पटना : बिहार पहला राज्य बना था जहां जातिगत जनगणना की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया गया. जातिगत जनगणना की रिपोर्ट के बाद से राजनीतिक दलों ने जातिगत आधार पर वोट बैंक साधने की कवायद भी शुरू कर दी. बिहार की सियासत में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव की एंट्री हुई और तमाम यदुवंशी समाज के लोगों ने मोहन यादव का स्वागत पूरे जोश खरोश के साथ किया.
मोहन यादव के बिहार दौरे के मायने? : दरअसल गुरुवार को पटना के श्री कृष्ण मेमोरियल हॉल में श्री कृष्णा चेतना विचार मंच के द्वारा कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. लेकिन भाजपा ने कार्यक्रम के पीछे पूरी ताकत झोंक रखी थी. भाजपा के वरिष्ठ नेता नंद किशोर यादव, रामकृपाल यादव, नवल किशोर यादव सरीखे नेता मंच के नीचे बैठे दिखे. बिहार में यदुवंशियों की आबादी 14.28 प्रतिशत है. सबसे अधिक आबादी वाली जाति यादव राजनीतिक दलों के निशाने पर है. यदुवंशी वोट बैंक को साधने के लिए भाजपा ने मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाया और अब उन्हें बिहार के यदुवंशियों के बीच उतर गया है.
बीजेपी ने बदला सियासत का गियर : मोहन यादव ने तमाम यदुवंशी नेताओं के साथ बैठक की ओर भविष्य की रणनीतियों पर विमर्श भी किया. मोहन यादव के स्वागत में आठ विधायक दो विधान पार्षद और तीन सांसद लगाए गए थे. केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय भी मोहन यादव के पक्ष में आवाज बुलंद करते देखे गए. बीजेपी के तमाम यदुवंशी नेता आज बैक वेंचर की भूमिका में दिखे. दरअसल लंबे समय तक बीजेपी ने भूपेंद्र यादव, नित्यानंद राय, नंदकिशोर यादव पर दाव लगाया था. लेकिन अब भाजपा नए सिरे से वोट बैंक में सेंधमारी को लेकर चिंतित है. मोहन यादव पर पार्टी ने चरणबद्ध तरीके से दाव लगाने का निर्णय किया है.
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि ''भाजपा ने मोहन यादव को मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया है. मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाने का फायदा बिहार में भी पार्टी को मिलने जा रहा है. लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव ने यदुवंशियों को ठगने का काम किया और उनके विकास की चिंता नहीं की. नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा यदुवंशियों को लेकर संवेदनशील है और उन्हें वाजिब हक भी दिया जा रहा है.''