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'बिहार में किसानों के बिना ही चल रहा आंदोलन, विपक्ष की सारी कोशिशें नाकाम' - Agitation without farmers

दिल्ली की सीमा पर राजस्थान, पंजाब और हरियाणा समेत कुछ राज्यों के किसान कई महीने से डटे हुए हैं. आज देश भर में किसानों का चक्का जाम भी है. लेकिन बिहार में राजद ने चक्का जाम को नैतिक समर्थन देने की घोषणा की है. विपक्ष की तमाम कोशिशों के बावजूद इस आंदोलन में बिहार के किसान नहीं जुड़े रहे हैं और यही वजह है कि विपक्ष भी चक्का जाम में सक्रिय भूमिका में नजर नहीं आ रहा है.

पटना
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Published : Feb 6, 2021, 4:23 PM IST

पटना: दिसंबर में किसानों के समर्थन में गांधी मैदान के पास धरना देने के बाद जनवरी महीने में राजद, कांग्रेस और तमाम वामदलों ने मिलकर मानव श्रृंखला बनाई थी. राष्ट्रीय जनता दल ने तो इसके लिए एक सप्ताह तक विशेष आयोजन किया और किसान जागरुकता सप्ताह मनाया. इसके बावजूद किसानों की सक्रिय भागीदारी नहीं होने से विपक्ष की सारी रणनीति फेल हो जा रही है.

प्रेमरंजन पटेल, भाजपा नेता

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''बिहार में किसान कहीं आंदोलन में है ही नहीं. उन्हें कुछ खास लोग भड़काने की कोशिश कर रहे हैं. फिर भी उन्हें सफलता नहीं मिल रही है''- प्रेमरंजन पटेल, भाजपा नेता

हालांकि, राष्ट्रीय जनता दल के नेताओं का स्पष्ट कहना है कि चाहे दिसंबर में हुआ एक दिवसीय धरना हो या फिर जनवरी महीने में आयोजित मानव श्रृंखला हर मौके पर किसानों का भरपूर सहयोग मिला है.

मृत्युंजय तिवारी, राजद नेता

''किसानों में जागरूकता नहीं है. इसे लेकर थोड़ी परेशानी जरूर है. कृषि कानूनों के विरोध में किसान शहरों में भले ही दिख नहीं रहे हैं. लेकिन गांव और पंचायतों में किसान आंदोलन में उनकी पूरी भागीदारी रही है. चक्का जाम को भी राजद का पूरा नैतिक समर्थन है और किसान संगठनों के हर आंदोलन में हम उनके साथ हैं''- मृत्युंजय तिवारी, राजद नेता

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बता दें कि दिसंबर महीने में राष्ट्रीय जनता दल ने महागठबंधन के तमाम नेताओं के साथ गांधी मैदान में किसानों के आंदोलन के समर्थन में एक दिवसीय धरना दिया था. उसके बाद 30 जनवरी को शहीद दिवस के मौके पर सभी विपक्षी दलों ने कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर मानव श्रृंखला बनाई थी. लेकिन इस मानव श्रृंखला में भी तमाम जगहों पर राजनीतिक दल के नेता तो नजर आए. लेकिन किसानों की भागीदारी ना के बराबर ही रही.

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