पटनाः बिहार के सीनियर आईएएस अधिकारी केके पाठक द्वारा बिहार प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के खिलाफ किये गए गाली गलौज का मामला (Bureaucrat accused of abusing in Bihar) खत्म भी नहीं हुआ था कि आईजी स्तर के आईपीएस अधिकारी विकास वैभव का मामला सामने आ गया है. इस मामले में विकास वैभव ने जो आरोप अपने डीजी मैडम पर लगाये हैं. मुख्यमंत्री ने इस मामले में भी कहा कि जांच करवा रहे हैं. हालांकि वो इस बात से नाराज हैं कि सोशल मीडिया पर विभाग की बातें नहीं लिखनी चाहिए. लेकिन इस मामले ने तूल पकड़ लिया है.
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छुट्टी की अर्जी के बाद शोकॉजः बुधवार की रात विकास वैभव ने अपने ट्विटर पर लिखा था. डीजी मैडम से रोज गालिया सुन रहा हूं, यात्री मन व्यथित है ...हालांकि इस ट्वीट को उन्होंने डिलीट कर दिया. लेकिन तब तब इसका स्क्रीन शॉट वायरल हो गया. विकास वैभव ने दो महीने के अवकाश की अर्जी दी थी, लेकिन डीजी मैडम यानि शोभा अहोतकर ने उन्हें २4 घंटे के अन्दर जवाब देने के लिए शो काउज थमा दिया.
क्या लिखा है शो कॉज मेंः आपने सोशल मीडिया पर अपने वरीय अधिकारियों पर बेबुनियाद आरोप लगाकर उनकी छवि धूमिल करने का प्रयास किया है. आपका यह काम अखिल भारतीय सेवा संघ के आचार नियमावली के खिलाफ है. लेटर में लिखा गया है कि वायरल मैसेज में आपके द्वारा रिकॉर्डिंग किये जाने की बात पब्लिक डोमेन में लाया गया है, इससे स्पष्ट है कि आपके द्वारा कार्यालय की बैठकों में होने वाली चर्चाओं की रिकॉर्डिंग की जाती है. ये आपकी गलत मंशा को दर्शाता है. यह ऑफिसियल सीक्रेट एक्ट के सुसंगत प्रावधानों का भी उल्लंघन है. आपका आचरण एक वरीय पुलिस अधिकारी के आचरण के लिए सही नहीं है.
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अवकाश नहीं देने की अनुशंसाः यही नहीं विकास वैभव द्वारा दिए गए दो महीने के अवकाश के आवेदन की अनुसंशा में डीजी मैडम ने अपर मुख्य सचिव को लिखा है कि विकास वैभव को अवकाश नहीं देने की अनुशंसा की जाती है. इस पत्र में डीजी मैडम ने लिखा है कि विकास वैभव (महानिरीक्षक सह अपर महासमादेष्टा गृह रक्षा वाहिनी एवं अग्निशमन) द्वारा मांगे गए 60 दिनों के उपार्जित अवकाश की स्वीकृति नहीं दी जा सकती है. हालांकि इस मुद्दे पर जब पुलिस मुख्यालय में एडीजी मुख्यालय से सवाल किया गया था उन्होंने मीडिया के सामने हाथ जोड़ लिए.
विकास वैभव मामले सियासत तेजः मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से जब इस मुद्दे पर सवाल किया गया तो उनकी नाराजगी चेहरे पर साफ़ दिखी. उन्होंने कहा कि जांच करवा रहे हैं कि क्या मामला है. लेकिन जो कोई भी नौकरी कर रहा है और उसे कोई शिकायत है तो वो अपने वरीय अधिकारियों से शिकायत करे. सक्षम अधिकारी को बताये. इस तरह से ट्वीट नहीं करना चाहिए. पब्लिक डोमेन में बातें नहीं आनी चाहिए. हालांकि इससे अलग जेडीयू के ही एक विधायक डॉ संजीव कुमार ने ट्वीट कर विकास विभव का समर्थन किया है.
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अधीनस्थ के साथ मर्यादित व्यवहार के निर्देशः दूसरी तरफ आरजेडी का भी कहना है कि विकास वैभव के साथ जो हुआ है वो बिलकुल गलत है. लेकिन विकास वैभव को पब्लिक प्लेटफॉर्म की बजाय प्रशासनिक प्लेटफार्म पर रखनी चाहिए. हालांकि बीजेपी विकास वैभव के समर्थन में खुल कर सामने आ गई है. बीजेपी डीजी मैडम पर कारवाई की मांग कर रही है. हालांकि अधिकारियों के इस रवैये को लेकर आज यानी शुक्रवार को बिहार के मुख्य सचिव आमिर सुबहानी की तरफ से एक पत्र सभी विभागों को जारी किया गया है, जिसमें उच्च पदस्थ पदाधिकारियों द्वारा अपने अधीनस्थ पदाधिकारियों एवं कर्मचारियों के साथ सभ्य आचरण एवं मर्यादित व्यवहार करने को कहा गया है.
नीतीश के भरोसेमंदः नीतीश कुमार के मुख्यमंत्रित्व काल में नौकरशाही को लेकर सवाल उठाते रहे है. कहा जाता है कि नीतीश कुमार को सिर्फ अपने चंद अधिकारियों पर ही सबसे ज्यादा भरोसा होता है . इन अधिकारियों में पहला नाम है आमिर सुबहानी का है. आमिर सुबहानी लम्बे समय तक गृह सचिव और फिर मुख्य सचिव के पद पर हैं. दूसरा नाम है दीपक कुमार का. इन्हें मुख्यमंत्री का बेहद ख़ास माना जाता है. मुख्य सचिव के पद पर रहते हुए उन्हें दो बार सेवा विस्तार दिया गया और फिर अवकाश के बाद इन्हें मुख्यमंत्री का प्रधान सचिव बनाया गया है.
ये भी हैं खासः डॉ एस सिद्धार्थ, ये बेहद खास और भरोसेमंद अधिकारी माने जाते हैं. ये मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव होने के साथ ही कैबिनेट सेक्रेटरी और अपर मुख्य सचिव वित्त विभाग के पद पर हैं. इसके अलावा मनीष वर्मा भी काफी अहम् भूमिका में रहे हैं. आरसीपी सिंह के बगावत के बाद मनीष वर्मा ने अचानक वीआरएस ले लिया. फिलहाल मुख्यमंत्री के अतिरिक्त परामर्शी के पद पर हैं. एक और महत्वपूर्ण नाम है प्रत्यय अमृत. इन्हें भी मुख्यमंत्री का विश्वासपात्र माना जाता है. इनके जिम्मे दो महत्वपूर्ण विभाग है. अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य विभाग और अपर मुख्य सचिव पथ निर्माण विभाग ..
नौकरशाह पर भरोसाः वरिष्ठ पत्रकार डॉ संजय कुमार बताते हैं कि नीतीश कुमार को शुरू से ही नौकरशाही पर भरोसा रहा है. ब्यूरोक्रेट्स को जब खुली छूट मिलती है तो वे निरंकुश हो जाते हैं. उनके ऊपर कार्रवाई नहीं होती तो उनका मन और बढ़ जाता है. बात चाहे केके पाठक का मामला हो या विकास वैभव का हो. नीतीश कुमार ने खुद अधिकारियों को निरंकुश बना दिया है. जिसका खामियाजा विभाग के लोगों को भुगतना पड़ रहा है.
विकास के प्रशंसकः एक तरफ जहां विकास वैभव के मामले में सरकार जांच की बात कह रही है, वहीं दूसरी तरफ विकास वैभव के समर्थन में सोशल मीडिया में अभियान चल रहा है. ट्विटर पर गुरुवार से ही ट्रेंड कर रहा है. आपको बता दें कि लेट्स इंस्पायर बिहार के नाम से विकास वैभव एक मुहिम चलाते हैं. उनकी इस मुहिम से हजारों युवा जुड़े हुए हैं. इसके अलावा समाज के विभिन क्षेत्रो के लोग शामिल हैं. बिहार में इस मुहिम से सिर्फ वाट्सएप ग्रुप में 85 हजार लोग जुड़े हैं. इसमें अलग अलग चैप्टर है. इस मुहिम के तहत गरीब बच्चों की मुफ्त पढाई लिखाई और कोचिंग की व्यवस्था भी की जाती है.