क्या रत्नेश सदा का होगा शपथग्रहण, क्या कहते हैं समीकरण? पटना : बिहार में विपक्षी एकता की बैठक से पूर्व महागठबंधन में महा झमेला शुरू हो गया है. बैठक से पूर्व जीतन राम मांझी ने महागठबंधन को बाय-बाय कह दिया है. जीतन राम मांझी के पुत्र संतोष सुमन मांझी ने नीतीश कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया है. दलित वोट बैंक को साधने के लिए नीतीश कुमार कैबिनेट विस्तार कर रहे हैं. मांझी जाति से आने वाले अपने पार्टी के विधायक रत्नेश सदा को मंत्रिमंडल में जगह दे रहे हैं.
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कैबिनेट विस्तार में सहयोगी दलों को उम्मीद: बिहार में मंत्रिमंडल विस्तार से महागठबंधन के सहयोगी दलों को भी उम्मीद है. खासतौर पर कांग्रेस पार्टी नीतीश मंत्रिमंडल में 2 बर्थ चाहती थी, लंबे समय से यह मांग भी उठाई है. कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष के हवाले से भी मांग सामने आ चुकी है. अब जबकि 16 जून को मंत्रिमंडल विस्तार होना है, जेडीयू विधायक रत्नेश सदा का शपथ ग्रहण समारोह होगा. मंत्रिमंडल विस्तार से कांग्रेस पार्टी को उम्मीदें थीं. पार्टी नेता सरकार पर दबाव भी बना रहे हैं, लेकिन महागठबंधन के शीर्ष नेताओं की ओर से कोई संकेत नहीं मिले हैं.
कांग्रेस को लग सकता है झटका : इन सबके बीच पिछले दिनों कृषि मंत्री सुधाकर सिंह का इस्तीफा हुआ था. इससे पहले कानून मंत्री कार्तिक सिंह ने भी मंत्रिमंडल से इस्तीफा दिया था दोनों मंत्री राजद कोटे से थे. कई मंत्रियों के पास एक से ज्यादा विभाग हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पास जहां 5 विभाग हैं. वहीं, उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के पास में 5 विभाग हैं. कांग्रेस विधायक दल के नेता शकील अहमद खान ने कहा है कि ''मंत्रिमंडल में हम जगह चाहते हैं. हमारी मांग भी रही है, लेकिन इस मुद्दे पर हम टकराव करना नहीं चाहते, क्योंकि हम बड़े मिशन को लेकर आगे बढ़ रहे हैं.''
विपक्ष की बैठक के बाद 23 जून की बैठक के बाद मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर महागठबंधन के नेता बैठेंगे और सहमति बन जाएगी. राजद प्रवक्ता एजाज अहमदने कहा है कि''फिलहाल सिर्फ एक मंत्री का शपथ ग्रहण हो रहा है. कुछ और मंत्रियों के लिए जगह खाली है, लेकिन उस पर महागठबंधन के बड़े नेता बैठकर निर्णय लेंगे.''
राजनीतिक विश्लेषक डॉक्टर संजय कुमार का मानना है कि ''कांग्रेस को महागठबंधन में तवज्जो नहीं दी जा रही है. लंबे समय से कांग्रेस की ओर से मांग भी उठ रही है, लेकिन मंत्रिमंडल में दो बर्थ नहीं मिल रहा है. एक नेता के पास जब 5-5 विभाग होंगे तो ऐसी स्थिति में विकास कार्य कैसे होंगे और गवर्नेंस कैसे आएगा.''