पटना: 'चारों तरफ शांति, हर तरफ वीरानी, आम इंसान को हो रही सबसे ज्यादा परेशानी'. लागू लॉकडाउन के बाद तस्वीरें कुछ ऐसी ही हैं. कोरोना वायरस के भय और जारी लॉकडाउन से हर वर्ग के लोग परेशान हैं. ऐसे में दिन में कमाने और रात में खाने वाले लोगों को ज्यादा परेशानी हो रही है. बात करें मोटर मैकेनिक की, जो हर रोज की कमाई से पाई-पाई जोड़ अपना और अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं. आज कोरोना ने उनकी दुकानों पर ग्रहण लगा दिया है.
क्या करें साहब! जब सड़कों पर गाड़ियां होंगी नहीं. तो दुकानों पर लॉकडाउन न होते हुए भी लॉक लगना लाजमी हो जाएगा. ऐसे में ईटीवी भारत ने पटना के मोटर मैकेनिकों का दर्द जानने की कोशिश की. वैसे तो देशभर की कहानी कुछ ऐसी ही है. लेकिन बिहार के हाल भी कम नहीं हैं. बड़े मोटर मैकेनिक परेशान नजर आ रहे हैं क्योंकि उनके यहां काम करने वाले मैकेनिक स्थानीय नहीं होते. प्रदेश के अलग अलग जिलों से आये मोटर मिस्त्री जहां हैं, वहीं फंसे हैं और आर्थिक तंगी का शिकार हो रहे हैं.
'उधारी से कट रहे दिन'
वहीं, फुटपाथ पर छोटे मोटर मैकेनिकों पर तो मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है. बात करें, पटना की तो 3 हजार 500 से ज्यादा मोटर मैकेनिक हर रोज वाहनों की मरम्मती करते हैं. सभी परेशान हैं. उनकी मानें तो वो हर रोज 500 से 1 हजार रुपया तक कमा लेते थे. ऐसे में जारी लॉकडाउन ने उनकी जेब खाली कर दी है. लिहाजा, वो उधार मांग-मांग कर अपनी भूख मिटा रहे हैं.