पटना: बिहार में ईबीसी के लिए आरक्षण (EBC Reservation in Bihar) का मुद्दा गरम है. एक ओर जहां बिहार सरकार पटना हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख करने का मन बना (Patna High Court decision Over EBC Reservation ) चुकी है तो वहीं दूसरी ओर इसको लेकर सियासी घमासान भी मचा हुआ है. सत्ता पक्ष बीजेपी पर ये आरोप लगा रहा है कि वो साजिश रचकर पिछड़ों का आरक्षण खत्म करने जा रही है. जबकि इसके जवाब में बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी (MP Sushil Kumar Modi) ने मोर्चा खोलकर नीतीश सरकार को ही टारगेट किया है.
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सुशील मोदी का नीतीश पर निशाना: बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने एक ट्वीट में कहा है कि नीतीश जी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने में समय बर्बाद न करें. कोर्ट के निर्देशों का पालन कर डेडिकेटेड आयोग का तुरंत गठन करें. ऐसा नहीं किया तो 6 महीने का और विलंब हो जाएगा. नीतीश सरकार को AG और स्टेट इलेक्शन कमीशन के पत्रों को भी सार्वजनिक करना चाहिए. अगर ऐसा नहीं करते हैं तो नीतीश EBC को आरक्षण से वंचित करने का जिम्मा भी लें.
''सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटा नीतीश कुमार समय बर्बाद न करें. कोर्ट के निर्देशों का पालन कर Dedicated आयोग तुरंत गठित करें. अन्यथा और ६ माह विलम्ब हो जाएगा? AG और SEC के पत्रों को सार्वजनिक करें. नीतीश EBC को आरक्षण से वंचित करने का ज़िम्मा लें''- सुशील कुमार मोदी, राज्यसभा सांसद, बीजेपी
क्या है मामला: दरअसल, बिहार में इस महीने होने वाले नगर निकाय चुनाव को लेकर पटना हाईकोर्ट (Patna high court decision Over EBC Reservation) ने बड़ा फैसला सुनाया. हाईकोर्ट ने पिछड़ी और अति पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षित सीटों पर चुनाव कराने से फिलहाल रोक लगा दी. पटना हाईकोर्ट के इस निर्णय के बाद आनन-फानन में बिहार राज्य निर्वाचन आयोग (Bihar State Election Commission) की बैठक हुई. जिसमें अधिकारियों ने पूरे मामले पर हाईकोर्ट के निर्णय की जानकारी ली. जिसमें राज्य निर्वाचन आयोग के अधिकारी और नगर विकास विभाग के सचिव भी मौजूद रहे. इस बैठक में चुनाव को फिलहाल स्थगित करने का निर्णय लिया गया.
BJP-JDU आमने-सामने :हालांकि EBC आरक्षण को लेकर बिहार में जमकर राजनीति हो रही है. बीजेपी और जेडीयू के नेता एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते रहे. यही नहीं वीआईपी चीफ मुकेश सहनी ने भी हाई कोर्ट के फसले पर प्रश्न चिह्न लगा दिया था. खबर है कि इस फैसले के खिलाफ बिहार सरकार सुप्रीम कोर्ट का रुख करने जा रही है.
तीन जांच की अर्हता पूरी होने के बाद फैसला :गौरतलब है कि दिसंबर 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि स्थानीय निकायों में ईबीसी के लिए आरक्षण की अनुमति तब तक नहीं दी जा सकती, जब तक कि सरकार 2010 में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा निर्धारित तीन जांच की अर्हता पूरी नहीं कर लेती. तीन जांच के प्रावधानों के तहत ईबीसी के पिछड़ापन पर आंकड़ें जुटाने के लिए एक विशेष आयोग गठित करने और आयोग के सिफरिशों के मद्देनजर प्रत्येक स्थानीय निकाय में आरक्षण का अनुपात तय करने की जरूरत है. साथ ही ये भी सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि एससी/एसटी/ईबीसी के लिए आरक्षण की सीमा कुल उपलब्ध सीटों का पचास प्रतिशत की सीमा को नहीं पार करे.