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CM नीतीश के 'नवरत्न'! जिन्हें लेकर बिहार में आया राजनीतिक बवंडर - विधानसभा चुनाव

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के हाथों में लगभग डेढ़ दशक से बिहार के सत्ता की बागडोर है. सीएम नीतीश अपने विश्वस्त नौकरशाहों (Bureaucrats) के बदौलत प्रदेश में सुशासन (Good Governance) का दावा करते हैं. लेकिन इस बार विधायिका और कार्यपालिका के बीच आर-पार की लड़ाई दिख रही है. देखिए ये रिपोर्ट

पटना
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Published : Jul 5, 2021, 11:02 PM IST

पटना:मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Chief Minister Nitish Kumar) की पकड़ पार्टी और सरकार पर पहले के मुकाबले ढीली पड़ी है. विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) में संख्या बल कम होने से मंत्रियों का सरकार पर दबाव बढ़ गया है. नीतीश कुमार 15 साल से अधिक समय से बिहार के सत्ता पर काबिज हैं. मुख्यमंत्री के तौर पर नीतीश कुमार बिहार में सुशासन (Good Governance in Bihar) लाने में कामयाब साबित हुए हैं.

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सुशासन को धरातल के सरजमीं पर लाने के लिए नीतीश कुमार ने अपने विश्वस्त नौकरशाहों (Bureaucrats) पर भरोसा किया और उन्हें फ्री हैंड दिया. कई बार नौकरशाहों को लेकर विवाद भी खड़े हुए, लेकिन उसे सुलझा लिया गया. लेकिन, इस बार विवाद इस कदर गहरा गया है कि सरकार पर ही संकट की स्थिति है. समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी ने जहां इस्तीफे की पेशकश कर दी है. वहीं, कई मंत्रियों ने मदन सहनी के सुर में सुर मिलाया है.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार

CM नीतीश कुमार के नवरत्न
नीतीश कुमार के 15 साल के शासन काल में कई ऐसे नौकरशाह रहे जो लंबे समय से सत्ता के शीर्ष पर बने रहे. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी अपने विश्वस्त नौकरशाह को बड़ी जिम्मेदारी और विभाग दिए.

चंचल कुमार:चंचल कुमारनीतीश कुमार के भरोसेमंद अधिकारियों में एक हैं. चंचल कुमार मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव के अलावा भवन निर्माण विभाग भी उन्हीं के अधीन है. कार्मिक विभाग की जिम्मेदारी भी चंचल कुमार के पास ही है.

आनंद किशोर:आनंद किशोर पर भी मुख्यमंत्री ने भरोसा जताया है. आनंद किशोर के कंधों पर बड़ी जिम्मेदारी है. आनंद किशोर फिलहाल नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव हैं. बिहार बोर्ड के चेयरमैन की जिम्मेदारी भी इन्हीं के ऊपर है. मेट्रो रेल प्रोजेक्ट और स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी भी आनंद किशोर के कंधों पर ही है.

प्रत्यय अमृत:प्रत्यय अमृत पर भी नीतीश कुमार का भरोसा है. प्रत्यय अमृत लंबे समय तक ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव रहे और आज की तारीख में वह स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव के साथ-साथ आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव हैं.

देखिए ये रिपोर्ट

आमिर सुहानी:आमिर सुहानी फिलहाल विकास आयुक्त के पद पर हैं, लेकिन लंबे समय तक आमिर सुहानी के कंधों पर गृह विभाग की जिम्मेदारी रही है.

एस सिद्धार्थ:एस सिद्धार्थ लंबे समय तक मुख्यमंत्री सचिवालय में रहे हैं और आज की तारीख में वह वित्त विभाग के प्रधान सचिव हैं.

गोपाल सिंह:गोपाल सिंह लंबे समय से मुख्यमंत्री सचिवालय में पदस्थापित हैं. फिलहाल, वो मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी हैं और इसके अलावा प्रमंडलीय आयुक्त की जिम्मेदारी भी उनके पास है.

संजय अग्रवाल:संजय अग्रवाल पटना के कमिश्नर हैं और परिवहन विभाग के सचिव की जिम्मेदारी भी उन्हीं के कंधों पर है.

अनुपम कुमार:अनुपम कुमार सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के सचिव हैं. साथ ही मुख्यमंत्री के सचिव की जिम्मेदारी भी इन्हीं के कंधों पर है.

अमृतलाल मीणा:अमृतलाल मीणा पथ निर्माण विभाग के प्रधान सचिव हैं. इसके अलावा पंचायती राज विभाग के प्रधान सचिव की जिम्मेदारी भी इन्हें प्राप्त है. इसके अलावा बिहार स्टेट रोड डेवलपमेंट कॉरपोरेशन अमृतलाल मीणा के जिम्मे है.

राजद प्रवक्ता एजाज अहमद

कई मंत्रियों ने अधिकारियों के खिलाफ खोला मोर्चा
राजद प्रवक्ता एजाज अहमद ने सरकार पर चौतरफा हमला बोला है. राजद नेता ने कहा कि ''गिने-चुने अधिकारियों को ही महत्वपूर्ण पदों पर रखा जाता है. जो अधिकारी जदयू के पक्ष में काम करते हैं, उन्हें महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जाती है.''

जेडीयू प्रवक्ता अभिषेक झा

जेडीयू प्रवक्ता अभिषेक झा ने राजद के आरोपों को खारिज किया है. जदयू नेता ने कहा कि ''बिहार में भ्रष्ट अधिकारियों को संरक्षण नहीं दिया जाता है. राज्य में कई बड़े अधिकारियों की संपत्ति भी जब्त की गई है.''

बीजेपी प्रवक्ता संजय टाइगर

बीजेपी प्रवक्ता संजय टाइगर ने कहा कि ''सबके लिए नियमावली और संविधान है. मंत्री या नौकरशाह सबको संविधान और सरकार के नियमावली के हिसाब से चलना होता है. जहां तक अधिकारियों के तबादलों का सवाल है, तो वह सरकार का स्वविवेक होता है.''

पूर्व आईपीएस अमिताभ कुमार दास

पूर्व आईपीएस अमिताभ कुमार दास ने कहा कि ''आज की परिस्थितियों में नौकरशाहों का राजनीतिकरण हो गया है और कई नौकरशाह अपने को राजनीतिक पार्टी से संबद्ध कर लेते हैं और उन्हीं के हितों में काम करने लगते हैं.''

राजनीतिक विश्लेषक डॉ. संजय कुमार

राजनीतिक विश्लेषक डॉ. संजय कुमार मानते हैं कि ''वर्तमान राजनीतिक हालात में सवाल उठना लाजमी है. कई अधिकारियों को पदों पर लंबे समय तक रखा जाता है. रोटेशन की व्यवस्था नहीं है. ऐसे में नौकरशाहों में असंतोष होना जाहिर सी बात है. कुछ अधिकारियों के कारण किरकिरी होने के बावजूद उन्हें उसी जगह पर रखा जाता है.''

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