पटना: राबड़ी देवी आवास (CBI Raid On Rabri Devi House) सहित 17 स्थानों परसीबीआई की छापेमारी (CBI Raid At Lalu Yadav Patna Delhi Residence) को लेकर सियासत शुरू हो गयी है. आरजेडी की तरफ से सीबीआई और केंद्र सरकार पर कई तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं. RJD नेता शिवानंद तिवारी ने बिहार की सियासत से इस रेड को जोड़ दिया है. कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव जिस प्रकार से जातीय जनगणना को लेकर नजदीक आये हैं, उससे बीजेपी घबरा गई है और नीतीश कुमार को डराने के लिए छापेमारी की जा रही है. जदयू के मंत्री अशोक चौधरी (Minister Ashok Choudhary) का कहना है कि रेलवे में नियुक्ति मामले में कहीं ना कहीं पारदर्शिता नहीं बरती गई है.
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'रेलवे भर्ती में नहीं बरती गयी थी पारदर्शिता':अशोक चौधरी ने कहा कि राजनीतिक दलों की तरफ से भी लगातार इस को लेकर सवाल उठाए जाते रहे हैं और सीबीआई को कुछ ना कुछ जानकारी मिली होगी. जानकारी के आधार पर ही छापेमारी की गयी है. यदि नियुक्ति में पारदर्शिता (railway recruitment scam case) बरती गई होगी तो कोर्ट मदद करेगा. अशोक चौधरी ने कहा कि लालू के शासनकाल में रेलवे भर्ती में पारदर्शिता नहीं बरती गयी थी. लंबे समय से कई राजनीतिक दलों द्वारा इसपर प्रश्न चिन्ह उठाया जा रहा था.
"रेलवे में जो बहालियां की गई थीं उसमें पारदर्शिता नहीं बरती गयी थी. उसमें भ्रष्टाचार हुआ था. सीबीआई को शुरूआती जांच में कुछ साक्ष्य मिले होंगे. उसके बाद केस दायर करके छापेमारी की जा रही है. छापेमारी को तेजस्वी और नीतीश कुमार के मुलाकात से जोड़कर देखना सरासर गलत है. नीतीश जी भी तो रेल मंत्री रहे, कहां ऐसी कोई इंक्वायरी हो रही है."- अशोक चौधरी, मंत्री, भवन निर्माण विभाग
'नीतीश-तेजस्वी मुलाकात से इसका कोई लिंक नहीं': अशोक चौधरी ने यह भी कहा कि जातीय जनगणना को लेकर आरजेडी के तरफ से यह दिखाने की कोशिश की जा रही है कि तेजस्वी यादव के कहने पर ही सब कुछ हो रहा है जबकि नीतीश कुमार शुरू से जातीय जनगणना के पक्ष में रहे हैं और प्रयास भी करते रहे हैं. नीतीश जी ने जातीय जानगणना पर सार्वजनिक रूप से चर्चा भी कई बार की है. जातीय जनगणना को लेकर सरकार का प्रस्ताव आया था, विपक्ष का नहीं. जातीय जनगणना से सीबीआई की छापेमारी का कोई लिंक नहीं है.