पटना: बिहार में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद को लेकर विज्ञापन जारी हो गया है. नेट और जेआरएफ पास अभ्यर्थियों ने बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग पर सवाल खड़े किए है. पटना विश्वविद्यालय के गेट पर एक दिवसीय भूख हड़ताल पर बैठे अभ्यर्थियों ने कहा कि आयोग यूजीसी की गाइडलाइन का पालन न करके मनमानी तरीके से भर्ती ले रहा है.
बहाली को लेकर सरकार उठे सवाल
बिहार राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालय के शोध छात्रों द्वारा आगामी सहायक प्राध्यापक बहाली के परिनियम में होने वाली गैर बराबरी के खिलाफ नेट और जेआरएफ पास अभ्यर्थियों ने भूख हड़ताल किया. भारी बारिश के बीच छात्र शाम तक बिना पानी और भोजन के डटे रहे. छात्रों ने का साफ कहना है कि अब सरकार नेट प्रमाण-पत्र को रद्दी की टोकड़ी में फेकने के लिए विवश कर रही है.
सहायक प्रोफेसर की प्रक्रिया में पीचडी डिग्री को वरीयता
सरकार ने प्राध्यापक नियुक्ति परिनियम इस प्रकार से कही से सफल नहीं है. बल्कि कुशल और मेधावी छात्र-छात्राओं के पात्रता को समाप्त कर शिक्षा के क्षेत्र में गिरावट लाने की साजिश है. जिस पर पुनर्विचार की आवश्यकता है. सहायक प्राध्यापक की नियुक्ति सिर्फ परीक्षा के माध्यम से किया जाय. साफ तौर पर अभ्यर्थियों ने आरोप लगाया कि बिहार में पीएचडी की डिग्री बिकती है पता लगाया जाए तो साठ प्रतिशत लोग पीएचडी की डिग्री खरीद कर अपने पास रखे हैं. जिनको नियुक्ति प्रक्रिया में ऊपर रखा गया है.
NET-JRF पास अभ्यर्थियों ने किया भूख हड़ताल. नेट-जेआरएफ अभ्यर्थी नाराज
अभ्यर्थी डुमरेंद्र राजन ने बताया कि हम लोगों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. हम लोग अध्धयन में 25 साल गुजार चुके हैं. अब 15 साल बाद फिर वैकेंसी आएगी. तब तक हम लोग का उम्र खत्म हो जाएगा और मरने के अलावा दूसरा कोई उपाय नहीं है. वहीं अभ्यर्थी नीलम कुमारी ने बताया कि हम लोग देश के सबसे बड़े परीक्षा नेट और जेआरएफ पास किए हैं. हम लोगों का कोई भी कायदा कानून से बहाली नहीं किया जा रहा है. साफ तौर पर अभर्थियों का कहना है कि परीक्षा के आधार पर बहाली की जाए. नहीं तो तेज आंदोलन करेंगे.