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Bihar Politics: 'आज वही VIP.. जिसके पास वोट है', निषाद आरक्षण संकल्प यात्रा के दौरान बोले मुकेश सहनी - Bihar Politics

विकासशील इंसान पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार के पूर्व मंत्री मुकेश सहनी इन दिनों निषाद आरक्षण संकल्प यात्रा पर हैं. इसी क्रम में महात्मा गांधी की कर्मभूमि पूर्वी चंपारण पहुंचने के बाद उन्होंने एक बार फिर निषादों के हक में आवाज बुलंद की. सहनी ने कहा कि 9 सालों के संघर्ष के बाद हमारी जो पहचान बनी है, उसे आगे बढ़ाते रहेंगे.

वीआईपी चीफ मुकेश सहनी
वीआईपी चीफ मुकेश सहनी

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Published : Aug 3, 2023, 6:51 PM IST

पटना: वीआईपी चीफ मुकेश सहनी की निषाद आरक्षण संकल्प यात्रा मोतिहारी पहुंच गई है. गुरुवार की संकल्प यात्रा केसरिया के डिलिया बाजार से शुरू हुई, जहां बड़ी संख्या में उपस्थित युवाओं और महिलाओं ने हाथ में गंगाजल लेकर आने वाली पीढ़ी के उज्जवल भविष्य के लिए पढ़ाने का और उनके हक के लिए संघर्ष करने का संकल्प लिया. वहां मौजूद लोगों को संकल्प दिलवाने के क्रम में सहनी ने कहा कि इसी धरती ने संकल्प की बदौलत गांधी जी को महात्मा बनाया था. आज हम भी संघर्ष का संकल्प ले रहे हैं और संकल्प निषादों के उज्जवल भविष्य को तय करेगा. उन्होंने कहा कि आज वही वीआईपी है, जिसके पास लोगों का समर्थन है.

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निषाद आरक्षण संकल्प यात्रा पहुंची मोतिहारी:मुकेश सहनी संकल्प रथ पर सवार होकर इसके बाद लाला छपरा चौक, पितांबर चौक केसरिया, हुसैनी बाजार, सेमापुर मेला बाजार, संग्रामपुर, बड़ी वीअरिया बाजार पहुंचे और विरती टोला, ब्रह्म स्थान के प्रांगण में विशाल जनसभा को संबोधित किया. इसके बाद गायघाट, उज्जैन लोहियार पंचायत के बलुआ हाई स्कूल के प्रांगण में विशाल जनसभा को संबोधित किया. इस दौरान सभी स्थानों पर बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे और उत्साह के साथ वीआईपी को समर्थन देने तथा निषादों के आरक्षण के लिए संघर्ष में साथ देने का संकल्प लिया.

निषादों को हक दिलाने के लिए लिया संकल्प: लोगों को संकल्प दिलाते हुए सहनी ने कहा कि आजादी की लड़ाई में बड़ी संख्या में निषाद समाज के लोगों ने अपनी जान गंवाई लेकिन आज भी निषाद समाज को सही आजादी नहीं मिल पाई है. उन्होंने कहा कि आज भी निषादों को हक और अधिकार के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है. लोगों में जोश भरते हुए पूर्व मंत्री ने कहा कि आज पश्चिम बंगाल सहित कई राज्यों में निषादों को आरक्षण मिल रहा है लेकिन बिहार, यूपी, झारखंड को अब भी यह अधिकार नहीं दिया गया है.

"नौ वर्ष के संघर्ष की बदौलत आज बिहार में निषादों की अलग पहचान बनी है. अब हमें इसी जोश के साथ संघर्ष करना है कि देश दुनिया में भी निषाद के लोग सिर उठाकर जी सकें. इसी के लिए संकल्प लेना जरूरी है. जो संकल्प है, वह अभी पूरी तरह पूरा नहीं हुआ है"-मुकेश सहनी, अध्यक्ष, विकासशील इंसान पार्टी

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