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विलुप्त हो रहे विशेष प्रजाति के पौधे को संरक्षण देने की तैयारी में जुटा निगम प्रशासन, विशेषज्ञों ने कहा- अच्छी पहल

प्रदूषण बोर्ड के गाइडलाइन के अनुसार प्रदूषण की मात्रा कम करने के लिए पौधा लगाना जरूरी है. जिसको लेकर निगम प्रशासन अपने क्षेत्रों में वृक्षारोपण करने की तैयारी में लगा हुआ है. नगर निगम दीघा घाट से पटना सिटी तक पीपल, बरगद, कूलर जैसे पौधे लगाने की तैयारी में है. इसके अलावा नगर निगम क्षेत्र में जितने भी तालाब हैं. उन तालाबों के किनारे निगम वृक्षारोपण करेगा.

Municipal corporation
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Published : Feb 3, 2021, 12:29 PM IST

पटना: जिले में विलुप्त हो रहे विशेष प्रजाति के पौधों और पेड़ों के संरक्षण और रखरखाव को लेकर निगम प्रशासन तैयारी कर रहा है. पटना नगर निगम के अधिकारी उन तमाम विलुप्त हो रहे खास प्रजाति के पौधों को बचाने के लिये वन विभाग के विशेषज्ञों से राय लेकर बचाने की मुहिम में जुटने वाले हैं, ताकि पटना में बढ़ते प्रदूषण को कम किया जा सके.

पटना नगर निगम

प्रदूषण बोर्ड के गाइडलाइन के अनुसार प्रदूषण की मात्रा कम करने के लिए पौधा लगाना जरूरी है. जिसको लेकर निगम प्रशासन के अधिकारी उन पौधों को लगाने में जुटने वाला है. जो पौधा कार्बन डाइऑक्साइड ग्रहण कर ऑक्सीजन देते हैं. निगम के इस पहल की विशेषज्ञ भी प्रशंसा कर रहे हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि यदि हम लोगों से निगम सलाह लेगा, तो हम उनकी मदद भी करेंगे.

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निगम प्रशासन वन विभाग से कर रहा संपर्क
पटना शहर में बढ़ते प्रदूषण की वजह से हवा जहरीली होती जा रही है. जिससे आम लोगों के जीवन पर भी काफी असर पड़ रहा है. शहर में रह रहे लोगों को शुद्ध हवा मिले, इसके लिए पटना नगर निगम अपने क्षेत्रों में वृक्षारोपण करने की तैयारी में लगा हुआ है. कुछ दिन पहले पटना नगर निगम में जैव विविधता की बैठक हुई थी. जिसमें निगम प्रशासन द्वारा फैसला लिया गया था कि शहर में जितने भी पौधे हैं, निगम सभी पौधे को काउंटिंग कराएगा. इसके अलावा जितने भी पौधे विलुप्त हो रहे हैं. उन पौधों को फिर से जीवित रखने के लिए निगम प्रशासन वन विभाग के अधिकारियों से भी संपर्क करेगा.

पौधे को संरक्षण देने की तैयारी

वृक्षारोपण करने का निर्णय
वन विभाग से राय लेगा कि पौधे को कैसे बचाया जाए, कौन सा पौधा विलुप्त हो रहा है. इसके अलावा निगम प्रशासन उन पौधों को भी संरक्षण देगा. जो पौधा कार्बन डाइऑक्साइड ग्रहण करता हैं और ऑक्सीजन की मात्रा छोड़ता हो, उन पौधों पर भी फोकस रहेगा. निगम प्रशासन का मानना है कि शहर की जितनी बड़ी आबादी बढ़ती जा रही है. उसके हिसाब से शहर में पेड़ पौधे की संख्या कम होती जा रही है .उनकी संख्या बढ़ाने के लिए निगम प्रशासन अपने क्षेत्रों में वृक्षारोपण करने का निर्णय लिया है.

नगर निगम ने वृक्षारोपण करने के तैयारी में जुटा

विलुप्त हो रहे पौधों को संरक्षण देने की तैयारी
'शहर में जिस तरह से वायु प्रदूषण फैल रहा है. उसे रोकने के लिए निगम प्रशासन लगातार विचार विमर्श कर रहा है. अधिकारियों से लेकर विशेषज्ञों की भी राय ले रहा है, कि प्रदूषण को कैसे कम किया जाए. उस पर हम लोग काम कर रहे हैं. शहर को हरा-भरा करने के लिए पेड़ पौधा लगाएंगे. ताकि हवा की क्वालिटी अच्छी हो सके. लोगों को शुद्ध हवा मिल सके. इस दिशा में हम लोग काम करने की तैयारी कर रहे हैं. वहीं, खासकर उन पौधे पर हम लोगों का अधिक नजर रख रहे है जो पौधा विलुप्त हो रहा है. इसके अलावा उन पौधों को भी लगाया जाएगा जिन पौधों से जड़ी बूटी बनता है.'-इंद्रदीप चंद्रवंशी, स्टैंडिंग कमेटी सदस्य, पीएमसी

इंद्रदीप चंद्रवंशी, स्टैंडिंग कमेटी सदस्य, पीएमसी

निगम प्रशासन द्वारा लिए गए निर्णय को लेकर पर्यावरणविद बताते है कि उनकी पहल बहुत ही अच्छी है, यदि निगम प्रशासन पर्यावरण के प्रति सचमुच में जागरूक है और पौधे लगाने पर विचार कर रहा है. तो सही है. यदि निगम प्रशासनिक अधिकारी हम लोगों से राय लेंगे तो हम लोग भी उनकी मदद करेंगे.

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'यदि वायु प्रदूषण को कम करना है तो सबसे अधिक बरगद, पीपल, गूलर, पाटली और नींब वृक्ष लगाने से वायु प्रदूषण की मात्रा कम होती है. यह सभी वृक्ष कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा को सबसे अधिक ग्रहण करते हैं और ऑक्सीजन हमें अधिक देते हैं.'- शिव प्रसाद सिंह, पर्यावरणविद

नगर निगम इन क्षेत्रों में करेगा वृक्षारोपण
बता दें कि नगर निगम इन दीघा घाट से पटना सिटी तक पीपल, बरगद, कूलर जैसे पौधे लगाने की तैयारी में है. इसके अलावा नगर निगम क्षेत्र में जितने भी तलाब हैं. उन तालाबों के किनारे निगम वृक्षारोपण करेगा.

विलुप्त हो रहे पौधे को संरक्षण देने की तैयारी

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बता दें कि शहर में ढाक, कदम, जाल, जेंड, रौंज, गिरनी और शीशम जैसे हरे-भरे पेड़ अब बमुश्किल दिखाई देते हैं. विलुप्त हो रही कई प्रजातियां ऐसी हैं, जो पर्यावरण की दृष्टिकोण से काफी मायने रखती हैं. रौंज, जैंड, बड़ और धाक जैसे लंबे आकार वाले पौधे न होने की वजह से कई पक्षियों के बसेरों को अन्य जगह तलाशनी पड़ रही है. इसके अलावा ये पेड़ भी पीपल की तरह ही बड़ी मात्रा में आक्सीजन का स्त्रोत हैं, जिनसे आबोहवा संतुलित रहती है. अब देखने वाली बात होगी कि निगम इस योजना की शुरुआत कब करता है क्योंकि राजधानी पटना में इन दिनों प्रदूषण की मात्रा अधिक होती जा रही है.

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