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Bihar Politics: 'बंगलुरु में हाशिये पर रहेंगे नीतीश, कांग्रेस ड्राइविंग सीट पर'- सुशील कुमार मोदी - बंगलुरु में हाशिये पर रहेंगे नीतीश

लोकसभा चुनाव में अब सिर्फ 8-9 महीने की बच गए हैं. यही वजह की इस बार नरेंद्र मोदी को हराने के लिए विपक्षी दल एक होने की तैयारी में जुटे है. बेंगलुरु में विपक्षी एकता की दूसरी बड़ी बैठक हो रही है. बिहार के सीएम नीतीश कुमार इस एकता के बड़े चहरे हैं, लेकिन बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और बीजेपी नेता सुशील मोदी ने कहा है कि इस एकजुटता में नीतीश कुमार अब हाशिये पर आ गए हैं..

सुशील कुमार मोदी
सुशील कुमार मोदी

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Published : Jul 18, 2023, 9:33 AM IST

पटनाः बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदीने कहा है कि विपक्षी एकता की पहली और दूसरी बैठक के बीच मात्र 24 दिनों के अंदर नीतीश कुमार हाशिये पर आ गए, शरद पवार की पार्टी टूट गई. कांग्रेस ड्राइविंग सीट पर आ गई और बिहार-यूपी में जीतन राम मांझी, ओम प्रकाश राजभर, चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा के एनडीए की ओर आने से विपक्ष कमजोर हो गया है.

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"विपक्षी एकता की बंगलुरु बैठक में जिन आठ नए दलों के जुड़ने की बात कही जा रही है, उनमें चार केरल और चार तमिलनाडु के छोटे-छोटे दल हैं. दक्षिण भारत के जिन दो राज्यों में भाजपा का प्रभाव बहुत कम है, वहां के इन चंद दलों के विपक्ष के साथ जुड़ने न जुड़ने से राष्ट्रीय स्तर पर एनडीए को कोई फर्क पड़ने वाला नहीं"- सुशील कुमार मोदी, राज्यसभा सांसद

'विपक्षी एकता की बैठक का कोई असर नहीं': सुशील मोदी ने विपक्षी एकता की बैठक पर तंज कसते हुए कहा कि अपना घर ठीक करने और टूट का घाव भरने में लगे शरद पवार बंगलुरु पहुचेंगे भी या नहीं, ये कहना कठिन है. दक्षिण के छिटपुट दलों के जुड़ने से राष्ट्रीय राजनीति पर कोई असर नहीं पड़ेगा. यह केवल परसेप्शन बनाने का खेल है. उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी बंगलुरु बैठक में भाग लेंगी, लेकिन सोनिया गांधी की दावत में शामिल न होकर एकता में पड़ी गांठें भी जाहिर करेंगी.

ममता बनर्जी पर भी किया कटाक्ष: सुशील मोदी यहीं नहीं रुके उन्होंने ममता बनर्जी पर भी कटाक्ष करते हुए कहा कि ये वही ममता दीदी हैं, जिनके पश्चिम बंगाल में हाल के पंचायत चुनाव में भाजपा ही नहीं, कांग्रेस-माकपा के भी दर्जनों कार्यकर्ताओं की हत्या हुई, लेकिन किसी विपक्षी नेता को लोकतंत्र की हत्या नहीं दिखी. उन्होंने कहा कि विपक्षी एकता के नाम पर केवल भाजपा-विरोध की राजनीति हो रही है. सब अपना-अपना भ्रष्टाचार और परिवारवादी पार्टी का अस्तित्व बचाने में लगे हैं.

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