पटनाः कोरोना को लेकर जारी लॉकडाउन में बिहार में आम जनजीवन पटरी पर लौटने लगा है. अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए सरकार ने उद्योगों को फिर से चालू करने की पहल शुरू कर दी है, लेकिन ज्यादातर कारखाने अभी भी बंद हैं. जिससे मजदूरों की परेशानी काफी बढ़ गई है.
संकट में बिहार के उद्योग जगत
लॉकडाउन 4 में सरकार ने उद्योग जगत को पटरी पर लाने के लिए कई फैसले लिए हैं. आम जनजीवन के साथ अर्थव्यवस्था भी पटरी पर आए इसके लिए कई तरह के फैसले लिए गए हैं. लेकिन इसका फायदा उद्योगपतियों को नहीं मिल पा रहा है.
उद्योग हुए शुरू
बिहार सरकार दावा कर रही है कि राज्य के अंदर ग्रामीण और शहरी इलाकों में उद्योगों को चालू कर दिया गया है. लेकिन बिहार में कुछ ही उद्योग शुरू हुए हैं, जबकि ज्यादातर आज भी बंद पड़े हैं. लाखों प्रवासी मजदूर भले बिहार वापस आ रहे हैं, लेकिन राज्य के कल कारखाने मजदूर की समस्या से जूझ रहे हैं.
सरकारी विभागों में सामंजस्य का अभाव
फैक्ट्री के केयर टेकर पारस नाथ ने बताया कि हम लगातार मजदूरों से संपर्क कर रहे हैं, लेकिन फिलहाल परिवहन समस्या के चलते मजदूरों के अभाव में उत्पादन शुरू नहीं हो पाया है. फैक्ट्री मालिक अरविंद सिंह ने कहा कि सरकार घोषणाएं तो कर रही है, लेकिन उद्योग जगत को उसका फायदा नहीं मिल पा रहा है. कोयले की आपूर्ति भी नहीं हो रही है जिससे उत्पादन बाधित हो रहा है. साथ ही सरकारी विभागों में सामंजस्य का भी अभाव है.
परिवहन के चलते मजदूरों की समस्या
उद्योग मंत्री श्याम रजक ने कहा कि अब तक बिहार में 4252 उद्योग चालू किए जा चुके हैं. सोशल डिस्टेंसिंग और परिवहन के चलते मजदूरों की समस्या है, लेकिन यह कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए सरकार की बाध्यता है. मंत्री ने कहा कि उद्योगपति अपनी समस्या को लेकर विभाग से संपर्क कर सकते हैं, हम उसका समाधान करेंगे.