीट की DM ने की जांच, नामांकन रद्द करने की प्रकिया को बताया सही

विधायक नहीं जीतने पर भी बना सकते हैं मंत्री
बिहार में मुस्लिमों की आबादी लगभग 17 प्रतिशत के आसपास है. सीमांचल के अररिया, किशनगंज जैसे जिलों में आबादी इनकी सबसे अधिक है. इसके अलावा कटिहार, पूर्णिया, दरभंगा, मधुबनी में भी मुस्लिमों की आबादी अच्छी खासी है. लेकिन नीतीश जब से आरजेडी से अलग हुए हैं, लगातार प्रयास कर रहे हैं कि इन क्षेत्रों में पार्टी का पुराना जनाधार प्राप्त हो. लोकसभा चुनाव में भी यहीं से एकमात्र सीट पर हार मिली. विधानसभा चुनाव में तो एक भी मुस्लिम विधायक नहीं जीत पाया. लेकिन उसकी भरपाई करने की कोशिश में नीतीश जुटे हैं.

Last Updated : Feb 5, 2021, 9:19 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details