पटना: राजधानी के मोकामा विधानसभा अंतर्गत घोसवरी थाना की लोकसभा चुनाव को लेकर की गई कार्रवाई सवालों के घेरे में है. आलम यह है कि पुलिस ने ऐसे बेगुनाह लोगों पर कार्रवाई की है, जो गांव में रहते ही नहीं हैं. नौकरी-पेशा बुजुर्गों तथा बाहर रहकर मेहनत-मजदूरी करने वाले पर चुनाव के नाम पर कार्रवाई की गई है.
मोकामा के घोसवरी थाना द्वारा लोकसभा चुनाव शांतिपूर्ण कराने के नाम पर निरोधात्मक कार्रवाई की गई है. लोगों को नोटिस जारी कर बांड भरवाया जा रहा है. एक लाख तक का बांड लोगों से भरवाया जा रहा है. समस्या यहीं से शुरू हुई है. दरअसल, कई ऐसे लोगों को कार्रवाई के दायरे में लाया गया है, जो या तो नौकरी पेशा बुजुर्ग हैं या फिर गांव से बाहर रहते हैं.
भेजा जा रहा नोटिस
कई लोगों पर तो सीआरपीसी की धारा 107 की कार्रवाई के लिए नोटिस भेज दिया गया है, जो काफी गरीब हैं और सालों से बाहर रहकर मेहनत मजदूरी कर रहे हैं. इंजीनियर की डिग्री लेकर महानगरों में नौकरी करने वाले व्यक्तियों पर भी यह कार्रवाई कर दी गई है.
जानबूझ कर बेगुनाहों पर कार्रवाई
स्थानीय लोगों का आरोप है कि घोसवरी थाना द्वारा जानबूझकर बेगुनाह लोगों को फंसाने के लिए तथा उत्पीड़न करने के लिए इस तरह की कार्रवाई की गई है. पुलिस ने पक्षपात पूर्ण कार्रवाई कर लोगों को जानबूझकर परेशान किया है.
जरूरी है मगर...
लोकसभा चुनाव शांतिपूर्ण कराने के लिए दागियों, अपराधियों और असामाजिक तत्वों पर कार्रवाई तो जायज है. वहीं, बुजुर्गों तथा बाहर रहकर मेहनत मजदूरी करने वाले गरीब लोगों पर कार्रवाई निश्चित तौर पर अनुचित है. घोसवरी थाना की इस कार्रवाई से लोगों में काफी नाराजगी देखी जा रही है. कभी भी विधि व्यवस्था की समस्या उत्पन्न हो सकती है.