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भैरव लाल दास ने NCERT को लिखा पत्र, गांधी जी के बिहार दौरे की जानकारी सही करने की अपील - फ्लेमिंगो के इंडिगो चैप्टर में गांधी जी की गलत जानकारी

चंपारण सत्याग्रह और गांधी दर्शन पर रिसर्च कर चुके भैरव लाल दास ने कई गलतियों को लेकर एनसीईआरटी को पत्र लिखा है और इसे शुद्ध करने को कहा है.

NCERT book
एनसीईआरटी किताब

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Published : Jan 27, 2020, 6:42 PM IST

पटना:एनसीईआरटी की 12वीं कक्षा की अंग्रेजी की किताब में पिछले कई सालों से गांधी जी के चंपारण दौरे को लेकर गलत तथ्य पेश किए जा रहे हैं. ये दावा गांधी जी के बारे में विशेष जानकारी रखने वाले भैरव लाल दास ने किया है. ईटीवी भारत के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत में भैरवलाल दास ने उन सभी किताबों का जिक्र किया, जिनमें दोनों से जुड़े सभी चित्र दिए गए हैं. जबकि एनसीईआरटी की इस पुस्तक के 'इंडिगो' अध्याय में दिए गए तथ्यों को लेकर उन्होंने सवाल खड़े किए हैं.

गलत तिथि का वर्णन
भैरवलाल दास ने बताया कि इंडिगो अध्याय में यह लिखा गया है कि राजकुमार शुक्ल अनपढ़ थे. जो पूरी तरह गलत है. उन्होंने राजकुमार शुक्ल की डायरी के पन्नों को लेकर एक पुस्तक भी लिखी है. जिसमें उनकी हस्तलिखित डायरी के पन्नों को छापा गया है. इसके साथ ही गांधी जी मुजफ्फरपुर कब पहुंचे, इसके तिथि का भी गलत वर्णन किया गया है. 'फ्लेमिंगो' के पेज नंबर 46 और 47 पर चंपारण के किसान राजकुमार शुक्ल को अनपढ़ बताया गया है. जबकि राजकुमार शुक्ल खुद अपनी डायरी लिखते थे.

भैरव लाल दास ने एनसीईआरटी को लिखा पत्र

गांधी जी उर्फ मोहनदास करमचंद गांधी 10 अप्रैल 1917 को पटना आए थे. जबकि इस पुस्तक में गांधीजी के 15 अप्रैल को पटना पहुंचने की बात लिखी गई है. वहीं, किताब में बताया गया है कि गांधीजी जमींदारी का विरोध करने चंपारण पहुंचे थे, जबकि वह निलहों से आजिज किसानों की आवाज उठाने के लिए चंपारण आए थे.

देखें ये रिपोर्ट

एनसीईआरटी को लिखा पत्र
इसके अलावा एक और महत्वपूर्ण तथ्य है, जो इसमें गलत दिया गया है. फ्लेमिंगो के इंडिगो चैप्टर में गांधी जी के द्वारा 6 गांव में प्राइमरी स्कूल खोलने की बात लिखी गई है. लेकिन 3 गांव में ही स्कूल खोले गए, जो बड़हरवा लखनसेन, भितिहारवा और मधुबन में है. चंपारण सत्याग्रह और गांधी दर्शन पर रिसर्च कर चुके भैरव लाल दास ने इन सभी गलतियों को लेकर एनसीईआरटी को पत्र लिखा है और इसे शुद्ध करने को कहा है. इसके लिए उन्होंने राजकुमार शुक्ल की डायरी का भी हवाला दिया है.

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