पटना: देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने बिहार में विद्यापीठ को अपनी कर्मभूमि बनाया. वर्षों तक विद्यापीठ ही उनका निवास स्थल रहा. जब उन्होंने राष्ट्रपति से अवकाश लिया तब भी वो विद्यापीठ स्थित आवास में ही आकर ठहरे थे. देश के पहले राष्ट्रपति का खपरैल आवास आज भी उनकी सादगी की गवाही दे रहा है.
राजेंद्र स्मृति संग्रहालय में डॉ. राजेंद्र प्रसाद की यादें आज भी जिंदा है. उनसे जुड़ी चीजें आज यहां जस के तस रखी हुई हैं. लेकिन, सरकारी अनदेखी के कारण इस ऐतिहासिक स्थल की कोई सुध नहीं ले रहा है. आम दिन तो दूर जयंती और पुण्यतिथि के मौके पर भी यहां कोई नहीं आता.
राजेंद्र स्मृति संग्रहालय पहुंचे ईटीवी भारत संवाददाता गांधी जी ने सौंपी थी राजेंद्र बाबू को जिम्मेदारी
बिहार विद्यापीठ की स्थापना मौलाना मजहरूल हक की ओर से दी गई जमीन पर की गई थी. साल 1921 में गांधी जी ने देश के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के हाथों में इसकी जिम्मेदारी दी थी. महात्मा गांधी के सपनों का विद्यापीठ डॉ. राजेंद्र प्रसाद के लिए कर्मभूमि रहा. स्थापना काल से ही राजेंद्र प्रसाद का विद्यापीठ से विशेष लगाव था. उन्होंने अपने जीवन के अंतिम क्षण यहीं व्यतीत किए.
यहां बैठ कर पढ़ा करते थे राजेंद्र प्रसाद यह भी पढ़ें:जयंती विशेष : देश के पहले राष्ट्रपति की आंसर शीट देखकर एग्जामिनर ने कही थी ये बात
यहीं से मंत्री बनने गए थे राजेंद्र प्रसाद
साल 1946 में डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय मंत्री बनने के लिए इसी खपरैल घर से गए थे. 12 सालों तक राजेंद्र बाबू राष्ट्रपति आवास में रहने के बाद वापस फिर इसी आवास में लौटे. यहां उनसे जुड़ी कई तस्वीरें मौजूद हैं. उनकी यादों के आधार पर उनके निवास स्थान को राजेंद्र स्मृति संग्रहालय का नाम दिया गया है.