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Saraswati Puja: पटना में इस जगह 9 दिनों तक विराजमान रहती हैं सरस्वती माता, डिप्टी सीएम ने की पूजा-अर्चना

राजधानी पटना के अनीसाबाद में सरस्वती पूजा का आयोजन बेहद खास तरीके से किया जाता है. यहां नौ दिनों तक मां सरस्वती और अन्य देवियों की पूजा की जाती है. यहां माता के दर्शन करने के लिए आम लोगों से लेकर राजनेताओं का तांता लगा रहता है. सोमवार को प्रदेश के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव (Deputy CM Tejashwi Yadav) भी यहां पहुंचे और पूजा-अर्चना की.

तेजस्वी यादव ने की सरस्वती माता की प्रतिमा का दर्शन
तेजस्वी यादव ने की सरस्वती माता की प्रतिमा का दर्शन

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Published : Jan 30, 2023, 8:56 PM IST

तेजस्वी यादव ने की सरस्वती माता की प्रतिमा का दर्शन

पटना:सामान्य तौर पर सरस्वती पूजा (Saraswati Puja 2023) आयोजन के दौरान माता की प्रतिमा एक या दो दिन के लिए रखकर पूजा अर्चना करते हैं. लेकिन पटना में एक जगह ऐसा भी है, जहां माता सरस्वती 9 दिन विराजमान रहती हैं. मान्यता है कि यहां सरस्वती पूजा के दौरान नौ देवियों की उपस्थिति होती है, इसलिए 9 दिनों तक पूजा कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है. इस पूजा का आयोजन "बड़ी महा-सरस्वती पूजा पंडाल समिति" अनीसाबाद इलाके के उड़ान टोला में करती है.

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माता की मूर्ति खुद तैयार करते हैं आयोजक: सरस्वती पूजा के आयोजक इंजीनियर मंयक हैं. वह वर्षों से अपने घर में यह पूजा करते आ रहे हैं. खास बात यह है कि वे खुद अपने हाथों से माता सरस्वती और अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां तैयार करते हैं. यहां पर आयोजित सरस्वती पूजा पूरे पटना में फेमस है. मूर्ति को देखने और पूजा अर्चना करने के लिए प्रदेश के बड़े नेताओं का तांता लगा रहता है. इसी कड़ी में सोमवार को डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव भी यहां पहुंचे और पूजा-अर्चना की.

डिप्टी सीएम ने नारियल फोड़कर की पूजा-अर्चना:पूजा स्थल पहुंचे डिप्टी सीएम ने माता सरस्वती की पूजा अर्चना करने के साथ-साथ प्रदेश में अमन चैन की कामना की. इस दौरान डिप्टी सीएम ने नारियल फोड़कर माता सरस्वती को चढ़ाया. आयोजक मयंक ने उन्हें माता की चुनरी ओढ़ाकर सम्मानित किया. मयंक ने बताया कि उन्होंने मूर्ति निर्माण की कला कहीं से नहीं सीखी है और वह जब 4 साल के थे तब से खुद से अपने हाथों से मूर्ति तैयार कर उसकी पूजा अर्चना करते आ रहे हैं. पूजा का यह 29 वां वर्ष है.

मयंक ने बताया कि जैसे-जैसे वह बड़े होते गये, उन्होंने प्रतिमाओं के आकार को बड़ा करना शुरू किया. जब छोटे थे तो छोटे आकार की मूर्तियां तैयार करते थे. लेकिन अब बड़े आकार की मूर्तियां तैयार करते हैं. इसकी तैयारी वह सरस्वती पूजा की कई महीने पहले से शुरू कर देते हैं. मयंक ने बताया कि वह बंगाली विधि विधान से पूजा अर्चना करते हैं. पंचमी तिथि के दिन माता का पट खुलता है और पूरे 9 दिन कलश स्थापना करके पूजा अर्चना की जाती है.

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