पटना:राष्ट्रीय खेल दिवस (National Sports Day 2022) के मौके पर 29 अगस्त को हर साल राज्य सरकार की तरफ से खिलाड़ियों को सम्मानित किया जाता है. उनके विकास के बड़े बड़े वादे किए जाते हैं लेकिन बिहार के खिलाड़ियों की तकदीर बदलने में अभी और वक्त लगेगा. राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का मान सम्मान बढ़ाते हुए पदक लाने वाले खिलाड़ियों ( Bad condition of players in Patna) को आज भी दर-दर भटकना पड़ रहा है. कुछ ऐसे ही खिलाड़ियों से हमारी टीम ने बात की.
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'पदक लाओ नौकरी पाओ' के तहत नहीं मिली नौकरी:सरकारी उदासीनता और लापरवाही का खामियाजा कई खिलाड़ियों को उठाना पड़ रहा है. इतना ही नहीं परिवार का भरण पोषण करने के लिए चाय की स्टॉल तो पंचर बनाने के काम में भी कई खिलाड़ी लगे हुए हैं.बिहार सरकार भले ही खिलाड़ियों के लिए हमदर्दी दिखाती है लेकिन जो स्थिति है वह बद से बदतर है क्योंकि बिहार में पिछले 7 सालों से खेल कोटा से खिलाड़ियों की बहाली नहीं हुई है. सरकार की यह घोषणा है कि मेडल लाओ नौकरी पाओ लेकिन मैडल लाने के बाद भी खिलाड़ियों को नौकरी नहीं मिली.
खो खो खिलाड़ी बनाते हैं पंचर: पटना के रहने वाले खो खो खिलाड़ी मंसूर आलम ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कहा कि मन में बस एक ही सपना था कि खेल के दौरान बिहार ही नहीं बल्कि देश का मान सम्मान बढ़ाएं. अपने खेल से हमने देश का मान बढ़ाया. मेडल लाओ नौकरी पाओ के सरकार की घोषणा के अनुरूप कई भवन सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाए. लेकिन नौकरी हाथ नहीं लगी. मजबूरन आज घर परिवार चलाने के लिए साइकिल मोटर साइकिल का पंचर बनाते हैं.
"कई मंत्री आए गए लेकिन खिलाड़ियों की स्थिति जस की तस बनी हुई है. खिलाड़ी आज भी सरकार की बहाली का राह देख रहे हैं. 2015 से लेकर 2019 तक खेल चुके हैं. 2018 में इंटरनेशनल स्तर पर इंडिया को रिप्रेजेंट किया है. अब नई सरकार से उम्मीद बंधी है. तेजस्वी जी खिलाड़ी रहे हैं और खास करके कला संस्कृति युवा विभाग के मंत्री से यह उम्मीद है कि जो सरकार का वादा है उसके हिसाब से खिलाड़ियों को नौकरी दिया जाए."- मंसूर आलम, खो खो खिलाड़ी
नेशनल तैराक बेच रहे ठेले में चाय:वहीं पटना के नेशनल लेवल तैराक गोपाल प्रसाद यादव ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान बताया कि पिछले कई साल से बिहार में खेल कोटा से बहाली नहीं हो रही है. हर रविवार को निशुल्क बच्चों को गंगा में तैराकी सिखाते हैं लेकिन इससे आजीविका तो नहीं चलेगी. इसलिए एक छोटी सी चाय की दुकान पर लोगों को चाय पिलाते हैं. 6 रुपये कप चाय लिखे हैं पर 5 रुपये कप मिलता है. नेशनल तैराक टी स्टॉल पर उन्होंने अपने सारे मेडल को सजा रखा है.