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NDA को छोड़कर जाना कहीं भारी न पड़ जाए.. बिहार में कई बड़े प्रोजेक्टों पर लग सकते हैं ग्रहण

बिहार में कई बड़े केंद्र प्रायोजित प्रोजेक्ट चल रहे हैं. माना जा रहा है कि नीतीश कुमार के महागठबंधन के साथ नई सरकार बना लेने के कारण इन महत्वपूर्व योजनाओं पर उसका असर पड़ सकता है. कौन सी योजनाएं प्रभावित हो सकती हैं पढ़ें..

centrally sponsored schemes in bihar
centrally sponsored schemes in bihar

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Published : Aug 22, 2022, 9:01 PM IST

पटना: बिहार में महागठबंधन की सरकार बन गई है. पहले जब बिहार में एनडीए की सरकार थी तो जेडीयू और बीजेपी के लोग डबल इंजन की सरकार कहते नहीं थकते थे लेकिन अब डबल इंजन की सरकार नहीं है. ऐसे में कई बड़े प्रोजेक्ट पर इसका असर पड़ना तय माना जा रहा है. बिहार में एक्सप्रेस वे, कई नेशनल हाईवे पर काम आगे बढ़ रहा था. गंगा नदी पर भी नए पुल बनाने की तैयारी चल रही थी. माना जा रहा है कि अब इन तमाम योजनाओं (centrally sponsored schemes in bihar) पर असर पड़ेगा.

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बिहार के कई प्रोजेक्ट पर लग सकता है ग्रहण: बिहार में केंद्र सरकार के कई बड़े प्रोजेक्ट (NDA Alliance Broke Can Effect Schemes) पर काम शुरू होने वाला है. इसमें प्रधानमंत्री पैकेज के तहत भी योजना है और नए प्रोजेक्ट भी हैं. हाईवे के कई प्रोजेक्ट मिलने वाले थे, हजारों करोड़ की योजना जिस पर बिहार के लोगों की नजर थी उसका क्या होगा एक बड़ा सवाल है. यह भी चिंता सताने लगी है कि कहीं उन योजनाओं पर ग्रहण न लग जाएं.

इन योजनाओं पर हो सकता है असर:कुछ बड़ी योजनाओं के बारे में जानते हैं जिसपर एनडीए सरकार के गिरने के बाद असर पड़ सकता है. औरंगाबाद के आमस से दरभंगा तक 5000 करोड़ से अधिक की लागत से बिहार का पहला एक्सप्रेस वे बनना है इसपर असर पड़ सकता है. वहीं गोरखपुर से सिलीगुड़ी तक 520 किलोमीटर लंबे ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे, इसमें सबसे अधिक 416 किलोमीटर बिहार में निर्माण होगा. 17900 करोड़ की लागत से 470 किलोमीटर में बनने वाले पटना कोलकाता एक्सप्रेस वे पर भी असर पड़ने की संभावना है.

इसके साथ ही और भी कई योजनाओं पर असर पड़ सकता है. उनमें इन परियोजनाओं के नाम शामिल हैं. आरा बक्सर हरदिया बलिया तक ग्रीन फील्ड कॉरिडोर, 2200 सौ करोड़ की लागत से जेपी सेतु के समानांतर सिक्स लेन गंगा नदी पर पुल का निर्माण, पटना में मेट्रो का निर्माण का कार्य चल रहा है और पटना रिंग रोड का निर्माण जिसमें एलिवेटेड रोड का भी निर्माण होना है, जल संसाधन विभाग की ओर से कोसी मेची नदी जल योजना 60% भारत सरकार और 40% बिहार सरकार के सहयोग से काम शुरू होना है. उसकी तैयारी चल रही है.

पाइप लाइन में कई नदियों को जोड़ने की योजना: डबल इंजन की सरकार थी उस समय बिहार ने केंद्र से 90:10 रेशियो में योजना की स्वीकृति देने की मांग की थी लेकिन केंद्र ने नहीं माना. इस योजना पर और असर पड़ना तय माना जा रहा है. इसके अलावा भी कई नदियों को जोड़ने की योजना पाइप लाइन में थी उस पर भी ग्रहण लगना तय है. वहीं पटना में बिहटा में नया एयरपोर्ट बनना है. जमीन को लेकर मामला फंसा हुआ है. जब डबल इंजन की सरकार थी उम्मीद थी कि इस पर जल्द काम शुरू होगा. लेकिन अब जब महागठबंधन की सरकार में इस पर जल्द फैसला होने की उम्मीद कम है.

उद्योग के क्षेत्र पर भी असर: इसके अलावा बिहार में नए एयरपोर्ट का भी विस्तार होना था तो उन सब पर भी असर पड़ेगा. दरभंगा एयरपोर्ट का विस्तार, पूर्णिया सहित कई स्थानों पर नए एयरपोर्ट बनाना है जिसमें अब और देरी हो सकती है. उद्योग के क्षेत्र में खासकर लघु सूक्ष्म उद्योग को लेकर केंद्र सरकार ने कोविड-19 में कई घोषणा की थी और उसका लाभ बिहार को मिलता. बिहार के उद्योग मंत्री के रूप में शाहनवाज हुसैन ने कई तरह के प्रयास भी किए थे लेकिन अब सरकार बदल गई है तो उद्योग के क्षेत्र में भी असर पड़ना तय माना जा रहा है.

क्या सीएम भी हैं चिंतित?:वहीं मनरेगा, प्रधानमंत्री आवास योजना की समय पर राशि नहीं देने की शिकायत डबल इंजन की सरकार में भी थी. ऐसे में यह समस्या और बढ़ना तय है. ऐसे बिहार में महागठबंधन की सरकार बनाने के बाद केंद्रीय योजनाओं में कटौती के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं अभी इस पर कुछ नहीं बोलूंगा नियम कानून तो सबको मालूम है. सीएम नीतीश की बातों से साथ था कि वे भी इन परियोजनाओं को जल्द से जल्द धरातल में उतारने को लेकर चिंतित हैं.

"जब डबल इंजन की सरकार नहीं रही तो असर तो पड़ेगा. डबल इंजन की सरकार में जितनी सहूलियत के साथ प्रोजेक्ट मिल जाते थे अब उसमें दिक्कतें आएंगी."- प्रोफेसर अजय झा, आर्थिक विशेषज्ञ

"केंद्र सरकार का इंजन तो काम कर रहा है लेकिन बिहार सरकार का इंजन बार-बार फेल हो जा रहा है. बिहार में फिर से लालू जमाने का व्यवसाय लाने की कोशिश हो रही है."- अरविंद सिंह, बीजेपी प्रवक्ता

"बिहार में जो केंद्र सरकार के प्रोजेक्ट चल रहे हैं उसमें बिना राजनीति के केंद्र सरकार आगे भी उसी तरह का सहयोग करेगी. हमें इस बात की पूरी उम्मीद है. लेकिन बीजेपी के लोग बदहवास कुछ भी बयान दे रहे हैं."- अरविंद निषाद, जदयू प्रवक्ता

"डबल इंजन में ट्रबल ही ट्रबल था और इसलिए यह सरकार बनी है. डबल इंजन की सरकार में तो बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिला ना ही पटना विश्वविद्यालय को सेंट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा ही मिला. हम बिहार का हक लड़ कर लेंगे और लोगों को दुखी नहीं होने देंगे."- मृत्युंजय तिवारी, आरजेडी प्रवक्ता

केंद्र से मिलने वाले सहयोग पर भी पड़ेगा असर: केंद्र सरकार की ओर से स्वास्थ्य, शिक्षा और अन्य क्षेत्रों में भी जब डबल इंजन की सरकार थी तो जेडीयू और बीजेपी के लोग दावा करते थे बिहार को मदद मिल रहा है. कोविड-19 में भी मुख्यमंत्री ने कई बार कहा कि केंद्र से पूरा सहयोग दे रही है. लेकिन सच्चाई यह भी है कि डबल इंजन की सरकार रहते हुए भी बिहार नीति आयोग की रिपोर्ट में गरीबी से लेकर कई सेक्टर में देश में पिछले पायदान पर ही बना रहा. ऐसे में जब अब डबल इंजन की सरकार नहीं है तो कई पुराने और नए प्रोजेक्ट पर ग्रहण तो लगेंगे ही साथ ही केंद्र से जो सहयोग मिलने की बात है वह भी पहले की तरह मिलती है या नहीं देखने वाली बात होगी.

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