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पटना सिविल कोर्ट में लगी लोक अदालत, हजारों केस का हुआ निपटारा

पटना सिविल कोर्ट में राष्ट्रीय लोक अदालत लगायी गयी. इस बार करीब 4000 पेंडिंग केसों को नोटिस किया गया. पिछले लोक अदालत में करीब 1700 मामलों का निष्पादन किया गया था. इस कोर्ट में दोनों पक्षों के बीच परस्पर समझौते के माध्यम से विवादों का समाधान किया जाता है. पढ़ें पूरी खबर....

लोक अदालत में हजारों केस का निपटारा
लोक अदालत में हजारों केस का निपटारा

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Published : Aug 13, 2022, 3:49 PM IST

पटना:राजधानी पटना में शनिवार को राष्ट्रीय लोक अदालत में हजारों केस का निष्पादन किया गया. जिला विधिक सेवा प्राधिकार पटना के तत्वाधान में सिविल कोर्ट के साथ विभिन्न न्यायालय में लोक अदालत (National Lok Adalat In Patna) लगायी गयी थी. इस दौरान संधि योग्य लघु आपराधिक मामले, बैंक ऋण, विद्युत संबंधित मामले, वाहन दुर्घटना बीमा, परिवारवाद मामलों के निपटारे के लिए 11 बेंच का गठन किया गया था. साथ ही उपभोक्ता फोरम से जुड़े मामले विचार विनिमय, समायोजन और सुलह के आधार पर निष्पादित किए गए.

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हजारों की संख्या में पहुंचे फरियादी:प्रभारी जिला एवं सत्र न्यायाधीश सत्येंद्र पांडे (Judge Satyendra Pandey) ने लोक अदालत का निरीक्षण किया. उन्होंने कहा कि पूरे देश में लोक अदालत के माध्यम से विवादों का निपटारा किया जा रहा है. उसी कड़ी में पटना व्यवहार न्यायालय में भी केसों का निपटारा किया गया. लगभग हजारों की संख्या में वादी लोक अदालत अपनी फरियाद लेकर पहुंचे थे. फरियादियों की फरियाद सुनने के लिए अलग-अलग बेंच बनाया गया है. जिससे लोगों के छोटे-मोटे विवादों का निपटारा किया गया.

चार हजार मामले किए गए नोटिस:इस बार राष्ट्रीय लोक अदालत ने करीब 4000 हजार मामले को नोटिस किया था. पिछले लोक अदालत में 1700 मामला निष्पादन किया गया था. गौरतलब है कि यह अदालत त्वरित निपटारा कर न्यायपालिका के लंबित मामलों का भार कम करने में सहायता करती है. इसमें लंबित वाद, सुलह योग्य आपराधिक वाद, बैंक ऋण वसूली वाद, मोटर दुर्घटना दावा, न्यायाधिकरण वाद, वैवाहिक वाद, श्रम वाद, भूमि अधिग्रहण मामले, राजस्व मामले, विद्युत, पानी बिल, सेवा, बैंक, इंश्योरेंस आदि मामले निपटाए जाते हैं.

लोक अदालत ऐसा मंच है या कहे कि फोरम है. यहां न्यायालय में लंबित मुकदमे के रूप में दाखिल नहीं किए गए मामलों का सौहार्दपूर्ण तरीके से निपटारा किया जाता है. यह सामान्य न्यायालयों से अलग होता है, क्योंकि यहां विवादित पक्षों के बीच परस्पर समझौते के माध्यम से विवादों का समाधान किया जाता है. इस अदालत को हर जिले में समय-समय पर आयोजित किया जाता है.

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