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पटना में नाबार्ड हाट मेले की धूम, लोगों को भा रहे ग्रामीण उद्यमियों के बनाए गए सामान

नाबार्ड की ओर से आयोजित इस मेले में बिहार के अलावा देश के विभिन्न प्रदेशों से ग्रमीण उद्यमी और कलाकार पहुंचे. इस हाट में 140 से ज्यादा अलग-अलग स्टॉल लगाए गए.

नाबार्ड हाट पटना
नाबार्ड हाट पटना

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Published : Dec 25, 2019, 5:58 AM IST

पटना: राजधानी पटना के गांधी मैदान में राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) की ओर से एक मेले का आयोजन किया गया है. इस आयोजन से नाबार्ड ग्रामीण उद्यमियों को प्रमोट कर रहा है. सस्ती कीमतों पर हाथ से बनी चीजों को खरीदने के लिए पटना समेत कई जिलों से लोग गांधी मैदान पहुंच रहे हैं.

नाबार्ड की ओर से आयोजित इस मेले में मे बिहार के अलावा देश के विभिन्न प्रदेशों से ग्रमीण उद्यमी और कलाकार पहुंचे. इस हाट में 140 से ज्यादा अलग-अलग स्टॉल लगाए गए है. मेले में खाने-पीने के सामान से लेकर सजावटी सामान लोगों को खूब आकर्षित कर रहे हैं.

मेले में खरीददारी करती महिलाएं

'ग्रामीण उद्यमियों के लिए मंच'
इस मेले का आयोजन नाबार्ड और अंबपाली हैंडलूम एंड हैंडीक्राफ्ट संस्थान की ओर से किया गया है. मौके पर अंबपाली हैंडलूम की प्रेसिडेंट अर्चना सिंह ने बताया कि साल के अंत में यह आयोजन किया जाता है. इस आयोजन से ग्रामीण उद्यमियों को नाबार्ड की ओर से प्रशिक्षित किया जाता है. उन्हें यहां उत्पादों की बिक्री के लिए एक मंच दिया जाता है. उद्यमी यहां पर उपभोक्ताओं की जरूरत को समझकर उनकी जरूरत के अनुसार उत्पाद तैयार करते है.

ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट

'धातु के बर्तनों पर कारीगरी'
हाट में अपना स्टॉल लगाए राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता शिल्पकार इकराम हुसैन अंसारी ने बताया कि वह पीतल के बर्तन पर कारीगरी करते है. अन्य धातु के बर्तनों पर भी चित्र उकेर कर उसे खूबसूरत बनते है. उन्होंने बताया कि वो उपेंद्र महारथी शिल्प अनुसंधान केंद्र से जुड़े हुए हैं और उन्होंने जापान के प्रधानमंत्री शिंजो अबे की चित्र बर्तन पर उकेरी है. जो शिल्प अनुसंधान केंद्र में मौजूद है. इकराम हुसैन बताते है कि उन्होंने अब तक कई मंत्रियों की तस्वीर बर्तनों उकेरी है.

इकराम हुसैन अंसारी, राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता शिल्पकार

'ग्रामीण संस्कृति को समझने का मिलता है मौका'
मेले में खरीदारी करने आई मधुलेखा और कामिनी सिन्हा बताती है कि वो हर साल इस मेले में आती हैं और कई उत्पादों की खरीददारी करती हैं. उन्होंने बताया कि इस प्रकार के आयोजन से उन्हें ग्रामीण संस्कृति को समझने का मौका मिलता है.

मेले में लगाए गए विभिन्न स्टाल

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