पटना: चार भाइयों में सबसे छोटे अनंत सिंह...गांव में हुए आपसी विवाद में 15 साल की उम्र में जेल जाना पड़ा. और यहीं से शुरू हुई 'अनंत कथा'. 15 साल के इस लड़के ने मोकामा टाल इलाके पर कब्जे़ के लिए हथियार उठा लिया.
बाहुबली की...'अनंत कथा'
टाल पर कब्जे के दौरान अनंत सिंह ने अपने गांव लदवां में अपराध का साम्राज्य कायम किया. अपराध की इस जंग में अनंत सिंह के बड़े भाई विरंची सिंह की हत्या कर दी गयी. खुद अनंत सिंह की ही बात मानें, तो उन्होंने तैर कर नदी पार किया और अपने भाई के हत्यारे को मार डाला. तब से लोग अनंत सिंह को 'छोटे सरकार' के नाम से जानने लगे.
लोग यह कहते हैं कि इलाके में 'छोटे सरकार' का इतना खौफ था कि जब भी कोई घटना होती तो लोग अनंत सिंह के पास जाते थे. 90 के दशक में ऐसी कई घटनाएं सामने आई, जिसमें कई लाशें गिरी.
यहां से शुरू हुई 'अनंत कथा'
अनंत सिंह को जानने वाले जानते हैं कि अपने दुश्मनों को वो कैसे ठिकाने लगाता है. कानून की किताब में शायद ही कोई ऐसी धारा बची हो जिसके तहत अनंत सिंह के नाम पर मुकदमा दर्ज न हो. अनंत सिंह पर दर्जनों संगीन मामले दर्ज हैं. इनमें कत्ल, अपहरण, फिरौती, डकैती और बलात्कार जैसे तमाम संगीन मामले शामिल हैं.
- साल 1990...अनंत सिंह ने अपने भाई दिलीप सिंह को चुनावी अखाड़े में उतार दिया. दिलीप सिंह ने मोकामा से चुनाव लड़ा और अनंत सिंह के सहारे विधानसभा पहुंचे.
- साल 1995...पांच साल बाद दूसरी बार भी दिलीप सिंह विधायक बने. लेकिन, 2000 में दिलीप सिंह को सूरजभान सिंह के हाथों हार का सामना करना पड़ा.
अनंत सिंह के घर पर एसटीएफ ने 2004 में धावा बोला था और फिर घंटो गोलीबारी हुई. गोली अनंत सिंह को भी लगी थी. हालांकि इस एनकाउंटर में अनंत सिंह के आठ लोग मारे गए. इसके बाद अनंत सिंह ने यहां इस किले जैसे घर में अपने आप को कैद कर लिया.
बस फिर क्या था, जुर्म की दुनिया में नाम काम चुके अनंत सिंह ने वक्त के साथ सियासत की सवारी करने का फैसला किया. धीरे-धीरे अनंत की नजदीकियां नीतीश कुमार से बढ़ती गई. जिसके बाद उन्हें 2005 में मोकामा सीट से जेडीयू के कैंडिडेट बनाया गया, वह चुनाव जीतने में कामयाब रहे. यहां से अनंत सिंह जुर्म और सियासत दोनों पर राज हो गया.
कहा जाता है इस दौरान अनंत सिंह अलग ही सरकार चलाने लगे थे. उनके खिलाफ कई मामले दर्ज हुए. लेकिन सरकार के दबाव में पुलिस अनंत सिंह का कुछ भी नहीं कर सकी. अनंत सिंह के रसूख का अंदाजा यही से लगाया जा सकता है कि नीतीश कुमार भी उनके आगे कभी हाथ जोड़े खड़े रहते थे. काफी समय पहले एक फोटो सामने आई थी, जिसमें बिहार के मौजूदा सीएम नीतीश कुमार अनंत सिंह का हाथ जोड़कर अभिवादन करते हुए नजर आ रहे हैं.
नीतीश कुमार और अनंत सिंह की दोस्ती...
- 2004 में नीतीश कुमार ने अपने वोट के खातिर अनंत सिंह के घर पर गये और यहां से नीतीश कुमार और अनंत सिंह में दोस्ती गहरी हो गई.
- नीतीश कुमार को चांदी सिक्कों से तौला था
- 2004 में नीतीश कुमार लोकसभा चुनाव हार गए पर अनंत सिंह से संबंध मजबूत रखें और आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद से अनंत सिंह का संबंध टूट गया. अनंत सिंह ने 2004 में नीतीश कुमार को चांदी के सिक्के से तौला था. इस कार्यक्रम का यह वीडियो फ़ुटेज भी काफी चर्चित हुआ और नीतीश कुमार के लिए परेशानी का सबब भी बना.
- 2007 में एक महिला से बलात्कार और हत्या के मामले में उनके शामिल होने की बात सामने आई. जब इस संबंध में एक निजी चैनल के पत्रकार ने उनसे सवाल किया तो बाहुबल विधायक ने उन्हें पीटा. मामले ने तूल पकड़ा और विधायक की गिरफ्तारी भी हुई.
अनंत सिंह 'लखटकिया' हाथी-घोड़े
विश्व प्रसिद्ध सोनपुर मेला में अनंत सिंह अपने हाथी, घोड़े और गाय के कारण चर्चा में रहते है. साल 2007 में सोनपुर मेले से अनंत सिंह ने लालू प्रसाद यादव का घोड़ा खरीदा था. एक बार 50 लाख रुपए में साड खरीद कर चर्चा में थे. अनंत सिंह अपने घोड़े और गाय के गले में सोने की सिकरी पहना कर सोनपुर मेला में पहुंचे थे.
लालू का घोड़ा लेकर मेले में पहुंचे
2007 में जानवरों के मेले में अनंत सिंह लालू यादव का घोड़ा लेकर पहुंचे थे. अनंत सिंह को पता था कि लालू उन्हें अपना घोड़ा नहीं बेचेंगे, इसलिए उन्होंने किसी दूसरे के जरिए लालू के घोड़े को खरीदा था और उसे लेकर मेले में पहुंचे थे. अजगर पालने जैसी अपनी सनक के लिए चर्चित ये विधायक पहले भी कई विवादों में फंस चुके हैं.
लालू को थी अनंत से खुन्नस ?
अनंत सिंह, नीतीश के पुराने चुनाव क्षेत्र बाढ़ के लदमा गांव के रहने वाले है. बाढ़ में यादव बनाम भूमिहार की लड़ाई बहुत पुरानी है. अनंत सिंह ने यादवों के वर्चस्व को तोड़ा. इस बात ने लालू यादव को परेशान कर दिया था. लेकिन, जून 2015, अनंत सिंह को चार युवकों के अपहरण और हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया. लालू किसी भी हाल में अनंत को सलाखों के पीछे देखना चाहते थे. कहा गया कि राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव की दखल के बाद गिरफ्तार किया गया था. साथ ही तत्कालीन मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी भी इनपर जान से मारने की धमकी देने का आरोप लगा चुके हैं.