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'देश के लिए जरूरी है कॉमन सिविल कोड', मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह का बड़ा बयान - Home Minister Amit Shah

कॉमन सिविल कोड पर बीजेपी कोटे के मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह (Amarendra Pratap Singh On Common Civil Code) ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि 'देश के लिए ये आवश्यक कानून है और कोई भी देश हित के खिलाफ नहीं जाएगा. जब सहमति बनेगी तो कानून भी बनेगा.'

Amarendra Pratap Singh On Common Civil Code
Amarendra Pratap Singh On Common Civil Code

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Published : Apr 27, 2022, 1:50 PM IST

पटना:कॉमन सिविल कोड (Common Civil Code) पर बिहार की सत्ता में शामिल दलों के बीच बयानबाजी तेज होती जा रही है. बीजेपी के नेता जहां खुलकर इसकी वकालत कर रहे हैं, वहीं जेडीयू की ओर से इसकी मुखालफत शुरू हो गई है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Home Minister Amit Shah) ने जब से बीजेपी शासित राज्यों में कॉमन सिविल कोड लागू करने की बात कही है तब से जदयू के नेता लगातार इस पर बयानबाजी कर रहे हैं. वहीं नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Leader of Opposition Tejashwi Yadav) ने भी कॉमन सिविल कोड का विरोध किया है. इस बीच बीजेपी कोटे के मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह ने बड़ा बयान दिया है.

पढ़ें- लालू यादव के बेटे तेजस्वी बोले, संसद में करेंगे कॉमन सिविल कोड का विरोध

कॉमन सिविल कोड कृषि मंत्री का बयान: मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि यह कानून देश के लिए जरूरी है जो पूरे देश में लागू होगा तो यह कानून बिहार में भी लागू होगा. उनसे जब कहा गया कि आपके सहयोगी दल इसका विरोध कर रहे हैं तो उन्होंने कहा कि यह कानून सभी की सहमति से ही लागू होगा. लेकिन इसको लेकर हम अपने सहयोगी दलों के बीच विचार-विमर्श करेंगे. कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह ने दावा किया कि नरेंद्र मोदी सरकार में कई नए कानून बने हैं और जरूरत पड़ने पर यह सिलसिला आगे भी जारी रहेगा.

"धारा 370 हो या राम मंदिर का निर्माण हो या तीन तलाक कानून, निश्चित तौर पर यह सभी बना है और सब में हम लोगों ने अपने सहयोगी दलों की सहमति ली है. जो कानून देश के लिए जरूरी होगा, उसे लागू किया जाएगा. देश हित में हमें उम्मीद है कि सभी सहयोगी दल हमारा साथ देंगे. देश के लिए कॉमन सिविल कोड बहुत जरूरी है."-अमरेन्द्र प्रताप सिंह, कृषि मंत्री, बिहार सरकार


क्या है समान नागरिक संहिता?: कॉमन सिविल कोड यानी समान नागरिक संहिता एक ऐसा कानून है जो देश के हर समुदाय पर लागू होगा. वह किसी भी धर्म का हो, जाति का हो या समुदाय का हो उसके लिए एक ही कानून होगा. अंग्रेजों ने आपराधिक और राजस्व से जुड़े हुए कानूनों को भारतीय दंड संहिता 1860 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872, भारतीय अनुबंध अधिनियम 18 70, विशिष्ट राहत और अधिनियम 18 77 आदि के माध्यम से सब पर लागू किया. लेकिन, शादी विवाह, तलाक, उत्तराधिकारी, संपत्ति आदि से जुड़े मसलों को सभी धार्मिक समूह के लिए उनकी मान्यताओं के आधार पर छोड़ दिया था.

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