पटना:बिहार में नदी जोड़ योजना को लेकर लंबे समय से चर्चा हो रही है. कोसी मेची नदी जोड़ योजना (Bihar Kosi Mechi River Project) को केंद्र सरकार ने स्वीकृत भी कर दिया है, लेकिन राशि के अभाव में उस पर काम नहीं हो रहा है. बिहार सरकार की ओर से राष्ट्रीय परियोजना में शामिल करने की मांग केंद्र सरकार से लगातार हो रही है. ईटीवी भारत ने कोसी मची नदी जोड़ योजना को लेकर जल संसाधन मंत्री संजय झा (Water Resources Minister Sanjay Jha) से खास बातचीत की. जिसमें उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय परियोजना में शामिल होने के बाद केंद्र सरकार की हिस्सेदारी 90 प्रतिशत और बिहार का हिस्सा केवल 10 प्रतिशत खर्च में रहेगा. इसी कारण अभी तक काम शुरू नहीं हो पाया है. केंद्रीय बजट में भी बिहार की योजना को शामिल नहीं पर संजय झा ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. उनका कहना है कि हम लोगों का प्रयास है कि केंद्र राष्ट्रीय परियोजना में इसे शामिल करें. वहीं छोटी नदियों के जोड़ने पर भी मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया है और उस पर विभाग काम कर रहा है.
ईटीवी भारत से खास बातचीत में जल संसाधन मंत्री संजय झा ने कहा कि कोसी मची नदी जोड़ योजना केंद्र सरकार ने स्वीकृति दे दी है. सारा कुछ ओके है, लेकिन जिस प्रकार से केंद्र सरकार ने केन बेतवा को राष्ट्रीय परियोजना में शामिल किया है. हम लोगों की मांग है कि इसे भी राष्ट्रीय परियोजना में शामिल किया जाए. इससे केंद्र सरकार की 90% और बिहार सरकार की हिस्सेदारी खर्च में 10% हो जाएगा. अभी 60-40 के राशियों में है. संजय झा ने कहा कि सीमांचल का पूरा इलाका पूर्णिया, कटिहार, अररिया, किशनगंज कोसी मेची नदी जोड़ योजना से इरिगेटेड होगा. अब बिहार का तो कोई दोष है नहीं, नेपाल से सारा पानी आता है. कोसी तो नेपाल से ही आता है और इसीलिए हम लोगों का कहना है कि जैसे केन बेतवा परियोजना को आपने 90-10 रेशियों में राष्ट्रीय परियोजना में शामिल किया है. ठीक उसी प्रकार से कोसी मेची को भी शामिल करें. उन्होंने कहा कि इसी मांग के कारण कोसी मेची परियोजना पर काम शुरू नहीं हुआ है. पूरा मामला राशि के कारण फंसा हुआ है.
जल संसाधन मंत्री संजय झा ने कहा कि केंद्रीय मंत्री से भी मुलाकात की है और लगातार इस मामले को उठा रहे हैं. कोसी मेची नदी जोड़ योजना केन बेतवा नदी जोड़ योजना से ज्यादा महत्वपूर्ण है. चीन सरकार ने केन बेतवा परियोजना को इसलिए लिया है. क्योंकि बुंदेलखंड में जल की कमी है, लेकिन यहां तो बड़ी आबादी नेपाल से आने वाली पानी से तबाह है. मंत्री संजय झा ने कहा नीति आयोग ने अपनी रिपोर्ट में बिहार को पिछड़ा बताया है. आखिर बिहार पिछड़ा क्यों है? क्योंकि पूरा उत्तर बिहार बाढ़ में डूब जाता है. हम लोग पहले से हाय डैम बनाने की मांग करते रहे हैं. 2004 में विराटनगर में ऑफिस भी खुला, लेकिन उसके बाद वहां कोई हलचल नहीं हो रही है.
"बिहार पिछड़ा बताया जा रहा है. क्योंकि प्रत्येक साल बाढ़ से करीब 72 प्रतिशत इलाका प्रभावित होता है. हर साल बिहार में बाढ़ से बर्बादी होती है. सड़क से लेकर कई चीजें रिस्टोर करना पड़ता है. आपदा में बड़ी राशि मदद में सरकार को खर्च करना पड़ता है और कोसी मेची योजना से एक बड़े हिस्से में सिंचाई के साथ बाढ़ से भी लोगों को राहत मिलेगी और राष्ट्रीय परियोजना के लिए कोसी मेची सभी शर्तों को पूरा भी करता है. नीतीश कुमार को जब से सत्ता मिली है लगातार काम कर रहे हैं, लेकिन उसके बावजूद बिहार पिछड़ा है और उसका बड़ा कारण नेपाल से आने वाला बाढ़ है. इसीलिए हम लोग कोसी मेची नदी जोड़ योजना को राष्ट्रीय योजना में शामिल करने की मांग कर रहे हैं. मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री ने छोटी नदियों को जोड़ने की योजना पर काम करने का निर्देश दिया है. हम लोग उस पर काम कर रहे हैं." - संजय झा, जल संसाधन मंत्री
केंद्रीय बजट में केंद्र सरकार के तरफ से 5 नदी जोड़ योजना को शामिल किया गया है, लेकिन बिहार की एक भी परियोजना इसमें शामिल नहीं है. बिहार सरकार के तरफ से आधा दर्जन परियोजना का प्रस्ताव केंद्र सरकार को दिया गया है. लेकिन केंद्र सरकार के तरफ से उन योजनाओं को लेकर कोई पहल नहीं की गई है. ऐसे कोसी मेची नदी जोड़ योजना केंद्र सरकार ने स्वीकृत जरूर कर दिया है. अब राशि के कारण यह परियोजना लटकी पड़ी है. केंद्र सरकार यदि राष्ट्रीय योजना में शामिल करेगी तो इस पर काम शुरू हो सकेगा और बिहार के बड़े हिस्से को बाढ़ से निजात तो मिलेगा ही, साथ ही साथ सिंचाई की भी सुविधा मिलेगी.