पटना: कोरोना की दूसरी लहर काफी खतरनाक साबित हो रही है. कोरोना का सेकेंड वेव 0 से 18 वर्ष के बीच के बच्चों को अपनी चपेट में ले रहा है. कोरोना के फर्स्ट वेव के दौरान 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में संक्रमण के गिने-चुने मामले ही सामने आए थे.
इस बार 2 महीने में प्रदेश में 10,000 से अधिक 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे संक्रमित हो गए हैं. राजधानी पटना में यह संख्या सर्वाधिक है और यहां अब तक 7000 से अधिक बच्चे बीते डेढ़ से 2 महीने में कोरोना संक्रमण की चपेट में आ गए हैं.
यह भी पढ़ें- BIHAR CORONA LIVE UPDATE: एक दिन में 105 की मौत, एक्टिव मरीजों की संख्या 1,10,430
जा चुकी है 25 बच्चों की जान
राजधानी पटना में वर्तमान समय में 18 वर्ष से कम उम्र के 3462 बच्चे कोरोना से संक्रमित हैं. कोरोना के सेकंड वेव में 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मौतों के भी मामले काफी देखने को मिल रहे हैं. बीते डेढ़ महीने में लगभग 25 की संख्या में 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की प्रदेश में मौत हो चुकी है. हालांकि इन बच्चों का रिकवरी रेट काफी बेहतर है. बच्चे काफी जल्दी स्वस्थ भी हो रहे हैं.
घर के सभी सदस्य हो रहे हैं संक्रमित
कोरोना संक्रमण के दूसरे दौर में अधिकांश घरों में परिवार के लगभग पूरे सदस्य संक्रमित हो रहे हैं. जिसमें सभी छोटे बच्चे भी शामिल हैं. ऐसा ही एक घर पटना के एजी कॉलोनी में है. जहां मां और बच्चे, दोनों कोरोना से संक्रमित हो गए थे. परिवार के कुछ अन्य सदस्य भी संक्रमित हो गए थे. संक्रमण से ठीक होने के बाद 11 वर्षीय बच्चा मोहित कुमार ने बताया कि एक रूम में आइसोलेट होकर अकेले रहना पड़ा.
'आइसोलेशन के दौरान दिन भर मास्क लगाकर रहना पड़ा. शाम के वक्त थोड़े समय के लिए बालकनी में बैठता था. दिन भर अपने रूम में ही टहलता था. परिवार वाले कमरे में खाना पहुंचा देते थे और कोरोना से उबरने के लिए गिलोय का कड़वा काढ़ा भी पीना पड़ा, जो बिल्कुल पसंद नहीं है. सात-आठ दिनों बाद जब दोबारा जांच हुई और रिपोर्ट निगेटिव आई, तब जाकर मन शांत हुआ. अन्यथा काफी डरा हुआ था. मुझे संक्रमण के ज्यादा गंभीर लक्षण नहीं थे, सिर्फ हल्की खांसी थी.'-मोहित
'घर के कुछ सदस्यों के साथ मैं और मोहित संक्रमित हो गए थे. ऐसे में दोनों अलग-अलग कमरे में आइसोलेट रहे. घर में सास-ससुर और पति इस दौरान उन लोगों के लिए खाने-पीने और दवा इत्यादि की व्यवस्था में लगे रहे. बच्चे से अलग-अलग कमरे से फोन पर बात होती थी. खाने-पीने में सभी ने गर्म पानी, काढ़ा, हल्दी दूध और सुपाच्य भोजन का सेवन किया. जब तक रिपोर्ट निगेटिव नहीं आयी, तब तक एक-एक पल काटना मुश्किल हो रहा था. अब ठीक होने के बाद भी घर में चेहरे पर हमेशा मास्क का प्रयोग करते हैं. निगेटिव रिपोर्ट प्राप्त करने के लिए उन्हें 10 दिन आइसोलेशन में रहना पड़ा. इस दौरान नियमित अंतराल पर अपने कमरे में इम्यूनिटी को मजबूत बनाने वाले योगा करते रही. एलोपैथिक के साथ-साथ इम्यूनिटी बूस्टर आयुर्वेदिक दवाओं का भी सेवन किया. 2 दिन पहले रिपोर्ट निगेटिव आयी.'-पुतुल कुमारी, मोहित की मां
'कोरोना वायरस का यह नया स्ट्रेन कम उम्र के बच्चों और टीनएजर्स के लिए भी काफी घातक नजर आ रहा है. काफी संख्या में बच्चे संक्रमित हो रहे हैं. ऐसे में बच्चों को लेकर विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है. संक्रमण के बाद कई सारे गंभीर साइड इफेक्ट भी नजर आने लग रहे हैं. बच्चों को दवा देने से पहले चिकित्सकों से संपर्क जरूर करें. अलग-अलग इस ग्रुप के अनुसार चिकित्सक डोज निर्धारित करेंगे और उसी डोज के अनुसार बच्चों को दवाई खिलाएं. बच्चों में इंफेक्शन होने की संभावना काफी ज्यादा है. ऐसे में परिवार के सदस्यों को चाहिए कि बच्चों में मास्क पहनने की आदत डालें. इसके साथ ही उन्हें नियमित अंतराल पर हाथों को सैनेटाइज करते रहने और धोते रहने की भी आदत डालें. बिना हाथ धोए बच्चे कुछ भी मुंह में ना डालें इस बात का ख्याल रखें. अभी के समय कुछ दिनों तक बच्चों को भीड़-भाड़ वाली जगह पर बिल्कुल ना ले जाएं.'-डॉ. मनोज कुमार सिन्हा, वरिष्ठ चिकित्सक