पटना:वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग (Shivling in Gyanvapi Mosque) मिलने के दावे के बाद इसपर लगातार प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. हिंदू पक्ष यहां शिवलिंग मिलने का दावा कर रहा है तो मुस्लिम पक्ष इस दावे को नकार रहा है. इस मुद्दे पर बिहार के विधि मंत्री प्रमोद कुमार (Minister Pramod Kumar On Gyanvapi Case) ने कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद का मामला न्यायालय में है, इसलिए हम इस पर कुछ बयान नहीं दे सकते हैं. जिस तरह से अयोध्या में रामलला के मंदिर पर न्यायालय ने फैसला सुनाया था और उसपर मंदिर बन रहा है. हमें उम्मीद है कि ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर जो फैसला आएगा वो सही होगा.
पढ़ें- ज्ञानवापी परिसर के तालाब में मिला शिवलिंग ताकेश्वर महादेव का, वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी का दावा
'हमें न्यायालय पर है पूरा भरोसा': मंत्री प्रमोद कुमार ने कहा कि काशी विश्वनाथ के गौरी पार्वती को उस जमाने में लोग ज्ञानवापी कहते थे. माता के स्थल में ज्ञान का प्रकाश मिलता था. न्यायालय ने कहा कि अयोध्या के राम जन्म भूमि का अतित 500 वर्षों का है. न्यायालय ने अतित के साक्ष्य को देखा. 500 वर्ष बाद ही सही न्यायालय ने फैसला दिया और आज वहां मंदिर बन रहा है. प्रमोद कुमार ने उदाहरण देते हुए कहा कि भारत का संविधान के प्रथम पृष्ठ पर रामलला के दरबार को दिखाया गया है, हनुमान जी की तस्वीर लगी हुई है, अकबर की भी तस्वीर है. इन सब बातों से ही आप यह समझ लीजिए कि आखिर भारत का संविधान इन लोगों का कितना सम्मान करता है.
"ज्ञानवापी का अर्थ है अज्ञानता से लोगों को प्रकाश की ओर ले जाना. उस परिसर में पहले से मां गौरी का मंदिर अवस्थित है. इससे ही आप अनुमान लगा लीजिए कि आखिर वह कौन सी जगह है. कुछ लोग संविधान से अलग होकर बातचीत करते हैं, बयानबाजी करते हैं जो कि गलत है. विधि सम्मत कार्रवाई इस मामले पर हो रही है और हम लोगों को पूरी तरह से संविधान में आस्था है."-प्रमोद कुमार, विधि मंत्री, बिहार