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PFI पर बैन को CM नीतीश के मंत्री जमा खान ने बताया गलत - Popular Front of India

भारत में पीएफआई पर 5 सालों के लिए प्रतिबंध (PFI Ban in India) लगाने के फैसले पर जेडीयू कोटे के अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के मंत्री जमा खान ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि पीएफआई को ऐसे बैन करना उचित नहीं है. पहले उसकी जांच होनी चाहिए . किसी एक को टारगेट करना कतई सही नहीं है. पढ़ें.

minister jama khan On PFI ban
minister jama khan On PFI ban

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Published : Sep 28, 2022, 12:58 PM IST

पटना:केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (Popular Front of India) को पांच सालों के लिए बैन कर दिया है. इस पर बिहार के सीएम नीतीश कुमार के मंत्री जमा खान ने बड़ा बयान दिया है. अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री जमा खान ( Minority Welfare Minister Jama Khan) ने कहा कि किसी भी संस्था पर अगर प्रतिबंध ( Jama Khan On PFI Ban In India) लगाया जाता है तो पहले उसकी जांच होनी चाहिए. पीएफआई संस्था पर जिस तरह से लगातार रेड किया जा रहा है, लोगों को पकड़ा जा रहा है और अब पूरी तरह से संस्था को प्रतिबंध कर दिया गया, यह कहीं से भी उचित नहीं है.

पढ़ें- सुशील मोदी ने किया PFI पर बैन का स्वागत, कहा- इस संस्था के समर्थन में थे शिवानंद तिवारी और CPIML

'PFI पर बैन उचित नहीं':जमा खान ने भाजपा के नेताओं का नाम लिए बगैर तंज कसा है और साफ-साफ कहा कि इस तरह का प्रतिबंध लगाना अभी के समय में उचित नहीं था. संदिग्ध गतिविधियों की जांच होनी चाहिए थी. जिन लोगों की मदद से संस्था से चल रही है उस पर ध्यान देना सरकार का काम है. अगर संदिग्ध गतिविधि उन्हें पहले से पता थी तो फिर पहले से क्यों नहीं कार्रवाई की गई, यह भी गलत है. अचानक किसी भी संस्था को प्रतिबंधित कर देने से इसका गलत मैसेज जाता है.

'भाजपा जुमलेबाज पार्टी': उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी इस तरह की कार्रवाई करती रहती है. जिस तरह से पीएफआई पर प्रतिबंध लगाया है, लोग अब पूरी तरह से समझ गए हैं कि किस तरह की कार्रवाई भाजपा के नेतृत्व में चलने वाली सरकार ने किया है. भाजपा जुमलेबाज पार्टी है. देश की जनता भारतीय जनता पार्टी के ऐसे नेताओं को जवाब देगी जो सामूहिक रूप से चल रहे संस्था को भी संदिग्ध मानकर कार्रवाई कर रहे हैं. हमारा मानना है कि इन संस्थाओं पर प्रतिबंध लगाना कहीं से भी उचित नहीं है. सबसे पहले इन संस्थाओं की गतिविधियों की जांच होनी चाहिए थी. पक्के सबूत होने चाहिए थे और संस्था में जो लोग गलत गतिविधि में शामिल है उस पर ही सिर्फ कार्रवाई होनी चाहिए ना कि पूरे संस्था पर प्रतिबंध लगाना चाहिए था.

"किसी भी संगठन को बैन करना ठीक नहीं है. देश का नेतृत्व आपके हाथ में है इसका यह मतलब नहीं कि आपका जो मन करे वह आप कीजिएगा. जनता इसे देख रही है 24 में हिसाब होगा. यही रह गया है इसको बंद कर दे उसको बंद कर दें इसके अलावा कोई काम नहीं है. हर जगह हर राज्य में चर्चा का विषय है कि बीजेपी के लोग तांडव कर रहे हैं. ऐसे बंदिश करके किसी को बैन भी नहीं करना चाहिए पहले जांच करें."- जमा खान, अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री, बिहार

पीएफआई के खिलाफ मिले पर्याप्त सबूतः आपको बता दें कि 22 सितंबर और 27 सितंबर को एनआईए, ईडी और राज्यों की पुलिस ने पीएफआई पर ताबड़तोड़ छापेमारी की थी. पहले राउंड की छापेमारी में 106 PFI से जुड़े लोग गिरफ्तार हुए थे. दूसरे राउंड की छापेमारी में 247 PFI से जुड़े लोग गिरफ्तार/हिरासत में लिए गए. जांच एजेंसियों को पीएफआई के खिलाफ पर्याप्त सबूत मिले. इसके बाद जांच एजेंसियों ने गृह मंत्रालय से कार्रवाई की मांग की थी. जांच एजेंसियों की सिफारिश पर गृह मंत्रालय ने पीएफआई (PFI) पर बैन लगाने का फैसला किया है.

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