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बिहार में फाइलेरिया के खिलाफ अभियान शुरू, आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर खिलाएंगी दवा - ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम

पटना में मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम की शुरुआत की गई. राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत इसका आयोजन हो रहा है. इसके तहत 22 जिलों में 15 दिनों तक आशा कार्यकर्ता फाइलेरिया दवा डीईसी और एल्बेंडाजोल की गोली खिलाएंगी. कार्यक्रम की शुरूआत स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने दवाइयां खाकर की. उनके साथ अन्य अधिकारी भी मौजूद थे.

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Published : Sep 20, 2021, 4:51 PM IST

पटना:राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत सोमवार को राजधानी पटना में स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे (Health Minister Mangal Pandey) ने मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम (drug administration program) की शुरुआत की. इस मौके पर राज्य स्वास्थ्य समिति (state health committee) के कार्यपालक निदेशक संजय कुमार सिंह, स्वास्थ्य विभाग के निदेशक प्रमुख डॉ. नवीन चंद्र प्रसाद, पटना जिला सिविल सर्जन डॉ. विभा कुमारी समेत कई स्वास्थ्य विभाग के पदाधिकारी मौजूद रहे. पहले चरण में MDA यानी कि 'मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन' अभियान प्रदेश के 22 जिलों में शुरू की जा रही है और यह 15 दिनों तक चलेगा.

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इस दौरान आशा कार्यकर्ताओं इन 22 जिलों में घर-घर जाकर सभी व्यक्ति को एंटी फाइलेरियल दवा डीईसी और एल्बेंडाजोल की गोली अपने सामने खिलाएंगी. अररिया, बांका, बेगूसराय, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, बक्सर, भागलपुर, गोपालगंज, जहानाबाद, जमुई, कैमूर, कटिहार, पटना, खगड़िया, मधेपुरा, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, सारण, सहरसा, सिवान, सीतामढ़ी और सुपौल में यह अभियान शुरू हो रहा है.

देखें रिपोर्ट

'मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन' अभियान की शुरुआत करते हुए स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे और स्वास्थ्य विभाग के कार्यपालक निदेशक संजय कुमार सिंह ने सबसे पहले एंटी फाइलेरियल दवाई यानी डीईसी की तीन गोली और एल्बेंडाजोल की एक गोली खाकर अभियान की शुरुआत की. इस दौरान स्वास्थ्य मंत्री ने स्वास्थ्य विभाग के कई कार्यकर्ताओं और कर्मियों को एंटी फाइलेरियल दवा खिलाई. एमडीए अभियान के तहत 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाएं और गंभीर रूप से बीमार लोगों को छोड़कर सभी लोगों को उम्र के अनुसार एंटी फाइलेरिया दवा खिलाई जाएगी.

'राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन का अभियान राज्य के 22 जिलों में शुरू किया गया है. इस अभियान का मकसद है समाज को फाइलेरिया से मुक्त करना. वर्तमान समय में डेढ़ लाख के करीब लिंफेटिक फाइलेरिया यानी कि हाथी पांव से लोग ग्रसित हैं. लगभग 50 हजार के करीब हाइड्रोसील की फाइलेरिया से ग्रसित हैं. भविष्य में फाइलेरिया की समस्या समाज में ना हो, इसके लिए मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन का बहुत बड़ा रोल है. एमडीए अभियान के तहत दो गोलियां हैं, जो साल में एक बार खानी है. इसमें डीईसी और एल्बेंडाजोल की गोली शामिल है. ऐसे में वह राज्य की जनता से अपील करेंगे कि जिनके भी घरों पर दवाई खिलाने के लिए स्वास्थ्यकर्मी पहुंचते हैं, तो स्वास्थ्य कर्मियों के सामने ही उन दवाइयों का लोग सेवन करें. इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं है और साल में एक बार ही खानी है.'-मंगल पांडे, स्वास्थ्य मंत्री

स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने जनप्रतिनिधियों से अपील करते हुए कहा कि चाहे वह सांसद हो, विधायक हो, पार्षद हो या मुखिया और सरपंच हो, ऐसे सभी जनप्रतिनिधि समाज में जागरुकता लाएं. इस प्रकार के जन जागरुकता के कार्यक्रम जो सरकार की तरफ से चलाए जा रहे हैं, उसको लेकर लोगों में जागरुकता पैदा करने के साथ-साथ अभियान को सफल बनाने में भी मदद करें.

उन्होंने कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रम में जन भागीदारी की बहुत अधिक जरूरत पड़ती है. जनप्रतिनिधियों को यह प्रयास करना चाहिए कि लोगों के मन से एमडीए अभियान की दवाइयों को लेकर शंका को दूर करें. लोगों को बताएं कि इससे समाज को फायदा है और कोई नुकसान नहीं है.

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि पहले एमडीए अभियान के तहत पहले दवाइयों का वितरण किया जाता था और यह देखने को मिला कि लोग दवाई ले लेते हैं. लेकिन खाते नहीं हैं. ऐसे में इस अभियान को सफल बनाने के लिए जवाबदेही तय करते हुए इस बार से आशा कार्यकर्ताओं को यह निर्देशित किया गया है कि लोगों को घर-घर जाकर अपने सामने इन दवाइयों की खुराक खिलानी है.

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि डीईसी की गोली की खुराक हर उम्र के लिए अलग है. 18 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को तीन गोली पानी के साथ खानी है. अल्बेंडाजोल की गोली को चबाकर खाना है. उन्होंने कहा कि जब इन 22 जिलों में यह अभियान समाप्त हो जाएगा तो फिर शेष बचे जिलों में इस अभियान को चलाया जाएगा.

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