पटना:जनता दल यूनाइटेडके प्रशिक्षणमहामंथन अभियान में कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया जा रहा है. कर्पूरी सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम में कार्यकर्ताओं को राजनीति के गुर सिखाये जा रहे हैं. साथ ही जनता से कैसे तालमेल बैठाये इसकी भी जानकारी दी जा रही है. 3 दिनों के इस प्रशिक्षण में लोकसभा प्रभारी, जिलाध्यक्षों और जिला प्रवक्ताओं को पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रशिक्षित कर रहे हैं.
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बड़ी तैयारी में जदयू
बिहार विधानसभा चुनाव में जदयू के 43 सीटों पर सिमट जाने के बादनीतीश कुमार ने कई बड़े कदम उठाए हैं और अब पार्टी प्रशिक्षण के माध्यम से कार्यकर्ताओं को धारदार बनाने में लगी है. जानकार भी बताते हैं कि जदयू में इतने बड़े बदलाव पहले कभी नहीं हुए. पार्टी अभी से अपने आप को पूरी तरह तैयार करने में लगी है. यह भी पढ़ें- नीतीश के मंत्री रामसूरत राय का दावा- 'मुजफ्फरपुर में शराब पीने से ही गई 5 लोगों की जान'
प्रशिक्षण महामंथन अभियान
जदयू में प्रशिक्षण का रविवार को दूसरा दिन है. प्रशिक्षण कार्यक्रम के बहाने जदयू अपने संगठन को मजबूत करने के साथ धारदार बनाने में लगी है. - जदयू ने विधानसभा चुनाव में 43 सीटों पर सिमट जाने के बाद कई अहम फैसले लिए हैं...
- सबसे पहले राष्ट्रीय कार्यकारिणी और परिषद की बैठक में नीतीश कुमार ने राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद छोड़ दिया और आरसीपी सिंह को नया राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया.
- राज्य कार्यकारिणी की बैठक में वशिष्ठ नारायण सिंह को प्रदेश अध्यक्ष से हटाकर उमेश कुशवाहा को नए प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई.
- लोकसभा प्रभारियों की नई टीम तैयार की गई है, इसमें नए चेहरों को मौका दिया गया है.
- जिलाध्यक्षों की भी नई टीम बनाई गई है और उसमें भी बड़ी संख्या में नए चेहरों को मौका मिला है.
- जिला प्रवक्ताओं की नई टीम तैयार की गई है.
- पहली बार उत्तर बिहार और दक्षिण बिहार में पिछड़ा अति पिछड़ा और युवा प्रकोष्ठ की टीम बनाई गई है.
- 243 विधानसभा क्षेत्र में प्रभारियों की नई टीम तैयार की गई है.
- तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम पार्टी के कर्पूरी सभागार में हो रहा है.
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'पार्टी ने महापुरुषों के सिद्धांतों को पूरी तरह से आत्मसात करने की रणनीति तैयार की है और कार्यकर्ताओं को उन्हीं सिद्धांत के माध्यम से अहम भूमिका निभाने के लिए तैयार करवा रही है. पहले भी प्रशिक्षण कार्यक्रम चलता रहा है.'- नवीन आर्या, जदयू कार्यालय प्रभारी
पार्टी कार्यालय में महापुरुषों की किताब का डिस्प्ले लगाया गया है. गांधी, लोहिया, जेपी, और अंबेडकर के साथ कर्पूरी के विचारों पर पार्टी काम कर रही है. कार्यकर्ता इन किताबों में दिलचस्पी दिखा रहे हैं.- राजकिशोर, जदयू कार्यकर्ता
संगठन पर नीतीश का पूरा ध्यान
नीतीश कुमार विधानसभा चुनाव के बाद संगठन पर पूरा ध्यान दे रहे हैं. वहीं जनता दरबार शुरू करने का फैसला भी लिया है तो सरकार के स्तर पर बड़े फैसले लेने के साथ संगठन के स्तर पर भी इस बार कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं. आने वाले वक्त में पंचायत चुनाव होना है ऐसे में विधानसभा चुनाव से सबक लेते हुए नीतीश अब फूंक फूंककर कदम रख रहे हैं. ऐसे में कहा जा रही है कि सभी 243 विधानसभा सीटों पर पार्टी को मजबूत करने की यह बड़ी पहल है.
हार के बाद से पार्टी में बड़े फेरबदल
बिहार के सत्ताधारी जनता दल यूनाइटेड (JDU) में बड़ी फेरबदल की गई है. कुछ दिनों पहले ही पार्टी के संगठन जिलों के 41 जिलाध्यक्ष एक झटके में बदल दिए गए हैं. हालांकि, इसकी उम्मीद पहले से ही लगाइ जा रही थी. इस फेरबदल को बीते विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election 2020) में पार्टी को मिली हार से जोड़कर देखा जा रहा है. दरअसल जेडीयू ने विधानसभा चुनाव में कमजोर हुई स्थिति के कारणों पर मंथन के बाद जिम्मेदार अपने लोगों पर कार्रवाई की तैयारी कर ली थी.
नीतीश सही समय पर देते हैं जवाब
बिहार के सीएम नीतीश कुमार अपने संयमित बयान और गंभीरता के लिए जाने जाते हैं. विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद से ही जदयू में एक के बाद एक कई बड़े फेरबदल देखने को मिले. और अब पार्टीं के वरिष्ठ नेता कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित कर रहे है. क्योंकि नीतीश ये भली भांति जानते हैं कि पार्टी तभी मजबूत होगी जब इसके कार्यकर्ता अपने काम में कुशल होंगे.
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नीतीश बना रहे मजबूत पार्टी
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पास लगभग 50 साल का राजनीतिक अनुभव है. अपने राजनीतिक सफर में उन्होंने कई पार्टियों के साथ काम किया है, ऐसे में उन्हें पार्टी को मजबूत बनाने की अच्छी समझ है. इस विधानसभा चुनाव में कम सीट पाने के बाद नीतीश पार्टी को मजबूत बनाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते. नीतीश कुमार किसी भी कीमत पर खुद को बीजेपी और आरजेडी से कम नहीं बनने देना चाहते हैं.
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क्यों नीतीश कर रहे तैयारी
बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election 2020) में जदयू का कद छोटा होता दिखा. जदयू महज 43 सीटों पर सिमट कर रह गई. जबकि बीजेपी बड़े भाई के रुप में सामने आई. यह परिणाम नीतीश के लिए एक बड़ा झटका था. हालांकि यहां पर भी नीतीश का अनुभव काम आया और उन्होंने बिना कुछ कहे अपनी तैयारी शुरू कर दी.