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बोले सुशील मोदी 'MP की तरह बिहार अतिपिछड़ा आयोग ने रिपोर्ट सार्वजनिक क्यों नहीं की?' - Etv Bharat News

राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी (Rajyasabha MP Sushil Kumar Modi) ने कहा है कि बिहार सरकार के अतिपिछड़ा वर्ग आयोग ने सामाजिक संगठनों और जनता से व्यापक संवाद स्थापित किये बिना जल्दबाजी में रिपोर्ट तैयार कर दी. नीतीश कुमार अतिपिछड़ों को आरक्षण नहीं देना चाहते, इसलिए जानबूझ कर ऐसे फैसले कर रहे हैं. पढे़ं पूरी खबर...

Sushil Kumar Modi targeted bihar government
Sushil Kumar Modi targeted bihar government

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Published : Dec 4, 2022, 7:57 PM IST

पटना:पूर्व उपमुख्यमंत्री और राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी (Former Deputy Chief Minister Sushil Kumar Modi) ने बिहार सरकार पर आरक्षण संबंधी मामलों में रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं करने पर हमला (Sushil Kumar Modi targeted bihar government) बोला है. उन्होंने इस बयान को चुनौती दी कि बिहार में पहले से गठित अतिपिछड़ा वर्ग आयोग को विशेष आयोग का दर्जा मध्यप्रदेश की तर्ज पर दिया गया है. मोदी ने कहा कि निकाय चुनाव में पिछड़ों को आरक्षण देने के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने 2 सितम्बर 2021को नया आयोग गठित कर दिया था, जिसने पिछड़े वर्गों के आरक्षण और चुनाव संबंधी मामलों का अध्ययन कर रिपोर्ट दी.

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आरक्षण संबंधी रिपोर्ट सार्वजनिक क्यों नहीं की सरकार: मोदी ने कहा कि अगर मध्यप्रदेश की तर्ज पर काम करने का दावा बिहार सरकार कर रही है. तो बिहार राज्य अतिपिछड़ा वर्ग आयोग ने निकाय चुनाव और आरक्षण संबंधी मामलों में अपनी रिपोर्ट सार्वजनिक क्यों नहीं की? मध्यप्रदेश के विशेष आयोग ने तो अपनी रिपोर्ट सार्वजनिक की और हाईकोर्ट को भी सौंपी.


पुराने नामांकन पर ही चुनाव कराना चाहती है सरकार:उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में पुरानी चुनाव प्रक्रिया को रद कर नये सिरे से निकाय चुनाव कराये गए. जबकि बिहार सरकार पुराने नामांकन पर ही चुनाव करा लेना चाहती है. जब मध्यप्रदेश में पिछड़ों को 35 फीसदी आरक्षण दिया गया है. तब बिहार में इसे 20 फीसदी ही क्यों रखा गया. भाजपा 50 फीसदी की सीमा में अतिपिछड़ों का आरक्षण बढ़ाने के पक्ष में है.

अतिपिछड़ों को आरक्षण नहीं देना चाहते नीतीश:मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार अतिपिछड़ों को आरक्षण नहीं देना चाहते. इसलिए जानबूझ कर ऐसे फैसले कर रहे हैं. जिससे कानूनी पेंच फँसे और हाईकोर्ट को फिर निकाय चुनाव में हस्तक्षेप का मौका मिले. उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश के विशेष आयोग ने 82 सामाजिक संगठनों के ज्ञापन और 1000 से ज्यादा ईमेल पर प्राप्त सुझावों का अध्ययन कर रिपोर्ट तैयार करने में पांच महीने लगाये. जबकि बिहार सरकार के अतिपिछड़ा वर्ग आयोग ने सामाजिक संगठनों और जनता से व्यापक संवाद स्थापित किये बिना जल्दबाजी में रिपोर्ट तैयार कर दी. इस रिपोर्ट को सरकार गोपनीय क्यों रखना चाहती है?

"बिहार सरकार के अतिपिछड़ा वर्ग आयोग ने सामाजिक संगठनों और जनता से व्यापक संवाद स्थापित किये बिना जल्दबाजी में रिपोर्ट तैयार कर दी. नीतीश कुमार अतिपिछड़ों को आरक्षण नहीं देना चाहते, इसलिए जानबूझ कर ऐसे फैसले कर रहे हैं.":-सुशील कुमार मोदी, राज्यसभा सदस्य

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