पटना में निषाद सेना की बैठक पटना:राजधानीपटना के इनकम टैक्स चौराहा स्थित एक होटल में निषाद सेना की ओर से प्रेस वार्ता (Nishad Sena Press Conference In Patna) का आयोजन किया गया. प्रेस कॉन्फ्रेंस में वीआईपी पार्टी से जुड़े रहे कई नेताओं ने पार्टी छोड़ने और जल्द नई राजनीतिक पार्टी बनाने की. पार्टी छोड़ने वाली नेताओं ने कहा कि मुकेश सहनी ने अपने स्वार्थ के लिए समाज का इस्तेमाल किया और समाज के लिए कुछ नहीं किया.
ये भी पढ़ें-सन ऑफ मल्लाह मुकेश सहनी का बयान- 'निषादों को एससी-एसटी दर्जा दिलाना लक्ष्य'
निषाद पार्टी के नेताओं की बैठक :निषाद पार्टी के नेताओं ने कहा कि-"मुकेश सहनी जब पार्टी लेकर आए तब कहा कि वह इस समाज से नेता तैयार करेंगे लेकिन समाज का मदद लेकर खुद नेता बने, मंत्री बने, एमएलसी बने और समाज के लिए कुछ नहीं किया. आज वीआईपी पार्टी सिर्फ मुकेश सहनी और उनके भाई संतोष सहनी की पार्टी बनकर रह गई है."इस कार्यक्रम में जदयू को छोड़कर निषाद सेना से जुड़ने वाले नेता प्रेम चौधरी भी मौजूद रहे. निषाद समाज की ओर से आयोजित इस प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए प्रदेश अध्यक्ष मुकेश निषाद ने कहा कि उनके साथ मल्लाह, निषाद प्रजापति और पासी समाज के कई बड़े नेता हैं.
निषाद नेताओं ने VIP पर साधा निशाना :निषाद नेताओं ने कहा किराजनीतिक दलों ने उन लोगों को अपने हितों के लिए सिर्फ इस्तेमाल किया है. आजादी के 75 वर्ष बाद भी वह लोग हाशिए पर हैं और उनके समाज से निकलने वाले नेताओं ने भी समाज का इस्तेमाल कर खुद का स्वार्थ साधा है. मुकेश निषाद ने कहा कि वीआईपी पार्टी में वह पूर्व में जुड़े हुए थे लेकिन उन्होंने कई दिनों पूर्व पार्टी छोड़ दी और आज के समय में वीआईपी पार्टी के सभी जिला इकाई उनके साथ है. इस दौरान उन्होंने विभिन्न प्रकोष्ठ के अध्यक्षों के नाम भी गिनाए जो प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूद रहे.
मुकेश निषाद ने मुकेश सहनी पर साधा निशाना :मुकेश निषाद ने कहा कि मत्स्य पालन के लिए ब्लू रिवॉल्यूशन के तहत जो योजनाएं हैं उसका भी मुकेश साहनी ने मत्स्य पालन मंत्री रहते हुए क्रियान्वयन नहीं किया. मंत्री रहे जब तक ना सदन में ना बाहर मछुआरों के हित के लिए उन्होंने कुछ नहीं बोला. मल्लाह समाज इससे खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहा है. वह वीआईपी पार्टी के फाउंडर मेंबर में रहे हैं लेकिन जिस उद्देश्य से पार्टी का गठन हुआ था, एक भी उद्देश्य पूरा नहीं हो पाया. ना समाज को उचित राजनीतिक हिस्सेदारी मिली ना ही भागीदारी बढ़ी.
"मल्लाह समाज के लिए कुछ नहीं किया" :समाज के लिए आरक्षण का कोटा बढ़ाने के लिए भी कुछ नहीं किया. ऐसे में उनके समाज की जो लोग पढ़े-लिखे लोग हैं, वह लोग एकजुट हुए हैं. समाज का दबाव है कि वह लोग एक नई राजनीतिक पार्टी बनाएं जिसमें पिछड़े तबके की बात की जाए. आज समाज में पिछड़ा हुआ, वह है जो अधिकारों से वंचित है. आर्थिक रूप से बेहद कमजोर हैं, चाहे वह किसी जाति के हों. मुकेश निषाद ने कहा कि इसके अलावा वह बिहार सरकार से मांग करते हैं कि यूपी सरकार की तर्ज पर 6 अप्रैल को भगवान श्री राम के परम मित्र निषादराज गुहा की जयंती को राज्य सरकार मनाए.
निषाद सेना बनाएगी राजनीतिक पार्टी :निषाद सेना ने कहा किइसे राजकीय जयंती के तौर पर दर्जा दें. वो लोग आगामी 6 अप्रैल को पटना में निषादराज गुहा की जयंती मनाएंगे जिसमें अति पिछड़ा समाज के सभी जातियों की भागीदारी होगी. इसी दिन नई राजनीतिक पार्टी की घोषणा करेंगे. पार्टी का उद्देश्य बिहार की राजनीति में अति पिछड़ी, जनजाति के लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करना होगा. प्रेस वार्ता में मौजूद इंजीनियर प्रेम चौधरी ने कहा कि उन्होंने जदयू इसलिए छोड़ा क्योंकि उन्होंने पार्टी के अंदर यही देखा कि जदयू सिर्फ एक जाति विशेष की पार्टी बनकर रह गई है.
6 अप्रैल को नई पार्टी की होगी घोषणा :इंजीनियर प्रेम चौधरी ने कहा कि साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बाल्मीकि नगर से वह प्रत्याशी थे. उन्हें टिकट दिया गया लेकिन फिर उनसे सिंबल वापस ले लिया गया. इसके पीछे क्या कारण है, उन्हें पता नहीं लेकिन उन्होंने पार्टी का आदेश माना. वह आईआईटी खड़गपुर से इंजीनियरिंग किए हुए हैं और जदयू के आईटी सेल को मजबूत बनाने में इन्होंने काफी योगदान दिया है. वह अब अलग हो चुके हैं और निषाद सेना के तहत जो नई राजनीतिक पार्टी की घोषणा होगी उसमें वह पार्टी को तकनीकी रूप से मजबूत बनाएंगे.
"जेडीयी एक जाति की है पार्टी" :पूर्व जेडीयू नेता प्रेम चौधरी ने कहा कि वह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग कर इस प्रकार का एप तैयार कर रहे हैं जिसमें 1 मिनट के अंदर प्रमंडल, पंचायत और बूथ स्तर के कार्यकर्ता से जुड़ सकते हैं. डिजिटल सदस्यता अभियान चलाया जाएगा और समाज के लोगों को तकनीकी रूप से भी मजबूत बनाया जाएगा. यह जो नई राजनीतिक पार्टी बनेगी उसमें समाज के सभी वर्गों का ख्याल रखा जाएगा और सभी के हित की बात की जाएगी.