पटना:केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के दौरे को लेकर बिहार का सियासी पारा चढ़ गया है. एक ओर जहां सासाराम का दौरा रद्द हो गया है तो वहीं दूसरी तरफ नीतीश सरकार की ओर से केंद्र पर उपेक्षा का आरोप लगाया गया है. केंद्र प्रायोजित योजनाओं को लेकर सवाल खड़े किए गए हैं.
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बोले विजय चौधरी- 'केंद्र से नहीं मिल रहा सहयोग': बिहार सरकार के वित्त मंत्री विजय चौधरी ने कहा है कि बजट प्रबंधन के मामले में बिहार का स्ट्राइक रेट 99% का है. बिहार के अंदर सबसे ज्यादा केंद्र प्रायोजित योजनाएं चल रही हैं लेकिन केंद्र से हमें अपेक्षित सहयोग नहीं मिल रहा है. केंद्र प्रायोजित योजनाओं में भी राशि हमें कम दी जा रही है, जिसके चलते राज्य की आर्थिक स्थिति बेहतर नहीं है. वित्त मंत्री ने कहा कि विशेष राज्य का दर्जा अगर हमें मिल जाता तो हम आर्थिक संकट से नहीं जूझते.
"नीति आयोग द्वारा गठित मुख्यमंत्रियों की कमेटी ने भी कहा था कि केंद्र प्रायोजित योजनाओं की संख्या कम की जानी चाहिए. केंद्र द्वारा राज्यों की वित्तीय दबाव को बढ़ाने की कोशिश की जाती है. केंद्र प्रायोजित योजनाओं को पूरा करने के लिए हमें 46147 करोड़ चाहिए थी लेकिन बिहार को सिर्फ 24319 करोड़ ही मिला."- विजय चौधरी,वित्त मंत्री
'जीडीपी के मामले में बिहार अव्वल': बिहार सरकार की ओर से एक बार फिर बेहतर वित्तीय प्रबंधन का दावा किया गया है. एक ओर जहां जीडीपी के मामले में बिहार अव्वल है वहीं दूसरी तरफ 2022- 23 के लिए प्राकृतिक कुल बजट 237691 करोड़ के विरुद्ध सरकार ने 235000 करोड़ खर्च किए हैं जो कि 99% के आसपास है. सरकार ने इसे अब तक की बड़ी उपलब्धि माना है.
'घट रही केंद्र की हिस्सेदारी': उन्होंने कहा कि चालू वित्तिय वर्ष 2000-22 तारीख में कुल अनुमानित व्यय 235000 करोड़ रुपए का हुआ जिसमें 105000 करोड़ रुपए वार्षिक मद में और 130000 करोड़ रुपए स्थापना एवं प्रतिबद्ध व्यय मद में किया गया है. केंद्र सरकार ने वित्तीय वर्ष 2022 में केंद्रीय योजनाओं के केंद्र मद में लगभग 21828 करोड़ रुपए और 15वें वित्त आयोग के अनुदान मद में 6584 करोड़ रुपए दिए हैं.वित्तीय वर्ष में केद्रांश मद बजट अनुमान 46143 करोड़ रुपए का था जबकि राज्य सरकार को 24319 करोड़ रुपए कम प्राप्त हुए. 2022 में राज्य सरकार के कुल अनुमानित ₹235000 में केंद्र की भूमिका ₹21800 की रही जो राज्य के कुनबे का मात्र 9.29 % है.