पटना: नागपंचमी पर्व को लेकर राजधानी पटना से 40 किलोमीटर दूर मसौढ़ी प्रखंड (nagpanchami in patna) में एक प्रसिद्ध गांव नागस्थान है. बताया जाता है कि यहां पहले सांपों का काफी झुंड होता था. इसके चलते गांव का नाम नागस्थान रख दिया गया था. नाग पंचमी को लेकर इस गांव में सुबह से ही पूजन उत्सव का कार्यक्रम किया जाता है. यहां की मान्यता है कि जिस किसी व्यक्ति को सर्प दोष होता है. वे लोग नागपंचमी पर इस गांव में आते हैं और पूजा करते हैं.
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नागपंचमी पूजा पर विशेष पूजा: नाग पंचमी पर सांपों की विशेष रुप से पूजा की जाती है. इस जगह पर नाग देवता के कई मंदिर बनाये गये हैं. इस गांव के लोग आज भी नाग पंचमी के मौके पर विशेष रुप से नागों की पूजा करते हैं. मान्यता है कि यहां सच्चे दिल से मांगी मुराद नाग देवता जरुर पूरा करते हैं, इसीलिए इस गांव के नाग मंदिर को लेकर तमाम मान्यताएं हैं. आज सुबह से ही पूरे गांव में नाग पंचमी को लेकर भव्य तरीके से पूजा का आयोजन किया जा रहा है.
नागपंचमी पर विशेष कथा: गांव के बुजुर्गों ने कहा कि प्राचीन काल में जब गरुड़ महाराज सभी सांपों को भक्षण करने के लिए सभी सांपों को दौड़ा रहे थे. तो सभी सांपों को अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भाग रहे थे. ऐसे में बहुत सारे सांप मसौढ़ी के नागस्थान गांव में आकर शरण लिया था. इस गांव में कुछ अलौकिक शक्ति के कारण गरुड़ महाराज ने सभी सांपों को छोड़ दिया, जिसके कारण गांव में नागों का डेरा लग गया.
सांपों ने किसी युवकों को नहीं काटा: सबसे बड़ी बात यह है कि उस समय से आज तक किसी ग्रामीणों को सांप ने नहीं काटा है. उसी दिन से हर नागपंचमी के दिन इस गांव में भव्य पूजन का कार्यक्रम मनाया जाता है. काफी दूर-दूर से श्रद्धालु यहां नाग पंचमी के मौके पर आकर पूजा-पाठ करते हैं. कहा जाता है कि अगर किसी व्यक्ति को सर्प दोष होता है, वह इस गांव में आकर पूजा करते हैं.
'प्राचीन काल में जब गरुड़ महाराज सभी सांपों को भक्षण करने के लिए सभी सांपों को दौड़ा रहे थे.उसी समय सांप अपनी जान बचाने के लिए इधर उधर भाग रहे थे. ऐसे में बहुत सारे सांप मसौढ़ी के इसी नागस्थान गांव में आकर शरण लिये'- कामेश्वर सिंह
नागस्थान, मसौढ़ी
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