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इंदिरा गांधी, मनमोहन सिंह, अमर्त्य सेन जिस शोध संस्थान से जुड़े रहे, नीतीश सरकार उसे बना रखा है पंगु - AN Institute patna

एएन इंस्टीट्यूट के नाम से प्रसिद्ध बिहार के नामचीन शोध संस्थान से नीतीश सरकार ने साइकिल योजना से लेकर कई अन्य योजनाओं की रिपोर्ट तैयार करवाई थी. लेकिन नीतीश इस संस्थान को लेकर लंबे समय से उदासीन है. पिछले 2 साल से एक डायरेक्टर तक इस संस्थान को नहीं दे पा रही है. अधिकारियों के भरोसे इस संस्थान को चलाया जा रहा है.

Nitish government Indifference
Nitish government Indifference

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Published : Jan 20, 2021, 1:13 AM IST

Updated : Jan 20, 2021, 3:21 AM IST

पटना: बिहार के सबसे बड़े शोध संस्थान अनुग्रह नारायण सिन्हा इंस्टीट्यूट को नीतीश सरकार ने पंगु बना कर रखा है. पिछले 2 साल से एक डायरेक्टर तक इस संस्थान को नहीं दे पा रही है. अधिकारियों के भरोसे इस संस्थान को चलाया जा रहा है. ए एन सिन्हा इंस्टीट्यूट का नाम इंदिरा गांधी, मनमोहन सिंह, अमर्त्य सेन जैसे शख्सियतों से भी जुड़ा है. बावजूद सरकार इसको लेकर गंभीर नहीं है.

नामचीन शोध संस्थान के साथ नीतीश सरकार उदासीन
ए एन इंस्टीट्यूट के नाम से प्रसिद्ध बिहार के नामचीन शोध संस्थान से नीतीश सरकार ने साइकिल योजना से लेकर कई अन्य योजनाओं की रिपोर्ट तैयार करवाई थी. लेकिन नीतीश इस संस्थान को लेकर लंबे समय से उदासीन है. आद्री जैसी संस्था की भूमिका लगातार बढ़ती गई और एन सिन्हा इंस्टिट्यूट को सरकार एक डायरेक्टर तक सही ढंग से नहीं दे पाई.

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शोध के प्रति गंभीर नहीं है सरकार
'जिस संस्थान के साथ इंदिरा गांधी, मनमोहन सिंह, अमर्त्य सेन, सच्चिदानंद सिन्हा जैसे शख्सियत का नाम जुड़ा हो सरकार ने उसे बर्बाद करके रख दिया है. नीतीश सरकारके पास ऐसा कोई शोध संस्थान नहीं है. जो किसी भी योजना को लेकर सही मूल्यांकन कर सके. नीतीश कुमार शोध के प्रति गंभीर है ही नहीं और उसका का जीता जागता उदाहरण एन सिन्हा इंस्टिट्यूट है. बिहार के लिए इससे अधिक शर्मनाक बात हो ही नहीं सकती कि इतने नामचीन संस्था को सरकार एक निदेशक तक नहीं दे पा रही है.'- प्रो. एनके चौधरी, पूर्व प्रचार्य

प्रो. एनके चौधरी, पूर्व प्रचार्य

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सरकार को सही निदेशक की तलाश!
'सरकार प्रक्रिया तो चला रही है लेकिन कमेटी को उसके हिसाब से सही निदेशक नहीं मिल पा रहा है. अब फिर से प्रक्रिया चल रही है. वहीं, निदेशक नहीं रहने से संस्थान के एकेडमिक कार्यक्रमों पर जबरदस्त असर पड़ रहा है. केवल निदेशक ही नहीं चेयरमैन भी एकेडमिक जगत का हो तो संस्थान के लिए बेहतर होता.'- डीएम दिवाकर, पूर्व निदेशक, एन सिन्हा इंस्टीट्यूट

डीएम दिवाकर, पूर्व निदेशक, एन सिन्हा इंस्टिट्यूट

संस्थान के निदेशक के साथ चेयरमैन खोजने में भी सरकार की उदासीनता देखते बन रही है. शिक्षा मंत्री के पास संस्थान का चेयरमैन की कुर्सी लंबे समय से रहा है और डायरेक्टर की कुर्सी प्रभार में बिहार सरकार के अधिकारी के पास. यानी कुल मिलाकर नीतीश कुमार अपने मन के अनुसार बिहार ही नहीं देश के नामचीन संस्थान को चलाते रहे हैं.

Last Updated : Jan 20, 2021, 3:21 AM IST

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