पटना: देशभर में कोरोना संक्रमण के कारण लॉकडाउन लागू है. इस लॉकडाउन के कारण बड़ी संख्या में लोग जहां-तहां फंसे हुए हैं. सरकार लगातार ऐसे प्रवासियों की मदद करने में जुटी हुई है. लेकिन, प्रवासी मजदूरों के लिए सरकारी मदद नाकाफी साबित हो रही है और उनकी परेशानियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. ताजा उदाहरण पटना के मीठापुर बस स्टैंड पर देखने को मिला.
बस स्टैंड पर 6 से 7 की संख्या में लोग हाथों में बैग और सिर पर सामान ढोए काफी हैरान परेशान से थे. पूछने पर उन्होंने बताया कि वे बेंगलुरु से आए हैं. उन्हें उत्तर प्रदेश के चंदौली जाना था, लेकिन वे बिहार के कटिहार पहुंच गए. गौरतलब है कि बड़ी संख्या में बिहार और यूपी के मजदूर इस लॉकडाउन के कारण अपने राज्य वापस लौट रहे हैं. इसी क्रम में इस परिवार ने भी अपने घर की राह ली.
यूपी का रहने वाला है परिवार
लॉकडाउन की मार झेल रहा ये प्रवासी परिवार यूपी के चंदौली जिले का रहने वाला है. एक ही परिवार के ये सभी लोग बेंगलुरु में फूल बेचने का काम करते थे. लॉकडाउन के कारण मालिक ने बिना पैसे दिए वहां से भगा दिया. ऐसे में उन्हें श्रमिक स्पेशल ट्रेन के जरिए बेंगलुरु से मुगलसराय जाना था. लेकिन, वे बिहार के कटिहार पहुंच गए. बाद में वे कटिहार से अररिया पहुंचे. अब किसी तरह सरकारी बस के माध्यम से पटना पहुंचे हैं. इनकी परेशानी सुनकर ईटीवी भारत संवाददाता ने उन्हें पटना जंक्शन पहुंचाया.
प्रवासियों ने साझा किया दर्द पीड़ित परिवार ने बताई आपबीती
चंदौली के रहने वाले हरेंद्र ने बताया कि हम लोग बेंगलुरु से मुगलसराय जाने के लिए चले थे. लेकिन, हम लोगों को कटिहार में उतार दिया गया. फिर वहां से हम बस के सहारे पटना पहुंचे हैं. वहीं, हरिंदर की पत्नी सुनीता ने बताया कि 2 घंटे से हम लोग ऐसे ही सर पर सामान लिए भटक रहे हैं. पहले मालिक ने बिना पैसे दिए वहां से भगा दिया और अब यहां दर-दर भटक रहे हैं. कोई प्रशासनिक मदद नहीं मिल रही है.