पटना: बिहार में टीकाकरण अभियान पर लॉकडाउन का असर नहीं पड़ा है. लॉकडाउन के दौरान टीकाकरण अभियान महज 20 दिनों के लिए प्रभावित हुआ था. लेकिन डॉक्टरों की मानें, तो इसका भविष्य में कोई असर नहीं पड़ने वाला है. टीकाकरण अभियान के तहत बच्चों और गर्भवती महिलाओं को टीका लगाया जा रहा है.
बिहार में वैश्विक महामारी करोना के प्रकोप के बीच बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बनाए रखने के लिए टीकाकरण पर जोर दिया जा रहा है. राज्य सरकार ने हाल ही में स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिया था कि राज्य में टीकाकरण अभियान को तेज किया जाए. ताकि बच्चों के शारीरिक विकास के साथ में रोगों से लड़ने की क्षमता को विकसित किया जा सके. राज्य सरकार के निर्देश के बाद राज्य स्वास्थ्य विभाग के राज्य स्वास्थ्य समिति के माध्यम से सभी अस्पतालों में टीकाकरण की सुविधा प्रदान की गई है.
- टीकाकरण के लिए राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम 'मिशन इंद्रधनुष' फिर से चलाया जा रहा है. लॉकडाउन के दौरान टीकाकरण से वंचित रह गए बच्चों को जल्द से जल्द टीका लगाने की कवायद तेज कर दी गई है.
टीकाकरण
बच्चों को बीसीजी, हेपेटाईटिस बी, डीपीटी का टीका और पोलियो की खुराक देने का काम जोरों पर है. वहीं, दूसरी ओर गर्भवती महिलाओं को टिटेनसटाक्साइड का टीकाकरण किया जा रहा है.
बिहार में लागू लॉकडाउन से अब तक 10 लाख 3 हजार 68 बच्चों का टीकाकरण हुआ है. इसमें 1 से 5 साल तक के बच्चे शामिल हैं. आंगनबाड़ी सेविका और आशा के माध्यम से टीका केंद्रों पर टीकाकरण किया गया. बच्चों के अलावा 3 लाख 38 हजार 563 गर्भवती महिलाओं को भी टीका दिया गया है. ग्रामीण इलाकों में आवासीय क्षेत्र में गर्भवती महिलाओं और बच्चों को टीकाकरण कराने के लिए जागरूक भी किया जा रहा है.
कोरोना संक्रण को लेकर बरती जा रही सावधानी पटना में टीकाकरण
राजधानी पटना के न्यू गार्डिनर रोड अस्पताल के अधीक्षक डॉ. मनोज कुमार की मानें तो लॉकडाउन के दौरान सरकार के निर्देश पर 15 से 20 दिनों के लिए टीकाकरण केंद्र को बंद रखा गया था. लॉक डाउन के दौरान जब टीकाकरण केंद्र खोला गया, तब आम जनता को टीकाकरण केंद्र तक पहुंचने में असुविधा हो रही थी जिस वजह से कम लोग केंद्र तक पहुंच पा रहे थे. लॉकडाउन के दौरान 30 से 35 बच्चों का टीकाकरण किया गया. वहीं, आम दिनों में रोजाना 50 से 60 बच्चों का टीकाकरण किया जाता था.
- न्यू गार्डिनर अस्पताल के अधीक्षक ने बताया कि टीकाकरण के लिए उनके अस्पताल से 73 आंगनबाड़ी सेंटर जुड़े हैं, जिनमें एएनएम टीकाकरण का काम करती हैं.
क्यों जरूरी है टीकाकरण
बच्चों के शरीर मे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए टीकाकरण किया जाता है. टीकाकरण से बच्चों मे कई सक्रांमक बीमारियों की रोकथाम होती है तथा समुदाय के स्वास्थ्य के स्तर मे सुधार होता है. भारत में 6 संक्रामक बीमारियों से बचाव को लेकर टीकाकरण किया जाता है. ये बीमारी खसरा, टेटनस (धनुष बाय), पोलियो, क्षय रोग, गलघोंटू, काली खांसी, हेपेटाईटिस बी हैं.
टीकाकरण कराने पहुंचे माता-पिता - इसके अतिरिक्त गर्भवती महिलाओ को टेटनस के टीके लगाकर उन्हें और उनके नवजात शिशुओं को टेटनस से बचाया जाता है.
सावधानी के साथ कराएं बच्चों का टीककरण
देश में कोरोना महामारी नई है. लेकिन इससे पहले देश कई जानलेवा बीमारी को देख चुका है. बच्चों में टीकाकरण उन्हीं बीमारियों की रोकथाम के लिए किया जाता है. लिहाजा, सावधानी के साथ बच्चों का टीकाकरण जरूर करवाएं. सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें, मुंह में मास्क और हैंड सैनिटाइजर या साबुन से समय समय पर हाथ धुलें.